…जब नरभक्षी बन गए कुत्‍ते

तिरुवनंतपुरम। देश का कोई भी शहर अथवा गांव नहीं होगा, जहां रात में आवारा कुत्‍तों की टोली नजर न आती हो। इनके सुरक्षा घेरे को पार करना आसान नहीं होता। लेकिन यही कुत्‍ते नरभक्षी बन जाएंगे, ऐसा शायद उस 65 साल की बुजुर्ग महिला ने नहीं सोचा होगा जिस पर कुत्तों ने हमला कर दिया और उन्हें एक हद तक खा भी लिया। घटना शुक्रवार रात की है जब केरल के सचिवालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर 50 कुत्तों ने महिला पर हमला कर दिया। हादसा रात 9 बजे हुआ जब बुजुर्ग महिला टॉयलेट इस्तेमाल करने जा रही थीं। शीलूअम्मा नामक इन बुजुर्ग महिला को मेडिकल कॉलेज अस्‍पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई। गुस्साए रिश्तेदारों और इलाके के लोगों ने इस घटना के लिए शहर के प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है।

पुल्लुविल्ला के गुस्साए निवासियों ने कहा, हम धैर्य खो चुके हैं। प्रशासन कुत्तों को न मारने के कानून को लेकर ही लटका हुआ है। क्या हम इन कुत्तों से कमतर हैं? जिस वक्त कुत्ते महिला पर हमला कर चुके थे,  उसी समय उनका बेटा बुजुर्ग महिला को ढूंढते हुए वहां आया। खुद को कुत्तों से बचाने के लिए उसे समुद्र में कूदना पड़ा। शीलूअम्मा की मौत के घंटे भर बाद 50 साल के एक अन्य शख्स डेजी भी कुत्तों के हमले का शिकार हुआ। यह घटना पास के ही एक मुहल्‍ले में हुई।

आवारा कुत्‍तों के खिलाफ आवाज उठाने वाले कारोबारी कोचुउसेफ चिट्टीपल्‍ली ने कहा, मैं यह जानता हूं कि मेनका गांधी को कभी कुत्‍ता नहीं काटेगा क्‍यों कि वह अत्‍यधिक सुरक्षा घेरे में आती-जाती हैं। इस मामले की जांच होनी चाहिए कि बाजार में रेबीज रोधी टीकों की बिक्री के लिए लोगों को कितनी रिश्‍वत मिली। राज्‍य के मंत्री भी चुप्‍पी साधे हुए हैं। अब स्थिति यह हो गई है कि किसी मंत्री की पत्‍नी को कुत्‍ता काटे, तभी कोई कार्रवाई होगी।

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