‘कांग्रेस अध्यक्ष’ राहुल गांधी की चुनौतियां

नई दिल्ली।

जिस बात की चर्चा कांग्रेस में 2004 से ही शुरू हो गई थी आखिरकार आज वह अपने मुकाम पर आ गई है। राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर दिया है। उनके मुकाबले कोई अन्य कैंडिडेट नहीं है,  इसलिए सर्वसम्मति से राहुल की ताजपोशी तय है।

राहुल गांधी की पहचान जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी की विरासत के तौर पर है। राहुल अपने परनाना की विचारधारा के बोझ तले दबे हुए लगते हैं। मतदाताओं की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए उन्हें इससे बाहर निकलना होगा। पीएम नरेंद्र मोदी को गरीबों के साथ सीधे संवाद के लिए जाना जाता है, ऐसे में राहुल गांधी को भी ऐसे ही रास्ते तलाशने होंगे।

कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को मजबूती देना है। 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के हाथ से लगातार एक के बाद एक राज्यों की सत्ता निकलती गई। राहुल गांधी ऐसे वक्त पर कांग्रेस की कमान संभालने जा रहे हैं जब पार्टी सिमटकर सिर्फ छह राज्यों तक रह गई है।

ऐसे में संगठन को दोबारा खड़ा करने की जिम्मेदारी राहुल के कंधों पर होगी। राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ी पार्टी में नई जान डालने की है। सोशल मीडिया पर राहुल गांधी भले ही देर से ऐक्टिव हुए हैं, लेकिन अब उन्होंने मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।

राहुल गांधी ने अपने भाषणों में ऐसे देसी शब्द इस्तेमाल करने शुरू किए हैं, जो आम लोगों और गली-गली तक उनकी पहुंच को बढ़ाते हैं। अपने नए अवतार से उन्होंने खासा प्रभावित किया है, लेकिन पार्टी को नई दिशा और दृष्टिकोण देना सबसे बड़ी चुनौती है।

राहुल गांधी का मुकाबला मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है, जो बीजेपी की जीत के मंत्र बन चुके हैं। मोदी लहर के सहारे बीजेपी ने एक के बाद एक राज्य में जीत का परचम लहराया है। असम जैसे कांग्रेस के मजबूत किले को भी धराशाई करके बीजेपी सत्ता पर विराजमान हुई है। राहुल के सामने सबसे बड़ी चुनौती मोदी लहर का मुकाबले अपनी हवा को बनाना है।

कांग्रेस के हाथों से जिन वजहों से सत्ता गई और बीजेपी की सत्ता के दौर में कांग्रेस को लेकर जिस तरह मोदी सरकार बेफिक्र है उसकी वजह दो ही हैं। पहली, कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में कमजोर रही और बीजेपी विपक्ष में भूमिका में हमेशा मजबूत रही है। ऐसे में कांग्रेस को विपक्ष की भूमिका में लौटना होगा और मोदी सरकार के खिलाफ सड़क से संसद तक संघर्ष करना राहुल के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।

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