केरल में 9 जून तक मानसून दस्तक दे सकता है ऐसा मानना हा मौसम विभाग का।  मौसम विभाग का कहना है कि केरल में दक्षिण पश्चिमी मानसून की शुरुआत के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। पश्चिम बंगाल, सिक्किम, तटीय आंध्र प्रदेश में कई जगहों पर और छत्तीसगढ़, असम मेघालय, केरल में भी कुछ जगहों पर गरज के साथ बारिश की छींटे पड़ी हैं।

बीते कुछ दिनों से केरल में बारिश हो रही है। मौसम विभाग के अधिकारी केरल, लक्षद्वीप और कर्नाटक के मैंगलोर में स्थापित 14 मौसम केंद्रों के आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे हैं।

 मानसून अरबी भाषा का शब्द है जिसमें हवाएं एक निश्चित समय पर निश्चित दिशा में चलती हैं। नियम यह है कि अगर इन 14 मौसम केंद्रों में से 60 प्रतिशत में, 10 मई के बाद लगातार दो दिनों तक 2.5 मिलीमीटर या इससे ज्यादा बारिश होती है तो इसके दूसरे दिन केरल में मानसून की शुरुआत की घोषणा कर दी जाती है। बशर्ते हवा और बादल का बनना भी अनुकूल हो।

मौसम विभाग के मुताबिक पिछले 24 घंटे के दौरान पश्चिम बंगाल के पहाड़ी इलाके, सिक्किम, केरल के अधिकतर क्षेत्रों में तथा अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, मराठवाड़ा, तटीय कर्नाटक व अंडमान निकोबार द्वीप समूह के कई हिस्सों में बारिश हुई। विदर्भ, मध्य महाराष्ट्र, तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, तेलंगाना व तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में बारिश हुई या फिर गरज के साथ छींटे पड़े।

दक्षिणी पश्चिमी मानसून सामान्यत केरल में 1 जून के आसपास सक्रिय होता है। यह तरंगों में पूर्वोत्तर की ओर आगे बढ़ता है और 15 जुलाई के आसपास पूरे देश में फैल जाता है। पिछले साल मौसम विभाग ने 30 मई को इसकी शुरुआत की भविष्यवाणी की थी, लेकिन असल में मानसून 5 जून को सक्रिय हुआ था। इसी तरह इस साल भी मौसम विज्ञान ने कहा था कि मानसून 7 जून को केरल तट पर दस्तक देगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
 इस बार मानसून चार दिन की देरी से आ रहा है। मानसून में देरी के लिए किसी एक वजह को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है। वायुमंडल में काफी जटिल प्रक्रिया होती है जिसकी वजह से मानसून के नियत समय में देरी होती है।