पटना। शिक्षा के नाम पर दुकान चला रहे स्‍कूलों पर आखिरकार कार्रवाई शुरू हो गई है। बिहार के टॉपर घोटाले में बिहार स्कूल इग्जामिनेशन बोर्ड (बीएसईबी) ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई की। बोर्ड ने घोटाले की जांच के बाद दोषी पाए गए 68 इंटर कॉलेजों और 19 स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी है।

पिछले दिनों एक टीवी न्‍यूज चैनल ने खबर दिखाई थी कि बिहार बोर्ड में 12वीं में टॉप करने वाले छात्रों को अपने विषयों की बेसिक जानकारी भी नहीं है, जिसके बाद बिहार सरकार और बिहार बोर्ड हरकत में आ गया था और परिणाम रद्द कर दिए गए थे।

बिहार बोर्ड के सूत्रों ने बताया कि जिन कालेजों की मान्यता रद की गई है उनमें पटना, नालंदा, रोहतास, कैमूर, बक्सर, नवादा, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, मुजफ्फरपुर, सिवान, गोपालगंज, लखीसराय, खगड़िया, जमुई, समस्तीपुर, सहरसा, भागलपुर, बांका और पूर्णिया के इंटर कालेज शामिल हैं।

फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद इस मामले की जांच एसआईटी के हवाले कर दी गई थी और बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष और सचिव सहित करीब दो दर्जन लोग इस मामले में जेल में हैं। एसआइटी ने फर्जी टॉपरों और उनके अभिभावकों पर भी मुकदमा किया है। फर्जी टॉपरों के रिजल्ट रद कर दिए गए हैं। वैशाली के बच्चा राय कॉलेज सहित कई संस्थानों के परिणाम भी रोक दिए गए हैं।

क्या है बिहार टॉपर्स घोटाला?

बिहार टॉपर्स घोटाला इस साल मई में उस वक्त सामने आया था जब बिहार बोर्ड में आर्ट्स की टॉपर रूबी राय और साइंस के टॉपर सौरभ श्रेष्ठ का इंटरव्यू लेने कुछ पत्रकार उनके घर पहुंच गए। कैमरे के सामने जब दोनों से उनके विषयों को लेकर मामूली से सवाल किए गए तो वे उनका जवाब नहीं दे सके थे। यहां तक कि रूबी राय अपने विषय ‘पोलिटिकल साइंस’ का सही उच्चारण नहीं कर पा रही थी। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और विशुनराय कॉलेज के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई।