पलवल सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले करण सिंह दलाल हरियाणा के एक ऐसे कांग्रेसी विधायक हैं जो बोलने में बेहद अक्खड़ हैं। लाग-लपेट की बजाय सीधी बात करते हैं। इन दिनों प्रदेश कांग्रेस में जो कुछ चल रहा है उसे लेकर बेहद असंतुष्ट हैं। इनेलो से इनकी अदावत पुरानी है। विधानसभा में अभय चौटाला से जूता प्रकरण के बाद तो वे ज्यादा ही खार खाए बैठे हैं। इनेलो और बसपा के गठबंधन से चुनावों में पड़ने वाले प्रभाव को लेकर मलिक असगर हाशमी ने उनसे बात की :

बसपा और इनेलो के गठबंधन का चुनाव पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
असली गठबंधन तो भाजपा और इनेलो का है। इनेलो आज भाजपा के हाथों में खेल रही है। बहुजन समाज से तो छलावा कर रहे हैं ये लोग। भूपेंद्र सिंह हुड्डा जब दस साल शासन में रहे तो इनेलो का नामोनिशान मिटने की नौबत आ गई थी। अब जब हुड्डा जी को पीछे कर दिया गया है तो ये फिर सामने आने लगे हैं। भाजपा की यही कोशिश है कि हुड्डा के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा मुकदमे बनाओ ताकि उनकी बदनामी हो। इनेलो नेताओं के बने हुए मुकदमों में मदद करो जिससे वे आपस में लड़ते हुए नजर आएं और बीच में से उनका दांव निकल जाए। लेकिन उनका यह ख्वाब कभी पूरा नहीं होगा।

पिछला चुनाव तो हुड्डा के नेतृत्व में ही लड़ा गया था, फिर भी कांग्रेस को सीटें कम आर्इं?
पिछले चुनाव में कांग्रेस का वही फैसला था, टिकटें अपनी मर्जी से देने का। कांग्रेस के नेता ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस नेतृत्व की खिलाफत करते रहते थे। आज भी कांग्रेस में आपस में ही विरोध हो रहा है। विरोधी से तो कोई लड़ ही नहीं रहा। अगर प्रदेश में पार्टी सही नेतृत्व प्रदान करे तोे इनेलो कहीं दिखाई भी नहीं देगी। विधानसभा में मैंने जो मुद्दा उठाया 26 लाख गरीब लोगों के राशन काटने का उस पर अभय चौटाला ने भाजपा का साथ दिया। गरीबों की आवाज दबाने की कोशिश की। हरियाणा के लोग अच्छी तरह जानते हैं कि चौधरी देवीलाल परिवार और इनेलो के लोग तो असली दुश्मन गरीब और दलित के ही हैं। गरीब लोग इनेलो पर विश्वास नहीं करते। वे जानते हैं कि हमारे असली दुश्मन तो यही हैं। यहां तो गरीब लोग कांग्रेस के साथ रहना चाहते हैं।
हुड्डा का विकल्प कौन हो सकता है?
दस साल के कार्यकाल में हुड्डा जी ने जो काम किए लोगों ने उसे पसंद किया। कांग्रेस की हुकूमत को लोग इसलिए याद करते हैं कि हुड्डा जी ने हर वर्ग का भला करने की कोशिश की। आज के दिन हुड्डा जी जैसा कद्दावर नेता हरियाणा में एक भी नहीं है। आप सर्वे करा लीजिए। अभय चौटाला तो एक क्रिमिनल है जो एक विधायक को विधानसभा में सरेआम गोली मारने की बात कर सकता है। उसने तो अपने अतीत की याद दिला दी जब उसने अपनी पत्नी को सिर में गोली मारी थी। अमीर सिंह था महम कांड में, चुनाव में उम्मीदवार बनाया था, उसके सिर में भी गोली लगी थी। कितनी आपराधिक घटनाओं में अभय चौटाला शामिल रहा है। जरा सोचिए, यदि अभय चौटाला सीएम बन जाता है तो यहां न जाने दिनदहाड़े कितने बलात्कार, हत्याएं होंंगी। यह तो क्रिमिनल गैंग है… एक गिरोह है… पार्टी नहीं है। अभय चौटाला विधानसभा में कभी सरकार की खिलाफत नहीं करता, हुड्डा की खिलाफत करता है। यह कैसा विपक्ष का नेता है जो विपक्ष के विधायक को गोली मारने की बात करता है। वह भी गरीबों के सवाल पर। बीपीएल परिवार के 26 लाख लोगों के नाम काट दिए गए और मंत्री ने बकायदा जवाब दिया कि हां हमने नाम काटे हैं। उसे विपक्ष का साथ देना चाहिए था, वह सरकार का साथ दे रहा है।

अभय चौटाला से लड़ाई कहां तक जाएगी?
मेरी इनसे लड़ाई कोई नई नहीं है। इनके मुकदमों में मैं ही तो गवाह हूं। वर्ष 2000 में जब इनकी हुकूमत थी तो मैं कांग्रेस का अकेला एमएलए था। पांच साल तक इनसे अकेले लड़ता रहा। इनके खिलाफ जितने सबूत हैं, हाई कोर्ट में जितने केस हैं, वह सब मेरे डाले हुए हैं। जो जार्चशीट बनी थी, वह मैंने बनवाई थी। सीबीआई के केस में गवाह मैं हूं। मेरी लड़ाई उसूलों की लड़ाई है। इनेलो एक गिरोह है और हरियाणा को दीमक की तरह चट कर रहा है। इनकी साजिश यह है कि ये हमेशा अपनी पार्टी में कम पढ़े-लिखे लोगों को टिकट देते हैं जो इनके आगे बोल न सकें। मैंने इनका मुकाबला किया तो ये पीछे हटे। मैं इनकी गीदड़ भभकियों में न पहले आता था और न आज आ रहा हूं। यह तो मेरी बदकिस्मती है कि पार्टी में मेरी कोई हैसियत नहीं है। वरना मैं तो इन्हें दिन में तारे दिखा दूं। एक छोटा सा मुद्दा था मेरा और ऐसा मुद्दा बना कि पार्टी ने मुद्दे का वैसा फायदा नहीं उठाया जैसे उठाना चाहिए था।

बहुत सारे मुद्दे हैं जिस पर सरकार को घेरा जा सकता था?
यही तो रोना है। आज लोग कांग्रेस से नहीं जुड़ पा रहे हैं, उसका कारण यही है कि जनहित के मुददों को जब तक पार्टी आगे नहीं करेगी। जैसे डीजल-पेट्रोल है, महंगाई है, बेरोजगारी है, कानून-व्यवस्था है, ये मुद्दे न उठाकर जगह-जगह गुटबाजी नजर आती है। इसलिए जब तक इन चीजोंं को भुलाकर कांग्रेस सख्ती से लोगों की आवाज नहीं बनेगी तब तक ऐरे-गैरे फायदा उठाते रहेंगे। 