CHAMAPRAN

CHAMAPRANलोकसभा चुनाव का तापमान मौसम की तरह चटख होने लगा है. पश्चिमी चंपारण एवं पूर्वी चंपारण संसदीय सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए भाजपा ने कमर कस ली है, वहीं महागठबंधन इन सीटों पर तगड़ी चुनौती पेश करने के लिए ब्लूप्रिंट तैयार कर रहा है. लेकिन, सीटों के बंटवारे में फंसे पेंच के चलते दोनों खेमे अपने उम्मीदवारों के नाम खोलने से परहेज कर रहे हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह पूर्वी चंपारण संसदीय सीट पर लगातार जीत दर्ज कराते आ रहे हैं. यह सीट अर्से से भाजपा विरोधी दलों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. इस बार महागठबंधन में शामिल रालोसपा के केंद्रीय प्रवक्ता माधव आनंद अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. इस सीट पर कांग्रेस सांसद अखिलेश सिंह की भी नजर है. वह अपनी पत्नी वीणा सिंह को चुनाव मैदान में उतारने के लिए प्रयासरत हैं. राजद खेमे से बबलू देव एवं विनोद श्रीवास्तव ताल ठोक रहे हैं. महागठबंधन में किस घटक को यह सीट मिलेगी, अभी साफ नहीं है.

कृषि मंत्री रहते हुए भी राधा मोहन सिंह गन्ना किसानों का भुगतान नहीं करा सके और न क्षेत्र में बंद चीनी मिलों को दोबारा चलवा सके. यह मुद्दा विरोधियों के लिए एक बड़ा हथियार साबित हो सकता है. पश्चिमी चंपारण संसदीय सीट पर डॉ. संजय जायसवाल जीत की हैट्रिक लगाने को आतुर हैं. जिले के विभिन्न प्रखंडों को मुख्यालय से जोडऩे के लिए छावनी में ओवर ब्रिज बनवाने का मुद्दा उनके लिए परेशानी का सबब रहा, लेकिन हाल में वह ओवर ब्रिज का निर्माण शुरू कराने में कामयाब रहे. शहर के आउटर रोड को हरि वाटिका से मनुआ पुल तक चार लेन बनवा कर उन्होंने अपने आलोचकों को चुप्पी साधने के लिए मजबूर कर दिया. जायसवाल इस बार विकास जैसे मुद्दे के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश करेंगे, वहीं प्रतिद्वंद्वी अपने जातीय समीकरण साधकर उनकी नैया डुबाने की. साल 2004 के चुनाव में राजद के रघुनाथ झा माई समीकरण के सहारे सवर्ण मतों में सेंध लगाने में कामयाब हुए थे, लेकिन वह अपनी जीत दूसरी बार दोहरा नहीं सके. प्रख्यात फिल्म निर्माता प्रकाश झा भी कई कोशिशों के बावजूद यहां भगवा किले को ध्वस्त नहीं कर सके. महागठबंधन के विभिन्न दल इस सीट को लेकर खासे गंभीर हैं. राजद की ओर से राजन तिवारी, कांग्रेस से बेतिया विधायक मदन मोहन तिवारी एवं नूतन पांडेय आदि नाम चर्चा में हैं.

वाल्मीकि नगर संसदीय क्षेत्र से जदयू की दमदार दावेदारी के बावजूद भाजपा सांसद सतीश चंद्र दुबे को दोबारा टिकट मिलने का भरोसा है. जदयू के पूर्व सांसद वैद्यनाथ महतो भी यह सीट अपने पाले में करने के लिए भागदौड़ में लगे हैं. साल २०१४ में दुबे का मुकाबला कांग्रेस के पूर्णमासी राम से हुआ था, तब सतीश दुबे को 3,64,011 और पूर्णमासी राम को 2,46,218 मत मिले थे. जदयू के बैद्यनाथ महतो को 81,612 मतों से संतोष करना पड़ा था. जबकि 2009 में जदयू के बैद्यनाथ महतो  राजद उम्मीदवार रघुनाथ झा की जमानत जब्त कराकर सांसद बने थे. इससे पहले भी इस सीट से 1999 और 2004 में जदयू उम्मीदवार  विजयी रहे थे. इसी आधार पर वाल्मीकि नगर संसदीय सीट पर जदयू अपना उम्मीदवार उतारना चाहता है. यहां से महागठबंधन उम्मीदवार कौन होगा, इसे लेकर भी जोर-आजमाइश जारी है. चूंकि पिछली बार कांग्रेस मुख्य प्रतिद्वंद्वी रही थी, इसलिए वह इस सीट पर अपना दावा पूरी मजबूती के साथ पेश कर रही है. लौरिया विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रहे विश्व मोहन शर्मा, पूर्व सांसद पूर्णमासी राम, विधायक विनय वर्मा एवं प्रवेश मिश्रा समेत तकरीबन आधा दर्जन कांग्रेसी नेता टिकट की दौड़ में शामिल हैं. रालोसपा और राजद से भी कई दावेदार चुनाव लडऩे के लिए विभिन्न तर्कों के साथ जमे हुए हैं. लगता है, गांधी की कर्मभूमि चंपारण इस बार जोरदार मुकाबलों की गवाह बनेगी.