बिसाहड़ा कांड पर फिर राजनीति

नई दिल्ली : पिछले साल देश की सियासत में भूचाल लाने वाले उत्तर प्रदेश के दादरी से सटे बिसाहड़ा गांव के अखलाक हत्याकांड में नई फोरेंसिक रिपोर्ट आने से एक बार फिर माहौल गरमाने लगा है। इस रिपोर्ट को आधार बनाकर नए सिरे से राजनीति शुरू हो गई है। एक तरफ भाजपा नेता योगी आदित्यनाथ ने अखलाक के परिवार वालों को मिले मुआवजे को वापस लेने की मांग की है तो वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि रिपोर्ट में जिस सैंपल को गोमांस बताया गया है वह अखलाक के घर के फ्रिज से नहीं बल्कि उसके घर के पास से लिया गया था।
अखलाक की फाइल फोटो
अखलाक की फाइल फोटो
पुलिस का भी कहना है कि मथुरा फोरेंसिक लैब ने जिस सैंपल को गोमांस बताया है वह अखलाक के घर के पास से लिया गया था। दादरी के डीएसपी अनुराग सिंह ने साफ किया है कि उस दिन बिसाहड़ा गांव में मांस का सिर्फ एक सैम्पल लिया गया था। मांस का यह टुकड़ा अखलाक के घर के पास एक ट्रांसफ़ार्मर के नज़दीक मिला था। उसका शव भी वहीं पाया गया था।। इसकी शुरूआती रिपोर्ट एक वेटनरी डॉक्टर ने तैयार की थी। तब यह मटन जैसा लग रहा था लेकिन बाद में इसकी पुष्टि के लिए इसे मथुरा फोरेंसिक लैब भेजा गया। यही रिपोर्ट अब सामने आई है।
वहीं नोएडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक किरन एस ने साफ किया कि  सैंपल के गोमांस होने से जांच पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह अखलाक की हत्या का मामला है न कि गोहत्या का।
मालूम हो कि गौतमबुद्धनगर जिले के दादरी स्थित बिसाहड़ा गांव में पिछले साल 28 सितम्बर को घर में गोमांस खाने की आशंका में भीड़ ने अखलाक के घर में घुस कर उसे और उसके बेटे दानिश को मारा-पीटा था। इस वारदात में अखलाक की मौत हो गई थी।
akhilesh-yadav
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि मांस का वह सैम्पल घर के बाहर से लिया गया था। उसके घर पर कोई चीज ऐसी नहीं थी जिस पर आपत्ति हो। इस मामले पर सबकी नजर है। सब चाहते हैं कि परिवार को न्याय मिले। उस परिवार में हत्या हुई है। जब हत्या हुई थी तब दुनिया में बहस छिडी थी कि कौन क्या खाता है, कौन क्या पहनता है, कौन क्या भाषा बोलता है। मैं समझता हूं कि इन विवादों से दूर रहना चाहिए।
वहीं गोरक्षपीठाधीश्वर और भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने अखलाक के परिवार के खिलाफ गोहत्या का मुकदमा दर्ज करने और उसे मिली सरकारी सहायता वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा ‘‘यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार, देश के विपक्षी दलों और मीडिया के एक वर्ग को कठघरे में खड़ा करती है। इस पर ये सब मौन रहेंगे लेकिन हम मांग करते हैं कि बिसाहड़ा कांड में जिन निर्दोष हिन्दुओं को जेल में बंद किया गया है, उन्हें छोडा जाए। देश में गोहत्या कानूनन अपराध है, लिहाजा अखलाक के परिवार के खिलाफ गोहत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए और उसे दी गई सरकारी सहायता वापस ली जाए। अखलाक के परिवार ने लगातार सबको गुमराह किया है।

उधर इस मामले में आरोपी के परिवार वालों का समर्थन करते हुए गांव के लोग अखलाक के परिवार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि अखलाक के परिवार की वजह से उनकी छवि को नुकसान हुआ है।

मंगलवार को मथुरा लैब की इस रिपोर्ट को कोर्ट में पेश किया गया था जिसमें कहा गया है कि अखलाक के घर से बरामद हुआ मांस गोवंश से जुड़ा है। इसके बाद से ही इस मसले पर फिर से बहस छिड़ गई है। मथुरा लैब की यह रिपोर्ट उस प्राथमिक रिपोर्ट से उलट है जो उत्तर प्रदेश के पशु चिकित्सा विभाग ने जांच के बाद दी थी। पशु चिकित्सा विभाग की प्राथमिक रिपोर्ट में कहा गया था कि अखलाक को जिस मांस की वजह से भीड़ ने कथित तौर पर पीट पीट कर मार डाला था वह बकरे का मांस था। दादरी की घटना के बाद असहिष्णुता और बीफ की राजनीति को लेकर देशव्यापी बहस छिड गई थी और जगह जगह विरोध प्रदर्शन भी हुए थे। तब कई प्रख्यात लेखकों, फिल्मकारों और वैज्ञानिकों ने अपने पुरस्कार भी लौटा दिए थे।

इस हत्याकांड के 19 आरोपियों की सुनवाई फिलहाल गौतमबुद्धनगर के फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही है। एक आरोपी के वकील रामशरण नागर ने कोर्ट से मथुरा लैब की रिपोर्ट मुहैया कराने की गुजारिश की थी। इसका सरकारी वकील ने विरोध किया लेकिन कोर्ट ने नई रिपोर्ट सार्वजनिक करने का फैसला किया।

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