२०१६ कांग्रेस के लिए बेहद चुनौती भरा साल है दो राज्यों उत्तराखंड और अरुणाचल में बिना चुनावी हार जीत के ही सत्ता हाथ से गवानी पड़ी है। असम केरल और बंगाल में भी हालत कुछ अच्छी नहीं है। २०१७ में उत्तर प्रदेश और पंजाब का डर अभी से सताने लगा है। इन्ही सब मुद्दों पर कार्यकारी संपादकआशुतोष पाठक  ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महासचिव दिग्विजय सिंह से बात की।

ओपिनियन पोस्ट-आपको नहीं लगता २०१४ की हार के बाद ये साल आपके लिए बेहद चुनौती भरा है। बिना चुनाव के ही आप दो राज्यों में सत्ता गवां चके हैं और बाकी राज्यों में भी सत्ता जाने का डर है। क्या कांग्रेस बेचैन है ?

दिग्विजय सिंह -बेचैन तो मैं नहीं कहूंगा, हाँ कांग्रेस के लिए ये चिंतन का विषय जरूर है। और निश्चित रूप से गम्भीर चिंतन का। आप ठीक कह रहे हैं। मोदी सरकार हर तरह का तिकड़म कर रही है लोभ देकर पार्टी तोड़ने का भी काम कर रही है। मैं मानता हूं हमारी कुछ आपसी कमजोरी का वो लाभ उठा रहे हैं। लेकिन पार्टी विद डिफरेंस कहने वाले लोग अब कहां छुप गए हैं। इनकी कोई विचारधारा नहीं है। इन्हें किसी भी हालत में सत्ता चाहिए। उसके लिए ये क्या क्या कर सकते हैं ये किसी से छिपा नहीं है। रही बात असम और केरल की तो असम का मैं सात साल प्रभारी रहा हूं। मैं कह सकता हु कि तरुण गोगोई ने वहां अच्छा काम किया है और हमें उम्मीद है कि जनता का हमें आशीर्वाद मिलेगा। हालांकि भाजपा हर जगह साम्प्रदायिक कार्ड खेलती है, वहां भी उन्होंने यही किया है लेकिन जनता समझदार है। केरल और बंगाल में भी हम अच्छा करेंगे इन्तजार कीजिये।

ओपिनियन पोस्ट-तो आपके हिसाब से कांग्रेस के लिए हालात सन्तोषप्रद है?

दिग्विजय सिंह -नहीं मैं ये तो नहीं कहूंगा कि हालात से हम संतुष्ट हैं लेकिन मैदान में कन्विक्शन के साथ डटे हैं। परिणाम कुछ भी हो हमें तो ईमानदारी से अपना काम करना पड़ेगा।

ओपिनियन पोस्ट -बिहार में आप सरकार में हैं और आपके बड़े सहयोगी की अब राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा है, आप उनको सहयोग करेंगे ?

दिग्विजय सिंह -आपका इशारा नितीश जी की तरफ है। देखिये प्रधानमंत्री का सपना हर किसी को देखने का हक़ है। लेकिन ये भी आपको याद रखना चाहिए की वो भाजपा से रिश्ता तोड़कर हमारे साथ आये हैं। वो हमारी विचारधारा से अगर सहमत नहीं होते तो हमारे साथ नहीं आते और उनकी पार्टी एक क्षेत्रीय पार्टी है, हम एक राष्ट्रीय पार्टी हैं। ऐसा कैसे संभव है कि बिहार के अलावा किसी भी राज्य में उनकी पहुंच न हो और वो सीधे केन्द्र पहुंच जाएँ। लेकिन अगर वो केन्द्र पहुंचने के लिए भी कोई रणनीति बनाते हैं तो हमारी शुभकामना है।

ओपिनियन पोस्ट-मोदी जी अब काम पर फोकस कर रहे हैं, रिजल्ट के लिए वो टारगेट टाइम भी फिक्स कर रहे हैं। अगर ऐसे ही उनकी रफ़्तार चलती रही तो कांग्रेस के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो जायेगी?

दिग्विजय सिंह -अगर आप लोगों को लग रहा है कि मोदी जी काम कर रहे हैं तो फिर आपको

मुबारक हो। मुझे तो लग रहा है कि वो सिर्फ भाषण पर फोकस कर रहे हैं। क्या आप चाहते हैं कि मैं ये गिनाऊं कि उन्होंने क्या कहा था और क्या कर रहे हैं। मुझे लगता है उसका जिक्र निरर्थक होगा।

ओपिनियन पोस्ट -उत्तर प्रदेश और पंजाब में प्रशांत किशोर पर ही दांव काम कर जाएगा ?

दिग्विजय सिंह -नहीं हमारा पूरा संगठन एकजुट है हम सभी मेहनत कर रहे हैं मधुसूदन जी उत्तर प्रदेश के प्रभारी हैं और प्रशांत भी हमें सहयोग कर रहे हैं।

ओपिनियन पोस्ट -मध्यप्रदेश में कमलनाथ जी को कमान सौंपने की बात चल रही है आप फिर दृश्य से बाहर हैं ?

दिग्विजय सिंह —-मैं अपने को मध्यप्रदेश से बाहर कर चुका हूं। मुझे मध्य प्रदेश की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है। अभी तो वहां अरुण यादव हैं, अगर कमलनाथ जी जाते हैं तो मुझे ख़ुशी होगी।

ओपिनियन पोस्ट -तो कांग्रेस में आप अपनी भूमिका क्या देखते हैं ?

दिग्विजय सिंह -गांधी फैमिली का लोयलिस्ट बने रहना।

ओपिनियन पोस्ट -मतलब सिर्फ यही एक काम रहेगा आपका ?

दिग्विजय सिंह —हां बिल्कुल। मैं गांधी फैमिली का विश्वासी बना रहूं, इसे मैं एक उपलब्धि मानता हूं।

ओपिनियन पोस्ट -लेकिन लोग इसे दूसरे अर्थ में नहीं लेंगे ?

दिग्विजय सिंह -हां मुझे मालुम है। लेकिन गांधी फैमिली एक विचार का प्रतिनिधि है और मैं उस विचार से ताउम्र जुड़ा रहूँगा। ये जो मुझे काम देंगे मैं वही करूँगा।