pulwama attack

चौदह फरवरी को कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के दस दिनों बाद ही भारतीय सेना ने सीआरपीएफ जवानों की शहादत का ‘बदला लेने’ का अपना वादा निभाकर दिखा दिया. देश की वायुसेना ने अपने मिशन को बड़ी बहादुरी के साथ अंजाम दिया और तीन सैकड़ा से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया. ताजा कार्रवाई ने पाकिस्तानी सरकार के होश उड़ा दिए हैं. इसी को कहते हैं, सीना @ 56 इंच…

pulwama attackपुलवामा हमले के दो दिनों के बाद से ही हर रात भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने सीमावर्ती इलाकों में गश्त लगाना शुरू कर दिया था. पाकिस्तान की वायुसेना भी अलर्ट थी. हर दिन रडार पर इसकी मॉनीटरिंग हो रही थी. करीब दस दिनों तक यह एक्सर साइज चलती रही. पाकिस्तान को लगा कि यह एक्सर साइज सिर्फ एक दिखावा है. भारत के लड़ाकू विमान अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करने की हिम्मत नहीं करेंगे. कारगिल का युद्ध जब निर्णायक स्थिति में था, उस दौरान भी भारत ने वायुसेना का इस्तेमाल नहीं किया था, क्योंकि ऐसा करने पर बॉर्डर क्रास करना पड़ता. लेकिन, 26 फरवरी की सुबह जो हुआ, वैसा पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा. हकीकत यह है कि भारतीय वायुसेना की रणनीति के सामने पाकिस्तान कंफ्यूज हो गया. उसे समझ में नहीं आया कि आखिर यह कैसे हो गया और जब तक वह कोई जवाबी कार्रवाई कर पाता, भारत के सारे लड़ाकू विमान सही सलामत देश वापस पहुंच चुके थे.

26 फरवरी की सुबह तीन बजे अगर पाकिस्तान अपने रडार को मॉनीटर कर रहा होगा, उसे बॉर्डर के आस-पास 52 जगहों पर हवा में हलचल दिखाई दी होगी. दरअसल, वोस्टर्न और सेंट्रल कमांड के अलग-अलग एयरबेस से कई सारे विमानों ने एक साथ उड़ान भरना शुरू किया. बॉर्डर के किनारे स्थित एयरबेस, जैसलमेर से लेकर पठानकोट तक, से जो भी विमान उड़े, वे बॉर्डर के आस-पास मंडराते रहे. पाकिस्तान की एजेंसियां इस बात को लेकर कंफ्यूज थीं कि आखिर भारतीय वायुसेना करना क्या चाहती है? इस बीच ग्वालियर एयरबेस से 12 मिराज 2000 ने उड़ान भरी. इनमें छह हमला करने वाले और छह बचाव करने वाले हथियारों से लैस थे. ये वे विमान थे, जिन्हें पाकिस्तान की सरहद पार कर अंदरूनी इलाके में स्थित टारगेट पर हमला करना था. इन विमानों ने बॉर्डर नहीं क्रास किया, बल्कि आगरा-दिल्ली-चंडीगढ़ के ऊपर से उड़ते हए कश्मीर के आसमान में पहुंचे. पाकिस्तानियों को लगा कि यह पिछले दस दिनों से चल रही एक्सर साइज का हिस्सा है. लेकिन, अचानक से 12 मिराज 2000 लाइन ऑफ कंट्रोल क्रास कर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के इलाके में जा घुसे. यहां वे दो अलग-अलग टीमों में बंट गए. एक टीम के निशाने पर मुजफ्फराबाद में मौजूद आतंकी कैंप था, तो दूसरी टीम के पास इंटरनेशनल बॉर्डर पार कर बालाकोट स्थित आतंकियों के सबसे बड़े ट्रेनिंग कैंप को नेस्तनाबूद करने की जिम्मेदारी थी.

