प्रदीप सिंह (प्रधान संपादक/ओपिनियन पोस्ट) । दुनिया में भ्रष्टाचार का शायद पहला मामला है जिसमें रिश्वत देने वाले जेल में हैं और रिश्वत लेने वाले खुले घूम रहे हैं। उनसे कोई सवाल भी नहीं पूछा जा रहा कि भाई जब अदालत में साबित हो गया कि रिश्वत दी गई और आप लोगों ने ली, फिर भी आप निर्दोष होने का दावा कैसे कर रहे हैं। जी हां बात इटली की फिनमेकेनिका कंपनी की सहायक कंपनी आॅगस्टा वेस्टलैंड की हो रही है। जिससे भारत सरकार ने अति विशिष्ट (वीवीआईपी) लोगों के लिए बारह हेलीकॉप्टर खरीदने का सौदा किया था। रिश्वत का संदेह हुआ तो इटली सरकार ने जांच के आदेश दे दिए। जांच में पाया गया कि कंपनी के अधिकारियों ने इस सौदे से जुड़े भारतीयों को करीब तीन सौ साठ करोड़ की रिश्वत दी। इटली की सरकार और जांच एजेंसियों ने बहुत कोशिश की कि भारत सरकार इस जांच में सहयोग करे। लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई। हां उसने यह जरूर किया कि अपने यहां एक सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। सौदा रद्द करके कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया। कंपनी ने जो बैंक गारंटी दी थी उसे भुना लिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने इतना करके सोचा था कि अब इसके बाद मामला दब जाएगा और वे रिश्वत लेने वालों को बचा सकेंगे। इटली की अदालत का जो फैसला आया है उससे साबित हो गया है कि दरअसल मनमोहन सिंह की सरकार ने कुछ लोगों को बचाने के लिए ये कदम उठाए थे। अदालत ने अपने फैसले में जांच में सहयोग न करने के लिए यूपीए सरकार की आलोचना की है।

इससे भी बड़ी बात यह है कि फैसले में श्रीमती गांधी का चार बार जिक्र है। इसके अलावा उनके राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल सहित दूसरे कांग्रेस नेताओं का भी नाम है। आॅगस्टा वेस्टलैंड का हेलीकॉप्टर सौदा दूसरा बोफोर्स बनने की ओर बढ़ रहा है। बोफोर्स के बाद यह पहला मौका है जब गांधी परिवार के किसी व्यक्ति का किसी रक्षा सौदे में दलाली में नाम आया है। बोफोर्स ने राजीव गांधी की मिस्टर क्लीन की छवि को मटियामेट कर दिया था। हेलीकॉप्टर सौदा सोनिया गांधी की त्याग की मूर्ति की छवि को ध्वस्त कर सकता है। भाजपा को इसमें राजनीतिक अवसर नजर आ रहा है। इसलिए इशरत के साथ ही इस मुद्दे पर भी आक्रामक हो गई है। इटली की अदालत में कांग्रेस नेताओं के फोटो दिखाकर उनकी पहचान कराई जा चुकी है। भाजपा ने सोनिया और कांग्रेस पर हमले के लिए राज्यसभा में पहुंचे सुब्रह्मण्यम स्वामी को आगे कर दिया है।

इस सूचना के बाद कांग्रेस बचाव की मुद्रा में आ गई है। भाजपा पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी से पूछ रही है कि वे बताएं कि दलाली लेने वाले नेता कौन हैं। क्या ये उनकी पार्टी के नेता हैं। इस घोटाले की आंच गांधी परिवार तक पहुंच रही है। इस वजह से कांग्रेस की परेशानी और बढ़ गई है। क्योंकि वह गांधी परिवार को बचाने के लिए किसी भी नेता की कुर्बानी दे सकती है। लेकिन मुश्किल यह है कि सोनिया गांधी का नाम सीधे आ रहा है। कांग्रेस की परेशानी का एक और कारण है कि जब तक मामला इटली की अदालत में चल रहा था इटली की जांच एजेंसी गोपनीयता के कानून से बंधी थी। अब अदालत का फैसला आने के बाद वह भारतीय एजेंसियों से जानकारी साझा करने के लिए स्वतंत्र है। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले की जांच तेज कर दी है।

दरअसल मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार के दूसरे कार्यकाल में जितने घोटाले हुए उससे कांग्रेस की इस मुद्दे पर कोई साख नहीं बची है। वह जवाब देने की बजाय सवाल कर रही है। एंटनी बता रहे हैं कि मामला सामने आने के बाद उन्होंने क्या क्या किया। लेकिन वे यह नहीं बता रहे कि जब पता चल गया था कि दलाली ली गई तो दलाली लेने वालों को पकड़ने का कोई प्रयास क्यों नहीं हुआ। यूपीए दो के कार्यकाल की दुर्भाग्यपूर्ण बात यह नहीं रही कि इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। उससे ज्यादा दुखद यह है कि मनमोहन सिंह और एंटनी जैसे ईमानदार नेताओं के रहते और उनकी जानकारी में भ्रष्टाचार हुआ। उस सरकार में भ्रष्ट नेता और मंत्री जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा लूटते रहे और ईमानदार माने जाने वाले लोग उन्हें बचाते रहे। जिन पर चौकीदारी का जिम्मा था उन्हीं की निगहबानी में देश का खजाना लुटता रहा। अब यह जिम्मेदारी नरेन्द्र मोदी की सरकार की है कि वह इस मामले पर राजनीतिक फायदा उठाने से आगे जाए और दोषियों को सजा दिलाए। क्योंकि इस सौदे में नेता, रक्षा मंत्रालय के नौकरशाह और तत्कालीन एयर चीफ मार्शल एस पी त्यागी (उनके परिवार के लोग भी) सब शामिल थे। जांच इस बात की भी होनी चाहिए कि इस मामले की सीबीआई जांच में अड़ंगा लगाने की कोशिश किस स्तर पर हुई। क्योंकि इटली की अपीलीय अदालत (हाईकोर्ट) के फैसले में कहा गया है कि जांच को रुकवाने के लिए इटली के नेताओं और दूतावास का इस्तेमाल मनमोहन सिंह को प्रभावित करने के लिए हुआ।