नई दिल्‍ली। उत्तर प्रदेश में कानपुर देहात के निकट रुरा स्टेशन के पास बुधवार सुबह 5.42 बजे अजमेर-सियालदाह एक्सप्रेस (12988) के 15 डिब्बे पटरी से उतर गए। हादसे में पांच की मौत हो गई और 70 से ज्यादा यात्री घायल बताए जा रहे हैं। इस स्टेशन से 30 किलोमीटर पहले पुखरायां स्टेशन पर 38 दिन पहले एक बड़ा रेल हादसा हुआ था। हादसे में 152 लोगों की मौत हो गई थी। हादसा तब हुआ था जब इंदौर से पटना जा रही एक्सप्रेस ट्रेन के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए थे।

पिछले 15 सालों में प्रदेश भर में एक दर्जन से अधिक बड़े हादसे हुए हैं। इन हादसों में 417 लोगों को जान गंवानी पड़ी। इसके बावजूद सरकारों ने हादसे रोकने के लिए एक भी कड़ा कदम नहीं उठाया है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक रेल हादसों में उत्‍तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है।

वहीं मध्य प्रदेश तीसरे नंबर है। इन हादसों में करीब 50 फीसदी हादसे ट्रेन डीरेल होने की वजह से हुए हैं। इमरजेंसी ब्रेक, पटरियों का चिटकना जैसे कारण रहे हैं। वहीं मानव रहित क्रॉसिंग पर भी सैकड़ों जानें गईं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 में चार हजार से अधिक रेल हादसे यूपी में हुए हैं। जिसमें चार हजार जानें गई हैं। वहीं अगर एक साल का पूरे देश के आंकड़ों पर नजर डालें तो 25 हजार लोगों की सांसे थम चुकी हैं।

21 नवंबर 2016: इंदौर से पटना जा रही एक्सप्रेस ट्रेन के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इस हादसे में 142 लोगों की मौत और 180 से ज्यादा घायल हो गए थे। 25 जुलाई 2016: वाराणसी के भदोही के पास रेलवे क्रॉसिंग पर एक स्कूल वैन को ट्रेन ने टक्कर में 10 बच्चों ने अपनी जान गंवाई। 20 मार्च 2015: देहरादून-वाराणसी एक्सप्रेस रायबरेली के बछरावां के पास पटरी से उतरने से करीब 32 लोगों की हुई थी मौत।

1 अक्टूबर2014: लखनऊ-बरौनी एक्सप्रेस और कृषक एक्सप्रेस आपस में गोरखपुर में नंदानगर क्रॉसिंग भिड़ने से 14 की हुई थी मौत। 31 मई 2012: हावड़ा से देहरादून जा रही दून एक्सप्रेस के छह पहिए पटरी से उतर गए। तीन लोगों की जान चली गई। 20 मार्च 2012: लोगों से भरी हुए के एक गाड़ी हाथरस में एक रेलवे क्रॉसिंग पार करते एक ट्रेन के चपेट में आई थी, 15 लोग मरे थे।

10 जुलाई 2011: को फतेहपुर के पास कालका एक्सप्रेस डीरेल हुई थी। हादसे में 69 जानें गईं थी। 7 जुलाई 2011: एक यात्री बस एटा में रेलवे क्रॉसिंग पार करने के दौरान ट्रेन से टकड़ा गई, जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई। 16 जनवरी 2010: फिरोजाबाद में टूंडला के पास कालिंदी एक्सप्रेस ने श्रम शक्ति को टक्कर मार दी थी, आधा दर्जन मौतें हुईं थीं।

1 नवंबर 2009: गोरखपुर से अयोध्या जा रही पैसेंजर ने चकरसूलपुर गांव के पास क्रॉसिंग पर ट्रक को टक्कर मारी थी, 14 लोगों मरे थे। 21 अक्टूबर 2009: गोवा एक्सप्रेस के इंजन ने मेवाड़ एक्सप्रेस के अंतिम बोगी को मथुरा के पास पीछे से ठोका था, 22 लोग मारे गए थे। 12 मई 2002: नई दिल्ली से पटना जाते वक्त श्रमजीवी एक्सप्रेस जौनपुर में बेपटरी हो गई थी। घटना में 12 लोगों की मौतें हुई थी। 4 जून 2002: कासगंज एक्सप्रेस में एक रेलवे क्रॉसिंग पर एक बस को टक्कर मार दी थी। हादसे में 34 लोगों की जानें गईं थी।