air strickबालाकोट का यह ट्रेनिंग कैंप पाकिस्तान के अंदरूनी इलाके में है. यहां लश्कर-ए-तैय्यबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती है. यह जंगलों के बीच एक पहाड़ी के ऊपर बसा है. आसपास कोई रिहायशी इलाका नहीं है. पूरा का पूरा इलाका पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के नियंत्रण में है. पाकिस्तानी सेना को लगता था कि आतंकियों का यह ठिकाना भारत की पहुंच के बाहर है, क्योंकि यहां तक पहुंचने के लिए भारतीय सेना को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पार कर पाकिस्तान में घुसना पड़ेगा. इसलिए पुलवामा हमले के बाद बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय तो खाली करा लिया गया, लेकिन बालाकोट स्थित कैंप में आतंकी चैन से बैठे रहे. उन्हें यकीन था कि भारतीय सेना वहां आकर सर्जिकल स्ट्राइक नहीं कर सकती. भारत के पास इस आतंकी कैंप की पूरी जानकारी थी. इस कैंप में करीब 325 आतंकी मौजूद थे, जिन्हें ट्रेनिंग दी जा रही थी. ट्रेनिंग देने वाले 25 कमांडर भी मौजूद थे. इस ट्रेनिंग कैंप में फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाएं हैं. यहां एक स्विमिंग पुल भी है. शूटिंग रेंज से लेकर हर तरह की सुविधा मौजूद है. यहां पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों की देखरेख में आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती है. सबसे अहम बात विस्फोटक से लदे वाहनों द्वारा हमला करने की ट्रेनिंग भी इसी जगह दी जाती है. लेकिन, भारतीय वायुसेना के हमले के बाद यहां सब कुछ जमींदोज हो चुका है. यह हमला तब हुआ, जब सारे आतंकी सो रहे थे.

वायुसेना ने सिर्फ 17 मिनट में मुजफ्फराबाद और बालाकोट के आतंकी कैंप नेस्तनाबूद कर दिए. इन टारगेट को ध्वस्त करने के बाद लौटते हुए उसने चकोटी स्थित आतंकी कैंप पर भी बम बरसाए. सबसे अहम बात यह कि आतंकियों के सारे ठिकानों पर लेजर गाइडेड मिसाइल से हमला किया गया. इसके लिए टारगेट से काफी दूर से ही मिसाइल दागी गई, जो सटीक निशाने पर जा लगी. इस हमले में कितने आतंकी मारे गए हैं, इस पर भारत सरकार ने कोई आंकड़ा तो नहीं दिया है, लेकिन अनुमान यही है कि वायुसेना के इस ऑपरेशन में तीन सौ से ज्यादा आतंकी मारे गए हैं. जैश-ए-मोहम्मद के सरगना अजहर मसूद के साले मौलाना युसूफ अजहर के मरने की भी खबर आई है. अच्छी बात यह कि वायुसेना ने इस ऑपरेशन के दौरान तीन ठिकानों पर छह टारगेट्स ध्वस्त किए, लेकिन इस कार्रवाई में किसी भी नागरिक की मौत नहीं हुई. मतलब साफ है कि यह ऑपरेशन भारतीय सेना के पराक्रम ही नहीं, बल्कि रणनीति और युद्धनीति का बेहतरीन नमूना था. सबसे अहम सवाल यह कि हमले की योजना कब बनी, कहां-कहां बम बरसाने हैं, वह किसने तय किया और सेना को सरहद पार करने का आदेश किसने दिया, यह सब समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि पुलवामा हमले के बाद क्या हुआ.

जिस समय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रेस कांफ्रेंस करके पुलवामा आतंकी हमले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला कर रहे थे, उससे पहले ही पाकिस्तान को जवाब देने की योजना बना ली गई थी. बस, इस योजना को अमल में लाने के लिए एक सही समय निर्धारित करना बाकी रह गया था. दरअसल, पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकवादी हमले के अगले दिन यानी 15 फरवरी को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और तीनों सेना के प्रमुखों की एक बैठक हुई, जिसमें वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ ने पुलवामा हमले का बदला लेने के लिए हवाई हमले की पूरी योजना रखी. ओपिनियन पोस्ट को मिली जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में ज्यादा चर्चा नहीं हुई, क्योंकि उरी हमले के बाद जब सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक का फैसला लिया था, उस समय भी वायुसेना ने यह प्रस्ताव दिया था. वायुसेना उस समय ही यह ऑपरेशन करना चाहती थी. उनकी दलील थी कि हवाई हमले में ज्यादा जोखिम नहीं है और इसे चंद दिनों में ही अंजाम दिया जा सकता है. लेकिन, तब वायुसेना के इस प्रस्ताव को इसलिए ठुकरा दिया गया था, क्योंकि उस समय यह लगा कि हवाई हमले से मामला बिगड़ सकता है, युद्ध हो सकता है और कहीं कोई दुर्घटना हो गई, तो काफी नुकसान हो सकता है. लेकिन, पुलवामा हमले के बाद कोई चारा बचा नहीं था, क्योंकि खुफिया रिपोर्ट यह थी कि पाकिस्तान सेना सर्जिकल स्ट्राइक का जवाब देने के लिए कई इलाकों में तैयार बैठी है. इसलिए इस बार वायुसेना की योजना को हरी झंडी दे दी गई.

