क्यों स्थगित हुई ‘आप’ पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की बैठक?

सुनील वर्मा
पंजाब और गोवा गोवा के दिल्ली एमसीडी में ख़राब प्रदर्शन के बाद आम आदमी पार्टी में खदक रही बगावत में उबाल आ गया है । ऐसा लग रहा है दो साल पहले प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आकर इतिहास रचने वाली आम आदमी पार्टी टूट की कगार पर है? लगातार मिल रही हार के चलते आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बगावत का ज्वालामुखी फटने वाला है? अगर पिछले दो-तीन दिन के घटनाक्रम और पार्टी नेताओं के बयानों पर नजर डालें तो इन दोनों सवालों का जवाब हां हो सकता है। बता दें कि बगावत के डर से केजरीवाल ने आज शाम होने वाली PAC कि बैठक अचानक स्थगित कर दी।
अरविंद केजरीवाल ने कल मीडिया में जारी अटकलों को खारिज करने के लिए ट्वीट किया था कि कुमार विश्वास उनके छोटे भाई हैं और उन दोनों को कोई अलग नहीं कर सकता। लेकिन केजरीवाल के ट्वीट से ये मामला शांत होने के बजाय और बढ़ गया है क्योंकि अब तक केजरीवाल और कुमार विश्वास के बीच सबकुछ ठीक न होने की जो खबरें महज अटकलों पर आधारित थीं, उनपर इस ट्वीट से एक तरह से मुहर लग गई है।
पंजाब विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को सत्ता का दावेदार बताया जा रहा था। गोवा में भी उसके अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी लेकिन विधानसभा चुनाव के जो नतीजे आए उनमें गोवा में पार्टी साफ हो गई वहीं पंजाब में भी उसके महज 20 विधायक जीत पाए। राजौरी गार्डन के उपचुनाव में पार्टी के उम्मीदवार की जमानत जब्त होने के बाद जैसे आग में घी डाल दिया गया हो । इसके बाद एमसीडी चुनाव में तो पार्टी की रही सही उम्मीदें भी टूट गई । हार के बाद केजरीवाल ने जनता से भले ही माफी मांग ली हो लेकिन उनकी खुद की पार्टी के नेता उन्हें बख्शने के मूड में नहीं हैं।
पार्टी नेता कुमार विश्वास में देख रहे केजरीवाल का विकल्प
बताया जाता है कि आम आदमी पार्टी के कई नेता केजरीवाल को पार्टी और सरकार पर एकछत्र राज करने देने के मूड में नहीं हैं। लगातार हार के बाद अब आवाज उठ रही हैं कि पार्टी और सरकार के कामकाज के लिए अलग-अलग चेहरों को आगे किया जाए। ये मांग कुछ-कुछ एक व्यक्ति-एक पद जैसी ही मांग है लेकिन इसके निशाने पर केजरीवाल हैं। बताया जाता है कि पार्टी के कई नेता चाहते हैं कि केजरीवाल दिल्ली की सरकार चलाएं जबकि पार्टी चलाने का जिम्मा किसी दूसरे नेता को दिया जाए। दूसरे नेता के रोल के लिए सबसे आगे कुमार विश्वास का नाम चल रहा है।
दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा ने बार-बार हार के लिए ज़िम्मेदार नेताओं को घर में बैठाने की बात कर रहे है वे खुलकर कुमार विश्वास के साथ आ गए है और आम आदमी पार्टी में जल्द बड़े बदलाव का संकेत दे रहे है। दरअसल ये रार इसलिए ज्यादा बढ़ गई है कि आप के एक अन्य विधायक अमानतुल्ला ने केजरीवाल का बचाव करते हुए कुमार विश्वास को बीजेपी का एजेंट करार दिया है और कहा कि वो पार्टी में केजरीवाल को हटाकर खुद संयोजक बनना चाहते हैं। हालांकि अमानतुल्ला का बयान सामने आते ही केजरीवाल ने कुमार विश्वास को छोटा भाई बताने वाला ट्वीट किया लेकिन पार्टी अब जिस मोड़ पर पहुंच गई है उससे उसका पीछे लौटना आसान नहीं लगता।
क्योंकि आम आदमी पार्टी आज पूरी तरह दो फाड़ हुई दिख रही है । पार्टी के तमाम नेता केजरीवाल और कुमार विश्वास के पक्ष में लमबंद होते जा रहे हैं। दिल्ली की विधायक अलका लांबा ने भी कुमार विश्वास के खिलाफ बयान देने के लिए अमानतुल्ला पर कार्रवाई की मांग कर दी है। वहीं पंजाब के भी सभी आप विधायक कुमार विश्वास के समर्थन में आ गए हैं। पार्टी के करीब 22 विधायकों ने खान को पार्टी से बाहर निकालने की मांग करते हुए एक लेटर पार्टी की सीनियर लीडरशिप को सौंपा है। पार्टी के एक सूत्र के मुताबिक इस लेटर पर दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा, इमरान हुसैन और द्वारका से विधायक आदर्श शास्त्री जैसे अहम लोगों के हस्ताक्षर भी हैं। वहीं, पंजाब से भी एक विधायक ने इसी बाबत पत्र भेजा है। केजरीवाल भले ही कुमार विश्वास को अपना छोटा भाई बता रहे हों लेकिन ये भी सच है कि पार्टी में केजरीवाल के बाद सबसे लोकप्रिय और भीड़ जुटाऊ नेता होने के बावजूद कुमार विश्वास को वो अहमियत नहीं मिली जिसके वो हकदार थे।
पार्टी के पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी (PAC) की अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में आज शाम बैठक होनी थी । जो अचानक दोपहर बाद स्थगित कर दी गई। बताया जा रहा है कि केजरीवाल को आशंका थी कि खान के मुद्दे के साथ इस बैठक में उनके नेतृत्व को लेकर सवाल उठ सकते है। गौरतलब है कि खान खुद भी इस समिति के सदस्य हैं। सवाल है कि केजरीवाल ने पीएसी की बैठक स्थगित क्यों की ।
बता दे कि कुमार विश्वास MCD और पंजाब चुनाव में मिली हार के बाद EVM मुद्दे पर केजरीवाल और पार्टी से अलग स्टैंड लेते नजर आए थे। उन्होंने हार का ठीकरा EVM के सिर फोड़ने की जगह आत्मसमीक्षा की बात कही थी।

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