ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज़ में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं, लेकिन इनसे प्रदूषण कम होता है। सामान्य पटाखों की तुलना में इन्हें जलाने पर 40 से 50 फ़ीसदी तक कम हानिकारण गैस पैदा होते हैं। ऐसे पटाखों को ग्रीन पटाखे कहा जाता है।

इन पटाखों में हानिकारक चीजों को अन्य कम हानिकारक तत्वों से बदल दिया जाता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता है। बता दें कि केन्द्रीय साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर हर्ष वर्धन ने जनवरी में इस तरह के पटाखों का प्रस्ताव दिया था।

जिसके बाद CSIR लैब्स की विभिन्न शाखाओं में इस पर रिसर्च हुई। इस खोज में सीएसआईआर के साथ ही सेंट्रल इनेक्ट्रो केमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, इंडीयन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, नेशनल बोटेनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट और नेशनल केमिकल लेबोरेट्री भी शामिल रहे।इन विभिन्न लैब्स ने इको फ्रैंडली मैटिरियल का इस्तेमाल करते हुए फ्लॉवर पोट्स का विकास किया है।