रमेश कुमार ‘रिपु’

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उचेहरा में अति उत्साह में जनता को दिग्विजय सिंह के कार्यकाल की याद दिला रहे थे। किस तरह बिजली और सड़क के लिए जनता को रोना पड़ता था। जब वे ऐसा बोल रहे थे उसी समय अचानक उनके पंडाल की लाइट चली गई। लोगों से उन्होंने मोबाइल की लाइट जलाने का आग्रह किया। जाहिर सी बात है मुख्यमंत्री शिवराज चाहते हैं कि चुनाव शिवराज बनाम महाराज नहीं बल्कि, शिवराज बनाम दिग्विजय सिंह राज में तब्दील हो जाए। इसलिए वे अपनी जन आशीर्वाद यात्रा में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम नहीं लेते। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिग्विजय सिंह की भाषा शैली पर तंज कसते हुए कहा, पुलिस किसी आतंकवादी को मार दे तो दिग्विजय आतंकवादी के घर जाते हैं। उन्हें जी कहकर संबोधित करते हैं। कई बार दिग्विजय सिंह के ये कदम मुझे देशद्रोही लगते हैं। दिग्विजय सिंह इस बात को गांठ बांध लिया और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ 26 जुलाई को पहुंच गए टीटी नगर थाने गिरफ्तारी देने। दिग्विजय की मंशा थी कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार करे ताकि प्रदेश में गिरफ्तारी की सियासत तेज हो जाए और कांग्रेस के साथ उनकी भी टीआरपी बढ़ जाए। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री मुझे देश द्रोही कह रहे हैं तो कोई सबूत भी दिए होंगे। पुलिस ने लिखित में कहा, उनके खिलाफ कोई मामला नहीं है। इसलिए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। दिग्विजय सिंह को मौका मिल गया और मीडिया से उन्होंने शिवराज के खिलाफ कई आरोप लगाते हुए कहा, देश द्रोही बयान पर उनके खिलाफ मानहानि का केस करूंगा। दिग्विजय की इस सियासी चाल के जवाब में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पन्ना में कहा, दिग्विजय सिंह छपने के लिए कुछ भी बोलते हैं। मैंने कुछ कह दिया तो वे चल दिए गिरफ्तारी देने। जबकि भगवा और हिन्दू आतंकवाद जैसे शब्द उन्होंने ही गढ़े। देश की संस्कृति और मानवीय मूल्य को बदनाम किया।

बावरिया को पड़ा उल्टा दांव
मध्यप्रदेश के कांग्रेस प्रभारी दीपक बावरिया ने रीवा के सर्किट हाउस में अजय सिंह और अरुण यादव के समर्थकों के समक्ष कहा कि कांग्रेस बहुमत में आई तो कमलनाथ या फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री होंगे। तीसरे का कोई विकल्प नहीं है। उनके इस बयान से बवाल मच गया। दूसरी ओर दिज्विजय सिंह बार बार यह दोहराते हैं कि पार्टी के लिए आगे रहकर काम करूंगा लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बनूंगा। वहीं कमलनाथ खुद को सीएम चेहरा न होने का बयान दिया है। चौकाने वाली बात है कि दुल्हन तय नहीं हुई है और दूल्हा बनने की दावेदारी की जा रही है। अजय सिंह राहुल को मुख्यमंत्री की दौड़ से अलग करने पर कांग्रेसी बावरिया के साथ अभद्रता पर उतर आए। न केवल उन्हें धक्का दिया गया बल्कि, मारने के लिए मच्छरदानी की पाइप निकाल लिए थे। इस घटना को बावरिया सहित कांग्रेस के तमाम नेता भाजपा की साजिश बताया। सवाल यह है कि कांग्रेस की कथित बदसलूकी को भाजपा की साजिश एक तरफ कहना दूसरी ओर अजय सिंह राहुल और अरुण यादव के समर्थित छह कांग्रेसियों को पार्टी से बाहर करने पर भाजपा की साजिश कैसे हो गई। वहीं कांग्रेस के दो पार्षदों चक्रधर सिंह जवा तथा विनोद शर्मा रीवा को शोकॉज नोटिस जारी हुआ और कहा गया कि बावरिया से अभद्रता के लिए आपकी ओर से कांग्रेसियों को उकसाया गया है। इस पर गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा, यदि दीपक बावरिया स्वयं के नेताओं और कार्यकर्ताओं से असुरक्षित महसूस करते हैं तो प्रदेश सरकार उन्हें सुरक्षा प्रदान करने को तैयार है। गृहमंत्री के इस बयान से नेता प्रतिपक्ष ने गृहमंत्री को पत्र लिखकर कहा, प्रदेश में महिलाओं और बच्चियों के साथ छेड़खानी हो रही है तो इसकी चिंता नहीं है। पहले इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें।

