आमिर ख़ान को बहुत पसंद करता हूं। सिर्फ़ अभिनय के लिए नहीं। इसलिए भी कि वह ख़ुद के लिए मौके बनाते हैं। ये बहुत कम लोगों में होता है। वो उन लोगों में शामिल हैं जो मौके का इंतज़ार नहीं करते, मौके लपक लेते हैं। इसके लिए उन्हें अतिरिक्त प्रयास भी करने पड़े हैं। उनमें अनुशासन है। वो सिर्फ़ पैसों के लिए कोई भी फ़िल्म नहीं करते। उन्होंने चुनिंदा फ़िल्में की हैं। इसलिए मैं उनका बड़ा प्रशंसक हूं। 

उस फिल्म का बजट बहुत नालायक था

‘जाने भी दो यारो’ का बजट बहुत नालायक था। फ़िल्म का बजट नौ लाख रुपये का था और मुझे सिर्फ़ 5,000 रुपये मिले थे। नसीरुद्दीन शाह को शायद 12 हज़ार मिले थे। खाना डायरेक्टर के घर से आता था। उन्होंने एक बाई रख ली थी। रोज लौकी की सब्जी और मूंग की दाल आती थी और शाम को भी यही। लेकिन फ़िल्म में काम करते हुए बहुत मजा आया। एनएसडी की शानदार प्रतिभाएं उस फ़िल्म में थीं।

अमिताभ और अहसान

अमिताभ के साथ ‘देव’ की तो मैंने उनसे कहा कि 25 साल पहले आपने मुझ पर अहसान किया था तो उसके लिए मैं आपका धन्यवाद करना चाहता हूं। इस पर अमिताभ ने कहा कि 25 साल पहले तो मैं आपका जानता भी नहीं था। तब मैने उन्हें कहा कि आपने ‘अर्धसत्य’ के लिए मना किया था, जो बाद में गोविंद निहलानी ने मुझे दी।

मेरी आवाज़

एक समय अमेरिका के हडसन में इस्माइल मर्चेंट के यहां ठहरा था और मेरी पत्नी साथ थी। मेरी पत्नी ने एक दिन और रुकने की इच्छा जताई। मैंने जब टिकट की तारीख़ बढ़वाने के लिए न्यूयॉर्क एयरपोर्ट फ़ोन किया तो किसी विदेशी लड़की ने फ़ोन उठाया और मेरी आवाज़ सुनने के बाद कहा कि ओमपुरीजी मैने आपकी ईस्ट इज ईस्ट और सिटी ऑफ़ ज्वॉय भी देखी है। आपकी आवाज़ बहुत अच्छी है।

उसने सिर्फ़ इतना ही नहीं किया। हमारा बिज़नेस क्लास का टिकट था।  जब हम बिज़नेस काउंटर पहुंचे तो पता चला कि हमारा टिकट अपग्रेड कर पहली श्रेणी का कर दिया गया था।