नई दिल्ली। दिल्ली की एक विशेष अदालत ने कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले के एक मामले में पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता, दो लोकसेवकों, निजी कंपनी विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड और उसके दो अधिकारियों के खिलाफ शुक्रवार को विभिन्न आरोप तय किए जिसमें धोखाधड़ी एवं आपराधिक षड्यंत्र शामिल हैं।

गुप्ता और कंपनी के अलावा अदालत ने लोकसेवकों के खिलाफ भी मुकदमा शुरू किया। इनमें कोयला मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव के एस करोफा, कोयला मंत्रालय में तत्कालीन निदेशक (सीएआई) के सी समरिया, कंपनी के प्रबंध निदेशक विकास पटनी और उसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता आनंद मलिक शामिल हैं। आरोपियों ने स्वयं को बेगुनाह बताया और कहा कि वे मुकदमे का सामना करेंगे। इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 9 सितंबर तय की है।

विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने इससे पहले सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी थी। अदालत ने जांच एजेंसी से मामले की और जांच करने को कहा था। यह मामला पश्चिम बंगाल में मोइरा और मधुजोरी (उत्तर और दक्षिण) कोयला ब्लॉक का आवंटन वीएमपीएल को करने में कथित अनियमितताओं को लेकर है। सितंबर 2012 में सीबीआई ने मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की थी।

गुप्ता कोयला घोटाले के कई मामले में आरोपी हैं और वर्तमान में जमानत पर हैं। उन्होंने हाल में अदालत से कहा था कि वह जेल में रहकर मुकदमे का सामना करना चाहते हैं। उन्होंने जमानत के लिए दिया गया निजी मुचलका वित्तीय परेशानियों के चलते वापस ले लिया था। उन्होंने नई दिल्ली विधि सहायता सेवा प्राधिकरण की ओर से एक वकील या अदालत की ओर से नियुक्त न्यायमित्र लेने की अदालत की पेशकश भी ठुकरा दी थी। उनकी अर्जी अदालत में लंबित है।