नई दिल्‍ली। मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर के बारे में कहा कि गांव के प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक का मत है कि कश्मीर में अगर नौजवान या सुरक्षाकर्मी की जान जाती है तो ये नुकसान अपने देश का ही है। उन्होंने रविवार सुबह 11 बजे रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की शुरुआत हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को याद करने के साथ की। पीएम मोदी हर महीने के आखिरी रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देश की जनता को संबोधित करते हैं।

इस कार्यक्रम के 23वें संस्करण में उन्होंने कहा, कल हॉकी के जादूगर ध्यानचंद जी की जन्मतिथि है, यह दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। मैं ध्यानचंद जी को श्रद्धांजलि देता हूं और इस अवसर पर आप सभी को उनके योगदान की याद भी दिलाना चाहता हूं। ध्यानचंद जी स्पोर्ट्समैन स्प्रिट और देशभक्ति की एक जीती-जागती मिसाल थे। पर कई लोगों ने रियो ओलंपिक और साक्षी, सिंधू के बारे में बोलने के लिए कहा है। हमारी बेटियों ने एक बार फिर साबित किया कि वे किसी भी तरह से, किसी से भी कम नहीं हैं। इस बात से तो इंकार नहीं किया जा सकता कि हमारी आशा के अनुरूप हम रियो ओलंपिक में प्रदर्शन नहीं कर पाए। फिर भी हमारे देश ने कई खेलों में शानदार प्रदर्शन किया और सकारात्मक माहौल बनाया। मैंने खेल प्रदर्शन में सुधार के लिए एक कमेटी की घोषणा की है। यह दुनिया में क्या-क्या प्रैक्टिस हो रही है, उसका अध्ययन करेगी। ओलंपिक के लिए दूर तक की सोच के साथ हमें योजना बनानी है।

उन्‍होंने कहा, मैं राज्य सरकारों से आग्रह करता हूं कि ऐसी कमेटी बनाएं, खेल जगत से जुड़े संगठन निष्पक्ष भाव से ब्रेन स्टॉर्मिंग करें। देश के हर नागरिक से आग्रह करता हूं कि मुझे सुझाव भेजें। खेल संगठन चर्चा कर-करके अपना ज्ञापन सरकार को दें। सवा सौ करोड़ देशवासी और 65 फीसदी युवा जनसंख्या वाला देश, खेल की दुनिया में भी बेहतरीन स्थिति प्राप्त करे, इस संकल्प के साथ आगे बढ़ना है। 5 सितंबर शिक्षक दिवस है। मैं कई वर्षों से शिक्षक दिवस पर विद्यार्थियों के साथ काफी समय बिताता रहा हूं। मेरे लिए 5 सितंबर ‘शिक्षक दिवस’ भी था और मेरे लिए ‘शिक्षा दिवस’ भी था। लेकिन इस बार मुझे जी-20 समिट के लिए जाना पड़ रहा है। जीवन में जितना ‘मां’ का स्थान होता है, उतना ही शिक्षक का स्थान होता है। मैं आज गोपीचंद जी को एक खिलाड़ी से अतिरिक्त एक उत्तम शिक्षक के रूप में देख रहा हूं। 5 सितंबर भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म दिन है। देश उसे ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाता है। राधाकृष्णन जी हमेशा कहते थे– “अच्छा शिक्षक वही होता है, जिसके भीतर का छात्र कभी मरता नहीं है”। मेरे एक शिक्षक जो 90 साल के हो गए हैं, आज भी हर महीने उनकी मुझे चिट्ठी आती है। महीने भर मैंने क्या किया, उनकी नजर में वो ठीक था, नहीं था, जैसे आज भी मुझे क्लास रूम में पढ़ाते हों।

उन्‍होंने कहा, मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ ही दिनों में गणेश उत्सव आने वाला है। गणेश उत्सव की बात करते हैं, तो लोकमान्य तिलक जी की याद आना बहुत स्वाभाविक है। लोकमान्य तिलक जी ने सार्वजनिक गणेश उत्सव के द्वारा इस धार्मिक अवसर को राष्ट्र जागरण का पर्व बना दिया।  अब सिर्फ महाराष्ट्र नहीं, हिंदुस्तान के हर कोने में गणेश उत्सव होने लगे हैं। लोक शिक्षा का बड़ा अभियान गणेश उत्सव के द्वारा चलता है। सुराज हमारी प्राथमिकता हो, इस मंत्र को लेकर के हम गणेश उत्सव से संदेश नहीं दे सकते हैं क्या? उत्सव समाज की शक्ति होता है। उत्सव व्यक्ति और समाज के जीवन में नए प्राण भरता है। उत्सव के बिना जीवन असंभव होता है। गांव के तालाब की मिट्टी से बने हुए गणेश जी का उपयोग करें। हम मिट्टी का उपयोग करके गणेश, दुर्गा की मूर्तियां बनाकर हम उस पुरानी परंपरा पर वापस लाएं। गणेशोत्सव- एक समाज सेवा का काम है।  आप सबको गणेश चतुर्थी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।