निशा शर्मा

हिन्दी सिनेमा जगत में शमशाद बेगम छम छमा छम करती एक प्रेम की फुहार सी आई और प्यार का पहला संदेश ऐसा बिखेरा कि जहां जहां उनकी आवाज पहुंची वहां वहां प्यार का खुमार लोगों में सिर चढ़कर बोलने लगा। खनकती सी ये आवाज पहले तो घर तक ही सीमित थी, लेकिन सूरज की रोशनी को कैद करना आसान कहां था और वो रोशनी फैली ऐसी फैली की संगीत की दुनिया को रोशन कर गई। हालांकि कहा जाता है कि शुरुआत मे बेगम का संगीत की दुनिया में आना एक सपने की तरह था, वह मुस्लिम परिवार में जन्मी, पिता गाने- बजाने से परहेज करते थे। पिता को पसंद नहीं था कि उनकी बेटी इस पेशे में जाए। लेकिन शमशाद की साफ और मधुर आवाज को भला कौन रोक सकता था। जिसने भी उनकी आवाज़ सुनी वह उनके पिता के पास फरियाद लेकर गया कि इस लड़की को गाने दिया जाए। किसी तरह पिता को मनाया गया, लेकिन पिता ने शमशाद के आगे एक शर्त रखी वह शर्त थी कि वो गा तो सकती हैं लेकिन कहीं पर भी उनका चेहरा ना आए, चाहे वह टीवी हो या पत्र-पत्रिकाएं। वो जमाना ओर था जिसमें शमशाद बेगम ने पिता के आदेश को सर आखों पर लिया और ताउम्पिर निभाया। यही वजह रही कि वो कभी कैमरे पर नहीं आईं और ना ही उनकी फोटो कभी अखबार, मैगजीन में किसी को देखने को मिली।

बेगम की आवाज में एक कशिश थी, जिसे सुनकर कोई भी उनकी आवाज की ओर खिंचे बिना नहीं रह पाता था। ये आवाज की कशिश ही होगी कि सारंगी के सुल्तान उस्ताद हुसैन बख्शवाले साहेब ने शमशाद बेगम को अपना शागिर्द बना लिया। बेगम की आवाज में दिन ब दिन निखार देखा गया। चालीस के दशक में शमशाद की आवाज का जलवा दुनिया ने देखा, जिस गाने को उन्होंने गाया वो हिट, सुपरहिट ही नहीं रहा बल्कि लोगों के जहन में बस गया।

शमशाद की आवाज की दुनिया ही दिवानी नहीं थी बल्कि उनकी खनकते हुए सुरों के ओ पी नैय्यर और नौशाद जैसे कई संगीतकार भी मुरीद थे। नौशाद के साथ शमशाद बेगम ने बाबुल, मुग़ल-ए-आज़म, आन, बैजू बावरा और मदर इंडिया जैसी फ़िल्मों में गाने गाए। यह सभी गीत हिट भी रहे । शमशाद की आवाज़ का जलवा इस कदर संगीतकारों से सिर चढ़कर बोला कि ओ पी नैयर साहब ने लता मगेंशकर और शमशाद बेगम में से शमशाद बेगम को चुना। नैयर साहब का कहना था कि वो जो भी हैं वो शमशाद बेगम की वजह से हैं।

शमशाद ने करीब पांच सौ गीत गाए जो कि लता मंगेशकर के गीतों की संख्या का एक चौथाई भी नहीं है, लेकिन आज भी बेगम के जितने गानों को रिमिक्स किया गया शायद ही किसी और गायक के गानों को रिमिक्स की दुनिया में इतनी तवज्जो मिली हो। खास बात ये रही कि शमशाद का ओरिजनल गाना जितना मशहूर हुआ उतने ही हिट उनके रिमिक्स भी हुए। उनके ‘सैंया दिल में आना रे’, ‘कजरा मोहब्बत वाला’, ‘कभी आर कभी पार’ जैसे गानों के रिमिक्स काफी पॉपुलर भी हुए। ‘कजरा मोहब्बत वाला’ के रिमिक्स को तो सोनू निगम ने आवाज भी दी। शमशाद बेगम को इन रिमिक्स पर कोई एतराज नहीं रहा। वो इन्हें वक्त की मांग मानती थीं। 14 अप्रैल 1919 को जन्मी सुरों की मल्लिका शमशाद बेगम अपनी आवाज की खनक को लोगों के जहन में छोड़ 23 अप्रैल 2013 को इस दुनिया से अलविदा कह गई ।