caवायुसेना ने इस योजना को अंजाम देने के लिए दस दिनों का समय मांगा. उसकी योजना पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी शिविरों पर हवाई हमला करने की थी, जिसे बारीकी से देखने के बाद गंभीरता से विचार किया गया. हालांकि, योजना के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना के कई ठिकानों को भी निशाना बनाना था, लेकिन वायुसेना को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि हमले में पाकिस्तान के आम नागरिक को कोई नुकसान न हो और जवानों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए तथा किसी भी सैन्य ठिकाने पर हमला न किया जाए. इन निर्देशों के बाद सरकार ने उस पर अमल करने की सहमति दे दी. इसके बाद पीओके स्थित जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्ब-उल-मुजाहिद्दीन के आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया गया. 16 फरवरी से ही वायुसेना और सेना ने संयुक्त रूप से नियंत्रण रेखा की निगरानी शुरू कर दी. एलओसी के आसपास की गतिविधियों पर नजर रखने और पीओके के आतंकवादी शिविरों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए नेत्र एईडब्ल्यू एंड सी और हेरॉन ड्रोन का इस्तेमाल किया गया. इजरायल से खरीदे गए इस ड्रोन के पास अद्भुत अचूक मारक क्षमता है. पहले यह लक्ष्य को खोजता है, फिर हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों की मदद से अपने निशाने को ट्रैक करता है और फिर हमला कर देता है. यह ड्रोन तीस घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है. हेरॉन ड्रोन एक टन के पेलोड के साथ चालीस हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इसके पेलोड में उच्च क्षमता वाले इलेक्ट्रो ऑप्टिकल और लेजर रेंज होते हैं, जिसकी वजह सेयह बड़े पैमाने पर खुफिया जानकारी एकत्र कर सकता है. इस ड्रोन का इस्तेमाल कर भारतीय सेना ने पहले पीओके स्थित जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्ब-उल-मुजाहिद्दीन के शिविरों का पता लगाया, जहां सैकड़ों प्रशिक्षित और प्रशिक्षण लेने वाले आतंकवादी रह रहे थे. अगले चार दिनों तक सेना ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों के इन ठिकानों की जानकारी जुटाई, ताकि हमले के दौरान किसी तरह की कोई चूक न हो. 20 फरवरी को सेना के पास उन जगहों की एक सूची तैयार हो गई थी, जहां हमला किया जाना था. 21 फरवरी को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को पूरी योजना का ब्योरा दिया गया. इसमें उन जगहों के बारे में पूरी जानकारी दी गई थी, जहां पर वायुसेना को हमला करना था. डोभाल ने योजना को देखा और सैन्य अधिकारियों को निर्देश दिया कि इसके कार्यान्वयन में किसी तरह की कोई चूक नहीं होनी चाहिए. डोभाल ने पूरी योजना के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चर्चा की, जहां से हमले के लिए हरी झंडी मिल गई.

इसके बाद 22 फरवरी को भारतीय वायुसेना के 1-स्क्वाड्रन (टाइगर) और 7-स्क्वाड्रन बैट्ल एक्सेस को मिशन अंजाम देने के लिए तैयारी करने को कहा गया. इसके बाद दो मिराज स्क्वाड्रन को इसके लिए तैयार किया गया, जिसमें 12 जेट विमान हैं. अगले दो दिनों तक पीओके में हमले के लिए तैयारी की गई. हमले का पूर्वाभ्यास किया गया और साथ ही नौसेना को भी तैयार रहने के लिए कह दिया गया. 25 फरवरी की मध्य रात्रि से तैयारी शुरू हो गई. 26 फरवरी को सुबह तीन बजे ग्वालियर से 12 मिराज-2000 विमानों ने लेजर गाइडेड बमों के साथ उड़ान भरी. उनकी सहायता के लिए सुखोई-30 को भी तैनात रखा गया, ताकि अगर पाकिस्तान की ओर से कोई कार्रवाई की जाए, तो उसका जवाब दिया जा सके. मिराज-2000 विमानों ने ग्वालियर से उड़ान भरी, तो दूसरी ओर पंजाब के भटिंडा से वायुसेना के अर्ली वार्निंग जेट ने उड़ान भरी और हवा में ईंधन भरने के लिए आगरा से वायुसेना का विमान भेजा गया. इसके साथ ही पाकिस्तान की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए इजरायल से लिया गया एक बेहतरीन ड्रोन हेरॉन भी भेजा गया. पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद, चकोटी एवं बालाकोट स्थित आतंकवादी शिविरों और लांचिंग पैड पर मिराज विमानों ने बम गिराए, जिसमें 300 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए. वायुसेना को यह ऑपरेशन पूरा करने के लिए 20 मिनट का समय दिया गया था. यह समय पाकिस्तान के रडार और वायुसेना की कार्रवाई को ध्यान में रखते हुए दिया गया था. हालांकि, वायुसेना ने इससे भी कम समय यानी 17 मिनट में ही पूरे ऑपरेशन को अंजाम दे दिया. पीओके में पहला बम गिराए जाने के साथ ही एनएसए डोभाल को इसकी जानकारी दे दी गई, जिन्होंने प्रधानमंत्री को इस बारे में अवगत करा दिया. इसके बाद एक प्रेस कांफ्रेंस कर विदेश सचिव ने देश को इस ऑपरेशन की जानकारी दी.

