बीजेपी को यूपी में सत्ता से ज्यादा प्रेसीडेंट चुनाव के लिए वोटों की दरकार

सुनील वर्मा
नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश विधान सभा का चुनाव बीजेपी के लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण है की पीएम मोदी से लेकर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है । क्या यूपी में सत्ता हासिल करना बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है । ऐसे सवाल होना लाजिमी है । लेकिन यूपी की सत्ता से बड़ा भी एक मकसद है जिसकी खातिर बीजेपी ने ज्यादा से ज्यादा सीट हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगाई हुई है । वो मकसद है यूपी चुनाव के जरिये राष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिक से अधिक वोट जुटाना ।
दरअसल, देश के पांच राज्यों में हो रहे विधान सभा चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा यूपी विधान सभा की हो रही है। देश के सबसे बड़े सूबे की सत्ता हासिल करने के लिए सभी दलों में होड़ है। लेकिन केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के लिए ये चुनाव एक अन्य मायने में बहुत खास है। इस चुनाव में न केवल पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की प्रतिष्ठा दांव पर है बल्कि आगामी राष्ट्रपति चुनाव में मनचाहे उम्मीदवार को विजयी बनवाने के लिए भी उसे यूपी में कम से कम 150 सीटें जीतनी होंगी। तब जाकर वो दूसरे दलों के सहयोग से अपने मनचाहे उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनवा सकेगी। मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इस साल जुलाई में पूरा हो रहा है।
राष्ट्रपति इलेक्टोरल कॉलेज में भाजपा के पास अभी 3.80 लाख वोट हैं। अपने पसंदीदा उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनवाने के लिए भाजपा को 5.49 लाख वोट चाहिए होंगे। इसका मतलब हुआ कि उसके पास जरूरत से 1.7 लाख वोट कम हैं। अगर केंद्र और राज्यों में भाजपा के साझीदारों को वोट करीब एक लाख हैं। ऐसे में पार्टी को 70 हजार और वोटों की जरूरत पड़ेगी। इस स्थिति में उत्तर प्रदेश चुनाव का परिणाम भाजपा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। यूपी में कुल 403 विधान सभा सीटें हैं जिनका राष्ट्रपति के इलेक्टोरल कॉलेज में कुल वोट 83,824 होता है।
राष्ट्रपति का चुनाव लोक सभा, राज्य सभा और सभी राज्यों के सभी सदनों (विधान सभा और विधान परिषद) के संयुक्त वोटों द्वारा होता है। इनमें केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और पुदुच्चेरी के वोट भी शामिल होते हैं। संसद या राज्य की विधान सभा में नामित सदस्यों का वोट राष्ट्रपति चुनाव में मान्य नहीं होता।
राष्ट्रपति चुनाव में हर वोट का मूल्य 1971 की जनगणना के आधार पर किया जाता है। इसलिए राष्ट्रपति चुनाव में हर राज्य के विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग होता है। देश के सर्वाधिक आबादी वाला राज्य होने के नाते यूपी के विधायकों के वोट का मूल्य सर्वाधिक (208) है। वहीं सिक्किम के विधायकों के वोट का मूल्य सबसे कम (7) है।
जिन पांच राज्यों (यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर) में चुनाव हो रहे हैं उनमें से चार में भाजपा मुकाबले में है। लेकिन पार्टी को सबसे ज्यादा उम्मीद यूपी से है। भाजपा यूपी में 150 सीटें जीतती है तो उसे राष्ट्रपति चुनाव के लिए 31200 वोट मिलेंगे। अगर भाजपा केवल 100 सीटें जीत पाती है तो उसे राष्ट्रपति इलेक्टोरल कॉलेज में 20,800 मिलेंगे। पंजाब में भाजपा और उसकी साझीदार अकाली दल सत्ता में थी। पंजाब में मतदान से पहले के ओपिनियन पोल के मुताबिक भाजपा-अकाली गठबंधन को राज्य में भारी नुकसान हो सकता है।
इसके बावजूद भाजपा के पास कुछ वोटों की कमी रह जाएगी। ऐसे में भाजपा एआईएडीएमके जैसी पार्टियों से राष्ट्रपति चुनाव में सहयोग ले सकती है। एआईएडीएमके के पास कुल 50 सांसद (37 लोक सभा और 13 राज्य सभा) हैं। तमिलनाडु विधान सभा एआईएडीएमके के कुल 135 विधायक हैं। एआईएडीएमके के सभी सांसदों और विधायकों का राष्ट्रपति चुनाव में वोट मूल्य 59160 है। यानी जयललिता के निधन के बाद अंदरूनी कलह की शिकार एआईएडीएमके राज्य से बाहर राष्ट्रपति चुनाव में निर्णायक भूमिका में होगी। लेकिन आने वाले दिनों में तमिलनाडु की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा कोई नहीं कह सकता । इसलिए बीजेपी को यूपी काम से कम 150 सीटों की दरकार है ।

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