कोहिनूर हीरा वापसी पर दिए बयान के बाद घिरी केन्द्र सरकार ने 24 घंटों के अंदर यूटर्न ले लिया है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक सरकार अपने दिए बयान से पलटती नजर आ रही है। माना जा रहा है कि अब सरकार ने कोहिनूर की वापसी के लिए हरसंभव कोशिश करने की बात की है। दरअसल,, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने सोमवार को साफ कर दिया था कि वह कोहिनूर हीरे की वापसी की मांग नहीं कर सकती। सरकार ने कहा था कि 1849 में कोहिनूर ईस्ट इंडिया कंपनी को महाराजा दिलीप सिंह ने बतौर उपहार दिया था। सरकार की ओर से दिए बयान के बाद मीडिया ही नहीं राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई। माना ये भी जा रहा है कि मोदी सरकार के इस बयान से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी नाखुश  है। जिसके बाद ही सरकार ने मामले पर यूटर्न लिया है।

कोहिनूर हीरे को लेकर कई खबर तथ्यों पर आधारित नहीं
सरकार की ओर से कहा गया है कि कोहिनूर हीरे को लेकर कई खबर तथ्यों पर आधारित नहीं हैं. तथ्य यह है कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है। सुप्रीम कोर्ट इस मांग के साथ दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने एएसआई के तथ्यों के आधार पर बयान दिए।सरकार ने कोर्ट में अब तक अपने विचार नहीं रखे।

पं. नेहरू के बयान को बनाया आधार
कोर्ट में सरकार की ओर से बयान देते हुए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के 1956 में दिए गए आधिकारिक बयान का हवाला दिया गया। उन्होंने कहा था कि इस कलात्मक बहुमूल्य कृति को वापस लेने के लिए हमारे पास कोई आधार नहीं है। इसके लिए कोशिश करना मुसीबतों को बढ़ाएगा।

पीएम मोदी की कोशिशों से वापस आई धरोहरें
दूसरी ओर मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिशों से देश की तीन मशहूर धरोहर वापस लाई जा चुकी है. अक्टूबर 2015 में जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्कर ने वहां की म्यूजियम में रखी 10वीं शताब्दी की देवी दुर्गा की प्रतिमा लौटाई थी। अप्रैल, 2015 में कनाडा के पीएम स्टीफन हार्पर ने 900 साल पुरानी पेरॉट लेडी के नाम से मशहूर कृति को वापस किया। वहीं जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने महान स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा का अस्थिकलश देश लाने में कामयाबी पाई थी।श्यामजी के निधन के 70 साल बाद यह मुमकिन हो पाया था। इन घटनाओं के बाद पीएम मोदी से उम्मीद बनी है कि वह देश की महान ऐतिहासिक और बहुमूल्य कृति कोहिनूर को वापस लाया जा सकेगा .

कोर्ट खारिज नहीं कर सकता कोहिनूर वापसी की मांग
कोर्ट ने कहा कि हम इस याचिका को मेरिट पर नहीं बल्कि इस वजह से खारिज नहीं कर सकते कि दूसरे मुल्कों को ये कहने का मौका न मिले कि आपकी सुप्रीम कोर्ट ने ही दावा खारिज कर दिया। कोर्ट ने सरकार को 6 हफ्तों का समय दिया कि वो हलफनामा दायर करे। कोर्ट ने कहा कि सरकार साफ करें कि कोहिनूर को वापस लाने के लिए वो क्या कुछ कोशिशें कर चुकी है और क्या कोशिशें और कर सकती है।

कोर्ट में सुनवाई के बाद सियासत तेज
संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने कहा था कि कोहिनूर हीरा आजादी के पहले का विषय है। इस पर अगर कोई कार्रवाई करनी होगी तो वह विदेश मंत्रालय करेगा। संस्कृति मंत्रालय इस मामले पर अपनी तरफ से कोई विचार नहीं रखेगा। वहीं दिल्ली के पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर मोदी सरकार से अपना बयान वापस लेने की मांग की थी।

https://twitter.com/KapilMishraAAP/status/722448988692221952