नई दिल्ली।

डोकलाम विवाद के बाद से चीन लगातार आक्रामक होता जा रहा है। उसने अभी लद्दाख में भी घुसपैठ की कोशिश की। इसके मद्देनजर भारत ने चीन से निपटने के लिए सीमा पर तैयारी तेज कर दी है। भारत-चीन सीमा पर सामरिक सड़कों के निर्माण में अब तेजी लाई जाएगी। उसके लिए सरकार ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को अधिक प्रशासनिक एवं वित्तीय शक्तियां दी हैं। उधर, रक्षा मंत्रालय ने सामरिक सड़कों के निर्माण में अत्यधिक देर पर चिंता जताई है।

अब महानिदेशक को साढ़े 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये की वित्‍तीय शक्ति दी गई है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण 61 सड़कों का बीआरओ द्वारा भारत-चीन सीमा सड़क (आईसीबीआर) परियोजना के तहत निर्माण में अत्यधिक देर होने पर सख्त एतराज जताया था, जिसके कुछ महीने बाद बीआरओ को अतिरिक्त शक्तियां देने का फैसला किया गया है। इन सड़कों की कुल लंबाई 3,409 किलोमीटर है।

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि बीआरओ में बहुत बड़ा बदलाव लाने का इरादा है ताकि कार्य की गति को बेहतर किया जा सके और सेना की जरूरत के मुताबिक वांछित नतीजे प्राप्त किए जा सकें। मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने बीआरओ को अतिरिक्त प्रशासनिक शक्तियां देने के अलावा स्वदेशी एवं आयातित निर्माण मशीन एवं उपकरण की खरीद के लिए बीआरओ महानिदेशक की वित्तीय शक्तियां बढ़ा कर 100 करोड़ रुपये तक कर दी गई हैं। पहले महानिदेशक को 7.5 करोड़ रुपये तक के स्वदेशी उपकरण और तीन करोड़ रूपये के आयातित उपकरण खरीदने की शक्ति प्राप्त थी।

रक्षा मंत्रालय ने टर्नकी आधार पर सड़क परियोजनाओं के काम में बड़ी कंपनियों को लगाने की बीआरओ को इजाजत देने के लिए नीतिगत दिशानिर्देश को भी मंजूरी दी है। डोकलाम को लेकर भारत और चीन की सेनाओं के बीच तकरार होने के मद्देनजर बीआरओ को ये शक्तियां दी गई हैं।

सूत्रों की मानें तो भारत-चीन सीमा पर उन सड़कों के निर्माण में देर होने को लेकर भारतीय थल सेना नाखुश है और रक्षा मंत्रालय से परियोजना में तेजी लाने का अनुरोध किया था जिन्हें मूल रूप से 2012 में पूरा होना था। मंत्रालय ने कहा कि बीआरओ का एक चीफ इंजीनियर अब 50  करोड़ रुपये तक,  अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) 75 करोड़ रुपये तक और महानिदेशक 100  करोड़ रुपये तक के ठेकों के लिए प्रशासनिक मंजूरी दे सकता है।

इन परियोजनाओं को विभागीय या अनुबंधीय प्रणाली के तौर पर पूरा किया जा सकता है। साथ ही जवाबदेही तय करने को लेकर कार्य की प्रगति की ऑनलाइन निगरानी के लिए एक साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। अब चीन सीमा से सटे इलाकों में सड़क निर्माण का कार्य तेज गति से होगा।

हाल ही में चीन के साथ डोकलाम और लद्दाख में हुई भिड़ंत के बाद से भारत की चिंता बढ़ गई है। चीन लगातार धमकियां दे रहा है। ऐसे में भारत को चीन से मुकाबला करने के लिए तैयार होना चाहिए। इसके मद्देनजर सरकार ने सीमा से सटी सड़कों के निर्माण कार्य को जल्द पूरा करने के लिए यह अहम कदम उठाया है।