लखनऊ। लैपटॉप के बाद अब लोगों को लुभाने के लिए अखिलेश सरकार ने मुफ्त स्मार्टफोन का ऑफर देकर मास्‍टर स्‍ट्रोक मारा है। अगले साल यूपी में चुनाव होने हैं। अब स्मार्टफोन इस शर्त के साथ दिए जाएंगे कि लोग स्मार्टफोन के लिए आवेदन कर सकते हैं,  लेकिन डिलीवरी उन्हें 2017 की दूसरी छमाही में मिलेगी। साफ है कि समाजवादी पार्टी अगर सत्ता में आई तो वह इस वादे को पूरा करेगी। यहां आपको बता दें कि इससे पहले गर्भवती महिलाओं की सेहत को तकनीक से सुधारने की कवायद भी सपा सरकार कर चुकी है। एम सेहत नाम के ऐप से लैस स्‍मार्ट फोन आशा कार्यकत्रियों को मुफ्त में थमाए जा चुके हैं। हालांकि यह योजना बिजली के बगैर टांय टांय फिस्स्‍ा हो चुकी है। उधर, एक टीवी कार्यक्रम में अखिलेश ने दो टूक शब्दों में कहा, मुख्तार अंसारी किसी भी सूरत में सपा का हिस्सा नहीं होंगे, जबकि इससे ठीक पहले उनके चाचा शिवपाल ने कहा था कि शीघ्र ही कौमी एकता दल का सपा में विलय होगा। इस प्रकार चाचा-भतीजा एकदूसरे के विरोध में बयान देते हैं और लड़ाई कराने का दोष मीडिया पर मढ़ देते हैं। आपको याद होगा कि अपने चाचा शिवपाल से सुलह के दौरान अखिलेश यादव ने कहा था कि चाचा-भतीजे में कोई मतभेद नहीं है, लड़ाई तो मीडिया वाले कराते हैं।

सरकारी दस्तावेज के मुताबिक, स्‍मार्ट फोन गरीब लोगों को सरकारी योजनाओं और नीतियों के बारे में भी शिक्षित करेगा। इसमें लेटेस्ट सॉफ्टवेयर होंगे। साथ ही इसमें एक ऐप डाउनलॉड होगी, जहां यूजर राज्य सरकार की नीतियों पर अपनी प्रतिक्रिया भी साझा कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश में रहने वाला कोई भी जो 18 साल का हो,  इस फोन के लिए निवेदन कर सकता है। साथ ही निवेदन करने वाले की आय 2 लाख रुपये सालाना से कम होनी चाहिए। इस स्कीम को हरी झंडी मिलने के महीने भर बाद ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू किए जा सकते हैं। संभावना जताई जा रही है कि स्कीम को क्लियरेंस इसी हफ्ते में मिल जाएगी। सत्ताधारी समाजवादी पार्टी का मानना है कि स्मार्टफोन युवा मतदाताओं में निश्चितरूप से हिट हो जाएगा।

हाल ही में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी इस योजना का संकेत दिया था। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी की सोच है कि वह नई जेनेरेशन को कुछ ऐसा दे,  जिससे वह सरकार के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सके और सरकार से अपनी इच्छाओं को भी जाहिर कर सके। लोग मोबाइल एप्लीकेशन के जरिये अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।

2012 में समाजवादी पार्टी सत्ता में लौटी। छात्रों के लिए मुफ्त लैपटॉप उनका एक प्रमुख वादा था। इस वादे को 43 साल के मुख्यमंत्री ने पूरा किया लेकिन इसमें भी विवाद हुआ। तमाम समस्याओं के अलावा इस योजना में एचपी का करोड़ों का बकाया रहा। एचपी ने ही लैपटॉप सरकार को दिए थे। यूपी में 2017 में चुनाव होने हैं, जहां समाजवादी पार्टी, भाजपा, मायावती की बसपा और कांग्रेस में कड़ी टक्कर होगी।