पाकिस्‍तान के प्रति कूटनीतिक कठोरता जरूरी  

श्रीनगर में ताबड़तोड़ आतंकी हमले और अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले की आशंका के बाद पाकिस्‍तान के प्रति भारत कूटनीतिक रूप से कठोर हो गया है। यह तो सभी जानते हैं कि पाकिस्‍तान आतंकवाद से निपटने के प्रति कतई गंभीर नहीं है, भले ही वह खुद आतंकवाद की त्रासदी झेल रहा है। ऐसे में पड़ोसी देश पाकिस्‍तान के प्रति भारत अपनी नीति बदलना चाह रहा है। इस बात के संकेत रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के उस बयान से मिल रहे हैं, जिसमें उन्‍होंने कहा था कि पीएम मोदी ने पाकिस्तान के साथ सद्भावना और संवाद के जो द्वार खोले थे, उसे पड़ोसी देश की आतंकवाद से  निपटने के प्रति लापरवाही के चलते बंद करना पड़ सकता है। जब पीएम मोदी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने गए थे तब उन्होंने अवसरों की खिड़की खोल दी थी। अब लगता है कि वह खिड़की धीरे धीरे बंद हो रही है।

भारत आतंकवाद और पाकिस्‍तान के प्रति कूटनीतिक कठोरता की जरूरत महसूस कर रहा है। इसकी एक वजह यह है कि 22 जून को अनंतनाग में चुनाव है और जम्मू कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती यहां से चुनाव लड़ रही हैं। महबूबा 2 महीने पहले जम्मू-कश्मीर की सीएम बनी थीं। शपथ लेने के 6 महीने के अंदर उन्हें विधानसभा का सदस्‍य बनना होगा। आतंकी इस चुनाव में खलल डालने में लगे हैं। जम्मू-कश्मीर में 24 घंटे में हुए दूसरे आतंकी हमले में 2 पुलिस जवानों के शहीद होने से भारत को लग रहा है कि आतंकी और पाकिस्‍तान इस चुनाव को आसानी से संपन्‍न नहीं होने देंगे। इससे पहले शुक्रवार को हमले में बीएसएफ के 3 जवानों की मौत हो गई थी।

उधर, अमरनाथ यात्रा एक बार फिर आतंकियों के निशाने पर है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने आशंका जाहिर की है कि अमरनाथ यात्रा में आतंकवादी हमला कर सकते हैं। बीएसएफ के महानिदेशक के.के. शर्मा ने कहा है कि खुफिया जानकारी के अनुसार, आतंकवादियों ने जम्मू एवं कश्मीर में अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाकर हमले की साजिश रची है। उन्होंने कहा कि ऐसी खुफिया रिपोर्ट है कि आतंकवादियों ने अमरनाथ यात्रा पर हमले की योजना बनाई है, लेकिन हमने इस साल की यात्रा के मद्देनजर पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए हैं।

पाकिस्‍तान के प्रति कठोरता दिखाना इसलिए भी जरूरी हो गया है कि उसके प्रति पीएम मोदी के नरम रुख की सर्वत्र आलोचना हो रही है। इस आलोचना से मोदी के आभामंडल को क्षति पहुंच रही है जिसका असर भविष्‍य के चुनावों पर भी पड़ सकता है। पर्रिकर के बयान से संकेत भर मिला है, आगे भारत क्‍या कदम उठाएगा यह देखने वाली बात होगी।

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