कश्मीर मसले पर आए दिन कोई ना कोई खुलासा हो रहा है, अब नए खुलासे के तौर पर कहा जा रहा है कि सुरक्षाबलों को छापों में आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली चीज़ों – पेट्रोल बम, भारत-विरोधी प्रचार सामग्री, अनधिकृत सेलफोन तथा जैश-ए-मोहम्मद व लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े दस्तावेज़ – के अलावा चीन के झंडे भी बरामद हुए हैं।

100 दिन तक शांत रहने के बाद सुरक्षाबलों ने बारामूला में व्यापक तलाशी अभियान चलाया। हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन के 22 साल के आतंकवादी बुरहान वानी के जुलाई महिने में मारे जाने के बाद पिछले तीन महीने से घाटी में फैले असंतोष के दौरान बारामूला ही सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाका रहा है।

राजधानी श्रीनगर से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर बसे बारामूला में प्रदर्शनकारियों का खासा नियंत्रण रहा है, और वे बार-बार कर्फ्यू तोड़कर सुरक्षाबलों तथा उनके वाहनों और कार्यालयों पर हमले करते रहे। प्रदर्शनकारियों द्वारा पाकिस्तान के झंडे लहराया जाना यहां नई बात नहीं रही है, लेकिन अब खुफिया एजेंसियों को हालिया वक्त में बड़े-बड़े प्रदर्शनों के दौरान चीन के झंडे दिखाया जाना चिंता का विषय लग रहा है।

हिंसा की घटनाओं के धीरे-धीरे कम होते चले जाने के बाद सुरक्षाबलों ने शहर में गश्त की, और ‘आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों में’ कथित संलिप्तता के आरोप में 40 से ज़्यादा लोगों को पकड़ा।

बुरहान वानी के मारे जाने के बाद पाकिस्तान ने उसे ऐसे शहीद के तौर पर पेश किया, जो ‘कश्मीर में नए स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व’ कर रहा था. उसकी मौत के बाद शुरू हुए हिंसक प्रदर्शनों में 90 से ज़्यादा लोग मारे गए, और 10,000 से ज़्यादा लोग घायल हुए, जिनमें सुरक्षाबल भी शामिल हैं। भारत ने दंगे भड़काने और उन्हें वित्तीय मदद देने का दोषी पाकिस्तान को ठहराया है।