अजब सियासत
प्रदेश में भाजपा ने दिग्विजय सिंह के शासन काल को मुद्दा बनाने का निर्णय किया है वहीं कांगे्रस यह बताने का प्रयास करेगी कि केंद्र की तत्कालीन भाजपा सरकार ने साजिश के तहत दिग्विजय सरकार को फेल करने की कोशिश की थी। कांग्रेस की सूची के अनुसार दिग्विजय सिंह के 10 वर्ष के कार्यकाल में जितने काम हुए हैं उतने भाजपा के 15 वर्ष में भी नहीं हुए हैं। वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ को अलग किया जिससे अधिकांश पॉवर प्लांट छत्तीसगढ़ चले गए। वहां मांग से ज्यादा बिजली हो गई। इसलिए प्रदेश में बिजली संकट हो गया। केंद्र की भाजपा सरकार ने आर्थिक सहायता में भी भारी कटौती की, जिससे ओवर ड्राफ्ट से काम चलाना पड़ा।

चुनावी टीआरपी का सौन्दर्य
जनता हमें फिर चुन ले इसके लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह 50 लाख स्मार्ट फोन मुफ्त बांट रहे हैं। 45 लाख महिलाओं को और 5 लाख युवाओं को मोबाइल मिलेगा। चौकाने वाली बात है कि स्काई योजना के तहत 26 जुलाई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मोबाइल बांटने की योजना की शुरुआत बस्तर में कर चुके थे। फिर भी रायपुर में मात्र सात लोगों को मोबाइल बांटने के लिए लाखों रुपये खर्च करके फिल्म अभिनेत्री कंगना रानावत को बुलाया गया। जाहिर है कि मुख्यमंत्री मोबाइल के जरिये भाजपा की टीआरपी के सौन्दर्य को निखारना चाहते हैं। इस अवसर पर डॉ. रमन सिंह ने कहा कि मोबाइल से छत्तीसगढ़ में अब संचार क्रांति आ जाएगी। उन्होंने 556 टॉवरों का उद्घाटन भी किया। दरअसल, कंगना रानावत ने यदि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ न किया होता तो सरकारी कार्यक्रम में उनके आने की संभावना नहीं थी। मुख्यमंत्री कहते हैं कंगना रानावत को जीओ वालों ने बुलाया है, प्रदेश सरकार ने नहीं। हीरो हीरोइन के आने से सरकार को और प्रदेश को कोई दिक्कत नहीं है। विपक्ष को एतराज है। कंगना से और मोबाइल बांटने के कार्यक्रम से भी। हो भी क्यों न, जब स्काई योजना के तहत राष्ट्रपति मोबाइल बांटने की शुरुआत कर चुके थे फिर लाखों रुपये क्यों खर्च कर आयोजन किया गया। मोबाइल से संचार क्रंति आएगी या फिर भाजपा के लिए क्रांति आएगी अथवा मुफ्त में 50 लाख छत्तीसगढ़िया मोबाइल धारक बन जाएंगे। यह मोबाइल छह माह तक ही फ्री क्यों है। ऐसे कई सवाल विपक्ष के सियासी जेहन में हैं। विपक्ष विरोध करके अपनी टीआरपी बढ़ाना चाहता है और सरकार मोबाइल बांट कर। कंगना रानावत अभी कुछ दिनों तक युवाओं के जेहन में और विपक्ष की जुबान पर रहेंगी। सरकार तो चाहती है कि कंगना और मोबाइल की जितनी खिलाफत की जाएगी उतनी ही भाजपा की टीआरपी बढ़ेगी। कंगना के अनुसार यह डॉ. रमन सिंह की दूरदर्शी सोच है। महिला सशक्तिकरण की मिशाल है। बसपा अध्यक्ष ओ.पी. वाजपेयी कहते हैं, ‘मोबाइल बांटना सिर्फ चुनाव जीतने का सियासी हथकंडा है। ऐसे हंथकंडे तो होते रहते हैं। जनता ऊब चुकी है इनके सियासी हथकंडे से।’ कांग्रेस फ्री मोबाइल बांटने की योजना को सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का हथकंडा बता रही है। कांग्रेस की दलील है कि जैसा मोबाइल मुख्यमंत्री रमन सिंह खुद इस्तेमाल करते हैं, वैसा ही मोबाइल सभी वोटरों को मिलता तो अच्छा होता।

