जत्थेदार ज्ञानी गुरबच्चन सिंह
जत्थेदार ज्ञानी गुरबच्चन सिंह

नई दिल्ली। डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम को गुरु गोबिंद सिंह जी का बाना धारण करने के मामले में अकाल तख्त की ओर से दी गई माफी के हुकुमनामे को अकाल तख्त ने वापस ले लिया है। अकाल तख्त की 16 अक्टूबर को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया है। जत्थेदार ज्ञानी गुरबच्चन सिंह की अध्यक्षता में बुलाई गई बैठक में 24 सितंबर को जारी किए उस हुकुमनामे को रद्द कर दिया गया जिसमें जिसमें डेरामुखी को माफ करने की बात कही गई थी। ओपिनियन पोस्ट ने अपने ताजा अंक (16-31 अक्टूबर) में इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया है।

गुरबच्चन सिंह ने बताया कि माफी के हुकुमनामे से सिख समुदाए के लोग खुश नहीं थे। उनकी भावनाओं को समझते हुए माफी के हुकुमनामे को वापिस लिया गया है।

ओपिनियन पोस्ट में यह खबर छपी है

रामरहीम को माफी पर घिरे जत्थेदार

टी मनोज

ओ काका मैनू माफ कर दो, हुण मैं इस टॉपिक ते गल नी करणी (बच्चे मुझे माफ कर दो, मुझे इस टॉपिक पर बात नहीं करनी)। डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख संत गुरमीत रामरहीम को माफी देने के मुद्दे पर ओपिनियन पोस्ट  ने जब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ से बात करने की कोशिश की, तो उनका जवाब यही था। अकाल तख्त के मुख्य जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह भी बातचीत करने को तैयार नहीं हुए। आखिर यह लाचारी क्यों? वह भी सिखों की इस सर्वोच्च संस्था के अध्यक्ष की, जिनका एक शब्द सिखों के लिए प्रण बन जाता है। आज उसी संस्था के मुखिया अपने बचाव में खुद को लाचार पा रहे हैं। क्यों पंजाब का सिख अपने जत्थेदारों से इस्तीफा मांग रहा है? क्यों उनके हुकमनामे को फाड़ा जा रहा है?

गुरमति सिद्धांत प्रचारक संत समाज के चेयरमैन और दमदमी टकसाल के मुखी बाबा हरनाम सिंह खालसा की ओर से संतों की बुलाई गई मीटिंग में जत्थेदारों से इस्तीफा मांगने के साथ-साथ डेरा प्रमुख को माफी वाला गुरमता रद्द करने की मांग उठी। सिखों का एक बड़ा तबका इन दिनों जत्थेदारों से इस्तीफे की मांग पर अड़ा है। पूर्व जत्थेदार भाई रणजीत सिंह ने कड़ी नाराजगी जताते हुए मुख्य जत्थेदार को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने लिखा है, ‘मौजूदा जत्थेदारों ने डेरा प्रमुख को माफ कर अकाल तख्त का अपमान किया है। खालसा पंथ के संस्थानों पर अमरबेल की तरह चिपके हुए प्रकाश सिंह बादल के वफादार बनकर आपने रामरहीम को जो माफी नामा दिया है, उसके लिए खालसा पंथ आपको कभीमाफ नहीं करेगा।’

माफी के तरीके पर भड़का गुस्सा  

बाहर से भले ही यह दिख रहा हो कि गुस्से की वजह डेरा सच्चा सौदा के मुखिया को माफी देना भर है। मगर यह गुस्सा माफी देने के तरीके से उपजा है। आठ साल तक जिसके खिलाफ हुकमनामा जारी रहा। उसे मात्र आठ मिनट में माफ कर दिया गया। आखिर क्यों? सिख राजनीति की समझ रखने वाले इसके पीछे पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का दखल बता रहे हैं। पंजाब में 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं। उनका तर्क है कि डेरा के अनुयायी किसी भी उम्मीदवार का गणित बना और बिगाड़ सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में डेरा ने भाजपा को समर्थन दिया था। फिलहाल यहां कांग्रेस कमजोर स्थिति में है। ऐसे में अकाली दल के लिए खतरा उसकी सहयोगी दल भाजपा ही है। अकाली दल की चिंता है कि यदि भाजपा ने इस बार अपने दम पर चुनाव लड़ने का निर्णय ले लिया, तो उसके लिए दिक्कत पैदा हो सकती है। ऐसे में डेरा प्रेमी फिर भाजपा की ओर जा सकते हैं। विधानसभा चुनाव में डेरा प्रेमी अकाली दल के साथ रहें, इसी सोच के तहत यह निर्णय लिया गया है।

मगर अकाली दल के प्रवक्ता हरचरण बेंस का कहना है कि यह तख्त का निर्णय है। इसमें राजनीति को शामिल करना सही नहीं है। जो ऐसा बोल रहे हैं, दरसअल वे पंजाब में अमन शांति नहीं चाहते। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष कमल शर्मा ने कहा कि तख्त के निर्णय पर सवाल उठाने वाले हम कौन होते है?

