नई दिल्‍ली। सांस्‍कृतिक, ऐतिहासिक और विकास के वर्तमान राजनीतिक व सामाजिक परिदृश्‍य को देखें तो चीन उतना ही दिलचस्‍प देश है जितना कि भारत रहा है। दोनों देशों की सरहदें आपस में मिली हुई हैं। दोनों के व्‍यापारिक संबंध भी कोई नए नहीं हैं। दोनों प्राचीन सभ्‍यता और संस्‍कृति वाले देश हैं। बौद्ध धर्म के बारे में जानने के लिए लगभग तीसरी शताब्‍दी में फाह्यान भारत पहुंचे तो चीन में बौद्ध धर्म का प्रसार करने भारत से कई विद्वान और बौद्ध भिक्षु भी चीन गए। 1962 के युद्ध को छोड़ दें तो दोनों पड़ोसियों के बीच कोई बड़ी कटुता नहीं रही है।

बावजूद इसके, कई कारणों से हम चीन के बारे में बहुत ज्‍यादा नहीं जानते। इसकी एक वजह भाषा है, तो दूसरी भ्रांतियां हैं। बस इतना ही हम जानते हैं कि चीन की जनसंख्‍या हमसे ज्‍यादा है। अब यह कि ‘मेड इन चाइना’ सस्‍ता तो बहुत है पर भरोसेमंद बिलकुल नहीं। लेकिन चीन में इसके अलावा ऐसा बहुत कुछ है जिसे जानना न सिर्फ इन दोनों देशों के बेहतर रिश्‍तों के लिए जरूरी है, बल्कि ऐसे भी अनेक पहलू हैं जिन्‍हें जानकर हम अपने देश में भी कुछ बेहतर नागरिक होने की कोशिश कर सकते हैं। मसलन नागरिक अनुशासन, स्‍वच्‍छता को लेकर सार्वजनिक सहमति और इसके लिए लगातार किया जाने वाला उद्यम। आम चीनी लोगों की बात करें तो उनमें अदब है, अपने देश के लिए जज्‍बा है, श्रम के प्रति सम्‍मान है। उन्‍हें कानून को तोड़ने की नहीं बल्कि पालन करने की आदत है।

चीन में मेरा शुरुआती दौर था। एक दिन मेरे किचन में ऊपर के फ्लैट से पानी टपक रहा था। रात का समय था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्‍या करूं। इसी बीच किसी ने मेरा दरवाजा खटखटाया। मैंने दरवाजा खोला तो एक चाइनीज खड़ा था। वह मुझे देखकर हक्‍का-बक्‍का रह गया। उसे यह आभास नहीं था कि इस कमरे में कोई विदेशी रहता है। उसने मुझे सॉरी बोला और सुबह कमरे की सफाई करने की बात कही। हालांकि कमरे में पानी ज्‍यादा नहीं था और इसमें उसकी कोई गलती भी नहीं थी। दरअसल, बिल्डिंग के ड्रेनेज से पानी लीक हो रहा था। मुझसे सॉरी कहने आया वह व्‍यक्ति एक प्राइवेट कंपनी में बड़ी पोस्‍ट पर था। वह चीन में मेरा पहला दोस्‍त बना। कहने का मतलब है कि शिष्‍टाचार चीनियों की आदत में शुमार है।

चीनियों में देशभक्ति और सेवा करने की भी आदत है। रेलवे स्‍टेशन और सड़कों पर तैनात स्‍वयंसेवकों में अधिकांश रिटायर्ड कर्मचारी होते हैं। ये लोग अपनी सामान्‍य दिनचर्या में से कुछ समय निकाल कर देशसेवा में लगाते हैं। काम छोटा या बड़ा नहीं होता है, इसे भी चीन में महसूस किया जा सकता है। अच्‍छा काम करने वाले कर्मचारियों की फोटो अपार्टमेंट्स तक में लगी रहती हैं। देखने में यह सब सामान्‍य चीजें हैं, मगर किसी देश को आगे ले जाने में इनका भी अहम योगदान होता है। चीन ने विकास के क्षेत्र में जो कायाकल्‍प किया है, वह दुनिया के लिए आश्‍चर्य हो सकता है। आसमान छूती इमारतें और चौड़ी सड़कें चीनियों के जज्‍बे का ही परिणाम हैं।

(अनिल आज़ाद पांडेय की पुस्‍तक ‘हैलो चीन!’ से साभार)