जीत के लिए तंत्र साधना
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह चौथी बार भी भाजपा की सरकार बने इसके लिए वे अब तांत्रिक की मदद ले रहे हैं। कथित तांत्रिक रामलाल कश्यप ने पिछले दिनों विधान सभा भवन पहुंच कर सनसनी फैला दी थी। उनके लिए विधानसभा का पास बीजेपी के पामगढ़ विधायक अंबेश जांगडे ने बनवाया था। रामलाल भारतीय जनता युवा मोर्चा का मंडलाघ्यक्ष भी है। कथित तांत्रिक का कहना था, चौथी बार भी भाजपा की सरकार बने इसके लिए विधान सभा की मिट्टी लेने आया हंू। रामलाल कश्यप फ्लाइट से अपने आठ अन्य साथियों के साथ अमरनाथ जा रहे हैं। वहां मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की फोटो रखकर तंत्र साधना करेंगे। डॉ. रमन सिंह के नाम की अखंड ज्योति भी वह जला चुके हैं। रामलाल जांजगीर जिले के पामगढ़ के पास मुलमुला गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने दावा किया है कि अमित शाह ने प्रदेश संगठन को 65 सीटें जीतने का टारगेट दिया है। तांत्रिक क्रिया और पूजा के बाद ऐसी कोई भी ताकत नहीं जो प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने से रोक सके। भाजपा 66 सीटें जीतेगी और अगली बार भी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ही होंगे।

भाजपा लौटी पुराने दफ्तर
अभी तक यही माना जा रहा था कि भाजपा 2018 का चुनाव नया कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर से ही लड़ेगी। लेकिन ज्योतिष के जानकारों ने एकात्म परिसर को ही भाग्यशाली बताया। 2003 से लेकर 2013 तक भाजपा अपने पुराने कार्यालय एकात्म परिसर से ही चुनाव लड़ती आई है। चुनाव जैसे संवेदनशील विषय को लेकर नए कार्यालय की डिजाइनिंग कहीं अनलकी साबित न हो जाए, इसलिए अब तक भाग्यशाली रहे एकात्म परिसर को ही केंद्रीय चुनाव कार्यालय बनाया गया है। वैसे भी कुशाभाऊ परिसर शहर से 14 किलोमीटर दूर है। उतनी दूर मीडिया वाले भी जाने से कतराते हैं। यह चुनाव कार्यालय पूरे हाईटेक संसाधनों से लैस है। रणनीतियों की तैयारी के लिए वार रूम और सर्वसुविधायुक्त स्टूडियो भी इस केंद्रीय चुनाव कार्यालय में है।

जोगी की पार्टी खेत में
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी सुर्खियों की राजनीति करने में माहिर हैं। उन्हें चुनाव आयोग से हल जोतता किसान चुनाव चिन्ह मिला तो अपने कार्यकर्ता और पदाधिकारियों को किसानों की मदद करने के लिए खेत जाने का आदेश दिया। खेत चलो अभियान न केवल किसानों को लुभा रहा है बल्कि पार्टी के लोगों को भी अच्छा लग रहा है। जछका के कार्यकर्ता गांव गांव किसानों के बीच पहुंचकर उनकी खेती किसानी में श्रमदान कर हाथ बंटा रहे हैं। पार्टी के चुनाव चिन्ह का प्रचार भी कर रहे हैं। जोगी की पार्टी खेतों में किसानों के साथ धान का रोपा लगा रही है। खेतों में काम कर रहे किसानों को पार्टी की नीति से अवगत करा रहे हैं। विधायक आर के राय ने खेत में ट्रैक्टर चलाया। किसानों को बताया कि छत्तीसगढ़ में जोगी सरकार बनी तो किसानों को धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपये प्रति क्विंटल और किसानों की पूर्ण कर्ज माफी की जाएगी।