डर गया पाकिस्तान

भारतीय वायुसेना की एलओसी पार हवाई कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने स्वीकार किया कि भारतीय लड़ाकू विमानों ने एलओसी का उल्लंघन किया और वे पाक अधिकृत कश्मीर में घुस आए थे. साथ में यह भी कहा कि पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों ने उन्हें वापस जाने पर मजबूर कर दिया. पाकिस्तानी सेना के जनसंपर्क प्रमुख मेजर जनरल आसिफ गफूर ने अपने ट्वीट में कहा कि भारतीय लड़ाकू विमान मुजफ्फराबाद सेक्टर से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुस आए. पाकिस्तानी वायुसेना समय पर हरकत में आई और भारतीय लड़ाकू विमानों को वापस होने पर मजबूर कर दिया गया. वापस जाते हुए वे बालाकोट के नजदीक बम (पेलोड) गिराकर चले गए. मेजर गफूर से गलती यह हुई कि उन्होंने बालाकोट का नाम ले लिया. इस स्वीकारोक्ति की वजह से पाकिस्तान डिनायल मोड (इंकार की हालत) में नहीं आ सकता. यही वजह थी कि पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया पर सबसे पहले इसी बात पर बहस शुरू हो गई कि यह कौन सा बालाकोट है, खैबर पख्तूनख्वा वाला बालाकोट या एलओसी स्थित बालाकोट? पाकिस्तान ने पहले इस बात से इंकार किया कि यह पख्तूनख्वा वाला बालाकोट है. पाकिस्तान के कई सहाफी और सोशल मीडिया यूजर्स ने पाकिस्तान के आधिकारिक बयान की लकीर पीटनी शुरू कर दी. इनमें भारत में जाने-पहचाने पाकिस्तानी मीडिया के चेहरे हामिद मीर भी शामिल थे. उन्होंने यहां तक कह दिया कि भारतीय लड़ाकू विमान एलओसी के अंदर आए तो, लेकिन पाकिस्तानी शाहीन (लड़ाकू विमानों) की कार्रवाई के बाद वापस चले गए.

पाकिस्तान में ही कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने मेजर जनरल आसिफ गफूर से सफाई मांगी कि यह कौन सा बालाकोट है? द न्यूज के एडिटर मुशर्रफ जैदी ने सवाल उठाया कि अगर बालाकोट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नहीं, बल्कि खैबर पख्तूनख्वा में है, तो भारतीय लड़ाकू विमानों ने पीओके पर नहीं, बल्कि पाकिस्तान पर अपना पेलोड गिराया है यानी पाकिस्तान पर हमला किया है. अगर पाकिस्तान पर हमला हुआ है, तो पाकिस्तान एयरफोर्स क्या कर रही थी? पाकिस्तान के इंकार को बीबीसी ने इकरार करने पर मजबूर कर दिया. बीबीसी ने बालाकोट के एक चश्मदीद का वीडियो जारी किया, जिसमें उसने बताया कि वहां हवाई हमला हुआ है. दरअसल, पुलवामा हमले के बाद जब भारत ने उसका जवाब देने की बात की, तो इमरान खान ने दावा किया था कि वह किसी भी भारतीय कार्रवाई का तुरंत जवाब देंगे, लेकिन जब ऐसे सवाल उठने लगे कि भारतीय लड़ाकू विमान सिर्फ पाक अधिकृत कश्मीर में ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान (प्रॉपर) में भी कार्रवाई करके वापस चले गए और पाकिस्तान कुछ नहीं कर सका, तो पाकिस्तान नेशनल एसेंबली में इमरान खान ‘शेम शेम’ के नारे तक लगे. वायुसेना के हमले के बाद पाकिस्तान के कराची स्टॉक एक्सचेंज ने भी अपनी प्रतिक्रिया 464.50 अंक नीचे लुढक़ कर दी.

