नई दिल्ली। कर्मचारी संगठनों और विपक्ष के बढ़ते विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2015-16 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर 8.8 प्रतिशत की दर से ब्याज दिए जाने को मंजूरी दे दी है। पहले सरकार ने 8.7 प्रतिशत की दर से ब्याज देने का फैसला किया था।

यह तीसरा मौका है जब सरकार को वार्षिक बजट में ईपीएफ से जुड़े प्रस्ताव को वापस लेना पड़ा है। इससे पहले ईपीएफ निकासी पर टैक्स लगाने और ईपीएफ खाते में नियोक्ता द्वारा जमा राशि को निकालने के लिए कर्मचारियों की आयु सीमा बढ़ाकर 58 वर्ष किए जाने के प्रस्ताव को भी भारी विरोध के बाद वापस लेना पड़ा था। ये दोनों ही प्रस्ताव लाखों नौकरीपेशा लोगों के खिलाफ बताए गए थे और मध्य वर्ग एवं कर्मचारी यूनियनों में इसके खिलाफ काफी गुस्सा था।

सरकार ने श्रमिक संगठनों के विरोध की धमकी के बाद यह फैसला लिया है। इससे पहले सोमवार को केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) पर वर्ष 2015-16 के लिए पीएफ पर ब्याज दर 8.75 से घटाकर 8.7 करने पर मुहर लगा दी थी। हालांकि ईपीएफओ 8.95 फीसदी ब्याज देने की स्थि‍ति में था और इसके बाद भी ईपीएफओ के खाते में 91 करोड़ रुपये सरप्लस बच जाते। लेकिन ट्रस्टी बोर्ड की बैठक में 8.80 फीसदी ब्याज देने का निर्णय लिया गया था जिसका विरोध उस समय ट्रस्टी के सदस्यों ने भी किया था। ट्रस्टी बोर्ड के सदस्यों ने ईपीएफ को हुई आमदनी के अनुसार 8.95 फीसदी ब्याज दिए जाने की मांग की थी लेकिन बोर्ड में इस पर सहमति नहीं बन सकी।