नई दिल्ली । राजधानी की सड़कों पर 10 हजार बसें लाने के वादे को पूरा करने के लिए दिल्ली सरकार क्या एक बार फिर से ‘किलर लाइन’ बसें लाने की तैयारी में है। सरकार पहले दिल्ली परिवहन निगम के बेड़े में 10 हजार बसें लाने की तैयारी में थी, लेकिन इसे खरीदने में हुई देरी की वजह से बसों के दाम बढ़ गए हैं।
जिसके चलते दिल्ली सरकार ने योजना ठंडे बस्ते में डाल दी। जानकारी के अनुसार दिल्ली सरकार ने प्रति बस 36 लाख रुपए का एस्टिमेट तैयार किया था, लेकिन लेटलतीफी की वजह से अब इसकी कीमत प्रति बस 46 लाख तक पहुंच गई है।
सूत्रों के मुताबिक जिन निजी बसो को लाने की तैयारी है उन बसों के रंग डीटीसी बसों की तरह ही होंगे। इसके साथ ही इन बसों के रखरखाव से लेकर खड़ी करने के लिए डिपो तक की व्यवस्था बस मालिक के जिम्मे होगी। बसों से होने वाली कमाई दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के खजाने में जाएगी और परिवहन विभाग बस मालिकों को प्रति किलोमीटर के हिसाब से पैसे देगी।
हालांकि, बस मालिकों को कितने रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से भुगतान किया जाएगा, यह अभी तय नहीं किया गया है, लेकिन डिम्ट्स के अधीन चल रही बसों के मालिकों को 15 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से भुगतान किया जाता है। दिल्ली परिवहन विभाग के आयुक्त सीआर गर्ग कहते हैं नई योजना में ब्लू लाइन बसों की तरह किसी एक व्यक्ति की बस चलाने की इजाजत नहीं होगी, लेकिन वही व्यक्ति टेंडर प्रक्रिया के तहत इसमें शामिल हो सकता है।
दिल्ली सरकार के इस फैसले ने पांच साल पुरानी किलर लाइन के नाम से कुख्यात ब्लू लाइन बसों की यादें ताजा कर दी, जो औसतन हर दिन एक व्यक्ति की जान लेती थी। राष्ट्रमंडल खेल से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इन बसों के परिचालन पर रोक लगा दी थी। देखना है केजरीवाल सरकार जिस प्रयोग’को करने जा रही है वह कितना सफल होता है ।