विशेष संवाददाता।
पूर्व सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाले में संद्धिध भूमिका को देखते हुए एसआईटी जांच के आदेश दिए हैं। 2जी और कोयला घोटाले में अपने पद का दुरुपयोग करने के आरोप में कोर्ट ने ये जांच के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा सीबीआई निदेशक और दो अन्य अधिकारियों की अध्यक्षता में एसआईटी जांच का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीधे तौर पर जांच पर निगरानी रखी जाएगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में रंजीत सिन्हा को 2जी मामले से दूर रहने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका के आधार पर 12 जुलाई, 2016 को मामले में सुनवाई कर आदेश सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने उनके खिलाफ याचिका दायर की थी। भूषण ने आरोप लगाया था कि पद पर रहते हुए उन्होंने अपने आवास पर घोटाले के आरोपियों से मुलाकात की थी, जबकि घोटाले की जांच जारी थी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एमएल शर्मा कमेटी ने शुरुआती जांच में सिन्हा को कोयला घोटाला मामले को प्रभावित करने का दोषी पाया था। सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बताया कि कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, रंजीत सिन्हा के घर की विजिटर डायरी में मौजूद एंट्री सही लग रही है। कमेटी का मानना है कि रजिस्टर में मौजूद एंट्रीज से यह जाहिर होता है कि रंजीत सिन्हा कुछ आरोपियों से मिले थे। कोर्ट ने रिपोर्ट सार्वजनिक करने और आगे की कार्रवाई पर आदेश सुरक्षित रख लिया।
ये था पूरा मामला
* यूपीए शासन में हुए कोयला घोटाला में एक जांचकर्ता ने एक विशेष अदालत को बताया कि इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर करने का आदेश तत्कालीन सीबीआई प्रमुख रंजीत सिन्हा ने दिया था।
* सुप्रीम कोर्ट की समिति ने इस प्रकरण में सिन्हा की भूमिका की जांच की है
* सीबीआई का एक जांच अधिकारी ही खुद गवाह बना * मध्य प्रदेश आधारित कमल स्पंज स्टील एंड पॉवर लिमिटेड (केएसएसपीएल)इसमें मुख्य आरोपी है
* केएसएसपीएल ने कोयला ब्लॉक हासिल करने के लिए कथित तौर पर नेटवर्थ को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने सहित तथ्यों को गलत तरह से पेश किया
* घोटाले की जांच कर रहे अधिकारी ने कोर्ट को बताया था कि जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि जांच की रिपोर्ट सू अपने वरिष्ठ अधिकारी को दे दी थी * उसी वरिष्ठ अधिकारी ने अपने ‘सक्षम प्राधिकार’ से मामले को बंद करने का आदेश दिया था
* जांच अधिकारी के इन्हीं बयानों की जांच कर रही थी सुप्रीम कोर्ट की समिति