पाकिस्तानी नेताओं ने हालांकि एकजुटता दिखाने की कोशिश की, लेकिन भारतीय कार्रवाई के बाद उनके बयान ही उनकी मन:स्थिति को जाहिर करते हैं. पूर्व विदेश मंत्री एवं पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की नेता हिना रब्बानी खार ने ट्वीट कर कहा, भारत की कार्रवाई ने केवल पाकिस्तान की शांति और सुरक्षा को ही चुनौती नहीं दी है, बल्कि पूरे क्षेत्र को खतरे में डाल दिया. पाकिस्तान मोदी के भारत के खिलाफ एकजुट है. पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) की नेता मरियम नवाज शरीफ ने अपने ट्वीट में कोट लखपत जेल में कैद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा है कि अल्लाह वतन-ए-अजीज की हिफाजत फरमाए और पाकिस्तान पर कोई आंच न आने दे. लेकिन हकीकत यह है कि भारत की बड़ी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान सहम गया है. उसका सबसे बड़ा डर यह है कि अब भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु संतुलन की थ्योरी ध्वस्त हो गई है. भारत ने पाकिस्तान की वायुसीमा में दाखिल होकर यह साबित कर दिया कि अब वह पाकिस्तान की गीदड़ भभकियों में नहीं आने वाला. अगर पाकिस्तान भारत को चोट पहुंचाएगा, तो वह बातचीत और परमाणु हथियार के पर्दे में नहीं छिप सकता.

पाकिस्तान से ऐसी प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भारत के साथ पारंपरिक युद्ध बर्दाश्त नहीं कर सकती. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने भारत के इस हमले पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की है. अमेरिका ने पहले कहा था, भारत पाकिस्तान पर ‘बड़ी कार्रवाई’ की योजना बना रहा है और वह भारत की आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन कर करता है. यह अमेरिका का पाकिस्तान को साफ संदेश था कि अगर वह अपनी जमीन को भारत के खिलाफ आतंकी कार्रवाइयों के लिए इस्तेमाल होने देगा, तो वह बार-बार भारत को संयम बरतने को नहीं कह सकता. हालांकि, पाकिस्तान बदले की कार्रवाई की बात कर रहा है, लेकिन इसकी संभावना बहुत कम है कि वह भारत के साथ पारंपरिक युद्ध छेडऩे का दुस्साहस करेगा.

नेता जी कहिन

“सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं झुकने दूंगा…”

-नरेन्द्र मोदी

“मैं भारतीय वायुसेना के पायलटों को सलाम करता हूं.”

-राहुल गांधी

“मैं भारतीय वायुसेना के पायलटों की बहादुरी को सलाम करता हूं जिन्होंने पाकिस्तान में आतंक के निशानों पर हमला कर हमारा गौरव बढ़ाया है.”

-अरविंद केजरीवाल

“देश की वायुसेना को शौर्यपूर्ण शुभकामनाएं! हम सब उनके साथ हैं.”

-अखिलेश यादव

“कहा था वतन से मैं देश नहीं झुकने दूंगा,

@narendramodi है तो मुमकिन है.”

-स्मृति इरानी

“भारत की सेना को आज के कार्रवाई के लिए सलाम.

भारत के प्रधानमंत्री श्री  @narendramodi जी को इस निर्णायक एवं मज़बूत नेतृत्व के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद.”

-संबित पात्रा ‏

“वायु सेना के वीर पवन पुत्र हनुमानों को प्रणाम. हमारे प्रधानमंत्री श्री@narendramodi जी के साहसिक एवं निर्णायक नेतृत्व में @IAF_MCC की सटीक मारक जवाबी कार्रवाई, शांति के विरोधियों के लिए चेतावनी है. हमें हमारी सशस्त्र सेनाओं की क्षमता, शौर्य पर गर्व है.

जय हिन्द! “

-सुमित्रा महाजन

“पीएम ने पुलवामा के जवानों की शहादत के बदले में कार्रवाई करने के लिये अब जो फ्री हैण्ड सेना को दिया है अगर यह फैसला मोदी सरकार द्वारा पहले ले लिया गया होता तो पठानकोट, उरी व पुलवामा जैसी अति-दु:खद व अति-चिन्तित करने वाली घटनायें नहीं होती और न ही इतने जवान शहीद होते.”

-मायावती

“अगर ये पीओके का बालाकोट है तो ये भारतीय वायुसेना के विमानों की बहुत बड़ी कार्रवाई है. लेकिन यदि ये पूंछ सेक्टर का बालाकोट है, जो कि LOC से लगा है तो ये मोटे तौर पर एक सांकेतिक हमला है क्योंकि साल के इस समय चरमपंथियों के कैंप ख़ाली और निष्क्रिय होते हैं.”

-उमर अबदुल्ला