मुख्य जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने दावा किया कि डेरा प्रमुख ने अकाल तख्त को अपना स्पष्टीकरण भेजा था। इस पर विचार-विमर्श के बाद ही उन्हें माफी देने का फैसला लिया गया। डेरा प्रमुख ने सफाई दी है कि वह सिख गुरुओं और सभीधर्मों के पीर-पैगंबरों का आदर करते हैं। कभी उनका रूप धरने की सोच भी नहीं सकते। उन्होंने कहा कि रामरहीम को यह हिदायत भीदी गई है कि भविष्य में ऐसा कोई काम न करें, जिससे सिखों या अन्य धर्मों की भावनाएं आहत हों। समाज में भाईचारे की स्थापना के मद्देनजर ही यह निर्णय लिया गया है।

जत्थेदार सोच रहे थे कि हुकमनामा जारी होते ही पंजाब में सब कुछ सामान्य हो जाएगा, लेकिन हुआ इसके विपरीत। जैसे ही यह बात सामने आई, जत्थेदारों का विरोध शुरू हो गया। उनके इस्तीफे की मांग को लेकर हर रोज राज्य में प्रदर्शन हो रहे हैं।

क्या है विवाद

डेरा सच्चा सौदा के मुखिया ने वर्ष 2007 में श्री गुरु साहिब का बाणा धारण कर संगत को संबोधित किया था। सिखों ने इसे अपने गुरु का अपमान बताया। पंजाब में तो नौबत यह आ गई थी कि डेरा प्रेमी और सिख आमने सामने आ गए। तभीअकाल तख्त ने रामरहीम के खिलाफ हुकमनामा जारी कर दिया। तब से सिख संगत उनका लगातार विरोध करती आ रही है। रामहीम के खिलाफ मामला भीदर्ज कराया गया। इस झगड़े में दो सिखों की मौत हो गई थी। पेशी से वापस जा रहे रामरहीम पर भी कुछ लोगों ने जानलेवा हमला कर दिया था। डेरा सच्चा सौदा की ओर से पहले भी एक बार माफी मांगने की कोशिश हुई थी। तब जत्थेदारों ने इसे खारिज कर दिया था।

बादल पर लग रहे आरोप

प्रकाश सिंह बादल
प्रकाश सिंह बादल

शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के महासचिव हरविंद्र सिंह सरना ने ओपेनियन पोस्ट से बाचतीत में कहा कि रामरहीम की फिल्म एमएसजी2 को चलाने के लिए बादल परिवार ने मोटी डील कर अकाल तख्त साहिब का दुरुपयोग किया है। हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष जगदीश सिंह झींडा ने भीमाफी पर नाराजगी जताई। उन्होंने जत्थेदारों से पूछा, क्या श्री अकाल तख्त साहिब प्रकाश सिंह बादल ने बनाया है, जिनकी शह पर पूरी कौम को गुमराह करने वाले फैसले सुनाए जा रहे हैं। क्या जत्थेदार अब बादल को ही सबकुछ मान बैठे हैं।

चुनावी खेल में माहिर डेरा

पंजाब में सात डेरे ऐसे है जिनके अनुयायियों की संख्या सात लाख तक है। इसके साथ ही 120 छोटे डेरे हैं, जो स्थानीय स्तर पर अच्छी पकड़ रखते हैं। पंजाब की 117 सीटों में से 42 सीटों पर डेरे के अनुयायी प्रभावी हैं। समाजशास्त्री कृपाल सिंह के मुताबिक पंजाब में सिख और गैर सिख का बड़ा मसला है। प्रदेश में करीब 42 फीसदी  दलितों और पिछड़ों को गुरुद्वारा में घुसने नहीं दिया जाता। इस वजह से डेरा परंपरा पनप रही है। अकाली दल सिखों का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में रामरहीम के प्रति अकाल तख्त की सख्ती दलितों की इस धारणा को और मजबूत ही करती है। अकाली दल के लिए इस बार परेशानी यह है कि उसकी सरकार के प्रति लोगों में बड़ा गुस्सा है। उधर, भाजपा भीअलग चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। इससे निपटने के लिए अकाली दल अभीसे तैयारी में जुटा हुआ है। रामरहीम को माफी इसी दिशा में उठाया गया कदम है।