शराबबंदी कानून को लेकर देश भर में भले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना हो रही हो मगर विपक्ष के साथ उनकी सरकार में शामिल सबसे बड़ी पार्टी राजद के दिग्गज नेताओं को भी इस कानून के प्रावधानों पर आपत्ति है। राजद में लालू यादव एवं उनके परिवार के बाद नंबर दो की हैसियत रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह इन दिनों शराबबंदी कानून के खिलाफ मुखर हैं। ओपिनियन पोस्ट ने उनसे इस बारे में बातचीत की :

गोपालगंज कांड के लिए आप किसे जिम्मेवार ठहरा रहे हैं?
गोपालगंज की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि जहरीली शराब पीने की वजह से लोगों की मौत हुई है। इस घटना के पीछे राज्य में शराबबंदी ही मुख्य कारण है। इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। शराबबंदी कानून लागू होने के बाद जहरीली शराब से मौत का यह तीसरा बड़ा कांड है। कड़ा कानून बना देने से ही नशाखोरी रूकने वाली नहीं है।

तो क्या यह माना जाए कि आप शराबबंदी के खिलाफ हैं?
मैं शराबबंदी नहीं, कानून के कुछ प्रावधानों के खिलाफ हूं। शराबबंदी के पक्ष में खड़ा होने वाला मैं पहला व्यक्ति हूं। मैंने ही राज्य में शराबबंदी के लिए संसद में सवाल उठाया था। मैंने नारा दिया था कि शराब छोड़ों, बच्चों को पाठशाला भेजो। संविधान की धारा-47 में इसका जिक्र है कि राज्यों को शराबबंदी के लिए प्रयास करना चाहिए। लेकिन अफरातफरी में कानून बना देने से यह रुकने वाला नहीं है। कड़ा कानून और सख्ती के बाद भी अगर प्रदेश में हर जगह शराब मिल रही है तो इसका कोई मतलब नहीं रह जाता है। लोग चोरी छिपे शराब ला रहे हैं, बना रहे हैं, बेच रहे हैं। कुछ लोगों के लिए यह कारोबार बन गया है। यह अब मौत बांटने के कारोबार के तौर पर सामने आ रहा है।

तो क्या शराबबंदी कानून निष्प्रभावी साबित हो रहा है?
इस कानून में बेकसूरों को भी सजा का प्रावधान है, सामूहिक सजा का प्रावधान है। किसी के घर में अगर शराब की बोतल या रैपर भी मिलता है तो घर के सभी बालिग को जेल में डालने के प्रावधान का मैं व्यक्तिगत तौर पर विरोधी हूं। कसूरवारों को सजा मिले, बेकसूरों को जेल में न डाला जाए। कानून में शराब के सेवन और सभी तरह की बिक्री पर तो रोक लगा दी गई है मगर प्रदेश में शराब की फैक्ट्रियां चालू हैं। यह न्यायसंगत नहीं है। ऐसा नहीं है कि कानून के सभी प्रावधान बेकार हैं। मगर शराबबंदी के लिए पहले जनसमर्थन हासिल करना होगा।

सरकार का दावा है कि शराबबंदी सफल है। आप क्या कहेंगे?
पहले शराबबंदी को लेकर सराहना हुई थी लेकिन न्यायसंगत कानून नहीं बनने से इसमें गिरावट आई है। सरकार छवि बचाने के लिए छोटे अधिकारियों पर कार्रवाई कर रही है। तमाम लोगों का समर्थन हासिल किए बिना इसकी सफलता पर हमेशा संदेह बना रहेगा।

कुछ लोगों का कहना है कि आप शराबबंदी का विरोध इसलिए कर रहे हैं कि आप नीतीश के विरोधी हैं?
लोग नासमझी के चलते ऐसा कह रहे हैं। मैं शराबबंदी काननू के गलत प्रावधानों के खिलाफ हूं न कि किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ। मैंने उस दौर में शराब का विरोध किया था जब राज्य में गली-गली शराब की दुकानें खोली जा रही थीं और सरकार इससे होने वाली आमदनी पर इठला रही थी।