नई दिल्‍ली। दिल्‍ली और एनसीआर में डीजल कारों के पंजीकरण पर रोक लगाए जाने से जहां लोग असुविधा महसूस कर रहे थे, वहीं कार कंपनियां भी डीजल कारों की बिक्री को लेकर मायूस थीं, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से आप एक फीसदी उपकर देकर दिल्‍ली और एनसीआर में शान से डीजल एसयूवी चला सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश के तहत दिल्ली और एनसीआर में 2,000 या उससे ज्यादा सीसी की डीजल एसयूवी और लग्जरी कारों के रजिस्ट्रेशन पर रोक हटा दी है। न्‍यायालय ने एक्स शोरूम कीमत का एक फीसदी ग्रीन सेस लगाकर रोक हटाई। यानी रजिस्‍ट्रेशन के लिए शोरूम कीमत के एक प्रतिशत के बराबर राशि हरित-उपकर के रूप में जमा करनी होगी। यह रोक दिसंबर 2015 से लगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2000 सीसी से कम क्षमता वाले डीजल वाहनों पर ग्रीन सेस लगाने के बारे में बाद में फैसला किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इससे संबंधित अर्जी पर सुनवाई की। मामले में मर्सिडीज और टोयोटा ने कोर्ट में कहा कि वे कार की कीमत का एक फीसदी ग्रीन सेस देने को तैयार हैं,  क्योंकि बैन से उन्हें खासा नुकसान हो रहा है। सुनवाई के दौरान उनकी दलील थी कि बाकी कंपनियां 1995 और 1999 CC  की डीजल कारें बना रही हैं,  लेकिन केंद्र सरकार ने किसी भी तरह का सेस लगाने का विरोध किया था। केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि कार निर्माता कंपनियों का बहुत पैसा लगा है,  वहीं काम बंद होने की वजह से लोगों को रोजगार भी नहीं मिल रहा है। केंद्र का मेक इन इंडिया प्रोग्राम भी प्रभावित हो रहा है। केंद्र सरकार इस मामले पर विचार कर रही है और जल्द ही रिसर्च और डेटा के आधार पर एक रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेगी। केंद्र ने एक ड्राफ्ट रिपोर्ट भी तैयार की है, जिसमें मालिक 10 से 15 साल पुराने वाहनों को सरकार को देंगे और सरकार स्क्रैप कर मालिक को एक रकम देगी।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 6 सप्‍ताह में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि वह ग्रीन सेस लगाकर रोक हटाने को तैयार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कंपनियां इस मुद्दे पर रोडमैप और सुझाव पेश करें। कोर्ट को बताएं कि इनके रजिस्ट्रेशन पर कितना ग्रीन सेस लगाया जा सकता है और किस तरीके से प्रदूषण मानकों को लागू किया जा सकता है।

इससे पहले सोमवार को लग्जरी व्हीकल बनाने वाली जर्मनी की ऑटोमाबाइल कंपनी मर्सडीज बेंज ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि अगर सरकार दिल्ली में डीजल गाड़ियों से बैन हटाती है, तो वह एन्वायरन्मेंट टैक्स देने को तैयार है। सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान मर्सडीज ने 2000 सीसी से ज्यादा की डीजल गाड़ियों पर बैन हटाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कार मैन्युफैक्चिंग कंपनी मर्सिडीज बेंज की याचिका पर 12 अगस्त को सुनवाई करने पर सहमति जताई थी।

इससे पहले चार जुलाई को कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर में 2000 सीसी और इससे ज्यादा की इंजन क्षमता वाली डीजल से चलने वाली एसयूवी और आलीशान कारों के रजिस्ट्रेशन पर रोक के आदेश में संशोधन की मांग वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर, 2015 को 2000 सीसी से अधिक के वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाई थी।