नई दिल्ली।

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का मामला दिल्‍ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। आम आदमी पार्टी ने मांग की है कि एमसीडी चुनावों में वीवीपीएटी मशीन का इस्‍तेमाल किया जाए। ईवीएम में छेड़छाड़ पर चल रही बहस के बीच आम आदमी पार्टी ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और याचिका दाखिल कर कोर्ट से अनुरोध किया है कि दिल्ली के तीनों निगमों के चुनाव में ईवीएम के साथ वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) मशीनों का इस्तेमाल किया जाए।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती के उत्तर-प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद ईवीएम में गड़बड़ी के आरोपों के बाद कांग्रेस समेत कई अन्य विपक्षी दलों ने भी इसके समर्थन में आवाज बुलंद की है। आप और कांग्रेस ने 23 अप्रैल को होने वाले दिल्ली के तीनों निगमों के चुनाव ईवीएम की बजाय मतपत्रों से कराने की मांग की है।

कांग्रेस समेत कई अन्य विपक्षी दल ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग में अपनी शिकायत दर्ज कराने के अलावा राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के यहां भी गुहार लगा चुके हैं। वीवीपीएटी मशीन को ईवीएम के साथ जोड़ा जाता है और मतदाता जब अपना वोट डालता है तो इस मशीन से एक पर्ची निकलती है जो इस बात का सबूत रहती है कि उसने किसको वोट डाला और वोट उसी के खाते में गया।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मतपत्र के जरिये निगमों के चुनाव कराने को लेकर लगातार मांग कर रहे हैं और चुनाव आयोग तथा आप में इसे लेकर पिछले कई दिनों से विचारों का तेज आदान-प्रदान हो रहा है। हाईकोर्ट में याचिका निगम का चुनाव लड़ रहे मोहम्मद ताहिर हुसैन ने दायर की है।

याचिकाकर्ता ने यह जानना चाहा कि दिल्ली राज्य चुनाव आयोग ने पहली पीढ़ी की ईवीएम क्यों मांगी जो कि एमसीडी चुनाव कराने के लिए न्यूनतम सुरक्षा सुविधाओं से युक्त है। उन्होंने एमसीडी चुनाव के लिए राजस्थान से लाई गई मशीनों के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताई है।