मेरठ। जहां पर कैंट बोर्ड, सेना, पुलिस और प्रशासन मौजूद हो वहां अवैध निर्माण ढहाने में पांच लोगों की जान चली जाए तो इसे क्‍या कहेंगे ? बड़ी कार्रवाई या बड़ी लापरवाही। मेरठ के थाना सदर बाजार क्षेत्र में कुछ ऐसा ही हुआ है। कैंटोनमेंट बोर्ड की ओर से आरआर कॉम्प्लेक्स को ढहाने के दौरान 12  लोग मलबे के नीचे दब गए। पांच लोगों की मौत हो गई और दो लोग जिंदगी व मौत से जंग लड़ रहे हैं। जिन पांच लोगों की मृत्यु हुई है उसमें नान वाले दीपक शर्मा (47), दीपक का पुत्र आकाश शर्मा (16), सोमबीर (25) और गोविंद (30)  हैं। एक मृतक की पहचान नहीं हो सकी है। मामले की गंभीरता को भांप कैंटोनमेंट की टीम मौके से भाग गई। इस कार्रवाई से स्थानीय लोगों में बेहद नाराजगी है। गुस्साई भीड़ जब कैंटबोर्ड के सीईओ राजीव श्रीवास्तव के घर तोड़फोड़ करने लगी तो वह घर से भाग गए।

स्थानीय लोगों ने कैंट बोर्ड के सीईओ राजीव श्रीवास्तव, सीईई अनुज सिंह, एई पीयूष गौतम, जेई और अन्य लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है। लोगों ने थाने पर धरना भी दिया। कांप्लेक्स का पिलर पड़ोस के 331 नंबर मकान पर गिरा। पिलर का हिस्सा और उसकी छड़ें  सीधे बेडरूम में घुसीं और कमरे में सो रहे सतीश कुमार उनकी पत्नी बिमलेश, पुत्र ऋषभ और सेतु बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

आरआर मॉल ढहाने की शुरुआत खुद बिल्डर ने की थी। मॉल के शीशे उतार लिए गए थे और चौथी मंजिल पर जेनरेटर लगाकर चार हैमर मशीनों से छेद कर दिए गए। रात में काम चल रहा था। भवन के आसपास लाइटें भी लगाई गई थीं। कैंट बोर्ड, सेना, पुलिस और प्रशासन ने शनिवार सुबह मॉल को गिराने के लिए एक्शन प्लान ओके कर दिया था, लेकिन इसकी ठीक ढंग से जानकारी न देने के कारण कार्रवाई के दौरान भवन में सो रहे सात लोग मलबे में दब गए। सेना और पुलिस ने लोगों का बचाव शुरू किया लेकिन मलबे से निकाले गए सात लोगों में चार की मौके पर मौत हो गई थी।

मौके पर सेना और एनडीआरएफ की टीम पहुंच गई थी। प्रशासन की लापरवाही से हुई मौतों से लोगों में आक्रोश है। उनका कहना है कि प्रशासन ने कार्रवाई के नाम पर लाशें बिछा दीं। मौके पर पहुंचे सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने भी इसे बेकसूर लोगों की हत्या कहा है। संयुक्त व्यापार संघ के  अध्यक्ष नवीन गुप्ता ने कहा है कि प्रशासन की लापरवाही के विरोध में मेरठ बंद रहेगा।

बता दें कि कैंट के बंगला नंबर 210 बी में आबूलेन से सटे 10.5 एकड़ के इलाके में 62 कोठियां, एक मॉल और 22 दुकानें बनी हैं। कैंट बोर्ड का दावा है कि यह निर्माण अवैध है। हाईकोर्ट ने इसे ढहाने के आदेश दिए हैं। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने भी ढहाने का निर्देश दिया है। कैंट बोर्ड इसी आधार पर 19 जून को 210 बी को गिराने पहुंचा था, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध से टीम को लौटना पड़ा था। बंगला नंबर 210 बी की बाजार में कीमत 800 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। शहर का दिल कहे जाने वाले आबूलेन और सदर से सटी इस जमीन का सर्किल रेट ही 72 हजार 500 रुपये प्रति वर्ग मीटर है। सर्किल रेट के हिसाब से ही करीब 52 हजार वर्ग मीटर जमीन की कीमत करीब 400 करोड़ रुपये बैठती है। यहां बनीं 62  आलीशान कोठियां, एक मॉल और दो कॉमर्शियल काम्प्लेक्स जोड़ लें और जमीन की कीमत बाजार भाव के हिसाब से लगाएं तो 210 बी की कीमत 800 करोड़ के आसपास बैठती है।

‘दो मिनट रुक जाओ, दुकान में सो रहे हैं कामगार’

 कैंट बोर्ड की टीम शनिवार सुबह 5 बजे 210 बी पर बने अवैध मॉल को गिराने पहुंची थी। टीम ने तीन मंजिला मॉल के पिलर तोड़ने शुरू किए। इस दौरान मॉल के पीछे स्थित दुकान के मालिक दीपक शर्मा ने टीम से गुजारिश की थी कि दो मिनट रुक जाओ,  दुकान में कामगार सो रहे हैं। उन्‍हें बाहर निकाल लें, उसके बाद बिल्डिंग को गिराया जाए। दीपक बेटे आकाश के साथ जैसे ही कामगारों को जगाने दुकान के अंदर गए, वैसे ही बोर्ड की टीम ने बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया। मॉल का पिलर टूटते ही पूरा मलबा पीछे दीपक की दुकान के ऊपर जा गिरा, जिससे अंदर सो रहे कामगारों, दीपक और उनके बेटे की मौत हो गई।