जछका टूटने लगी
अजीत जोगी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के खिलाफ राजनांदगांव से चुनाव लड़ेंगे। ही साथ ही वे मरवाही विधान सभा सीट से भी चुनाव लड़ेंगे। जोगी कहते हैं कि उनकी पत्नी रेणू जोगी चाहती हैं कि यहां से चुनाव लड़ूं। इसलिए भी कि जोगीसार पैतृक गांव है। विधायक अमित जोगी ने कहा, वे इस बार मरवाही की जनता और अजीत जोगी के बीच नहीं आएंगे। उधर, कांग्रेस ने जोगी पर तंज कसते हुए कहा था कि जोगी मुख्यमंत्री रमन सिंह के ट्रबल शूटर की तर्ज पर उनके खिलाफ चुनावी अखाड़े में उतरने की मंशा जाहिर कर रहे हैं। इस पर कांग्रेस ने दावा किया कि जोगी भले ही मुख्यमंत्री रमन सिंह की मुसीबत कम करें लेकिन राजनांदगांव से कांग्रेस ही जीत दर्ज करेगी। वहीं इस समय अजीत जोगी की पार्टी से लोग धड़ाधड़ इस्तीफे दे रहे हैं। चुनाव से पहले इस तरह की राजनीति से सवाल यह उठने लगा है कि क्या जोगी की पार्टी चुनाव मैदान से हट जाएगी। दरअसल, अजीत जोगी बीमारी से लौटे तो उनकी पार्टी को छोड़कर लोग जाने लगे। जछका के प्रदेश महासचिव चंद्रिका साहू कहते हैं कि सारे कार्यकर्ता उपेक्षा महसूस कर रहे हैं। ऐसा नहीं लगता था कि राजनीतिक पार्टी है। मेरे साथ 700 लोगों ने इस्तीफा दिया है। जछका व्यक्तिगत पार्टी हो गई है। कोरिया के जिलाध्यक्ष यवत सिंह कहते हैं, संगठन में बिखराव आता गया। संगठन के लोगों की नहीं सुनी जाती। मनमानी करते हैं। वहां सम्मान की जगह अपमान किया जाता है। जछका के प्रवक्ता संजय अग्रवाल कहते हैं, जिन्हें टिकट नहीं मिला है वो इस्तीफा दे रहे हैं। उन्हें पार्टी की अस्मिता से कोई लगाव नहीं है। अजीत जोगी कांग्रेस में शामिल होंगे, के सवाल पर कहते हैं-न तो उधर से कोई पहल की जा रही है और न ही इधर से। दोनों तरफ से तलवार खिंच गई है।

पीसीसी के पिता से दूर रहें
कांग्रेस जनसंवाद यात्रा के जरिये लोगों से संवाद बना रही है। साथ ही पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को साथ में लेकर चल रहे हैं। ताकि भाजपा यह न कह सके कि कांग्रेस में टकराव है। वहीं दूसरी ओर, पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल की वजह से नराज नेताओं की नाराजगी को खत्म करने कांग्रेस के मीडिया प्रभारी शैलेष त्रिवेदी ने एक बयान जारी किया है कि पीसीसी चीफ भूपेश बघेल के पिता का कांग्रेस से कोई वास्ता नहीं। उनका साथ देने वालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। नंदकुमार बघेल कांग्रेस के सदस्य नहीं हैं। दरअसल, नंदकुमार बघेल अक्सर ऐसे विवादास्पद बयान देते रहे हैं जो कि कांग्रेस के गले की फांस बन जाता था। लेकिन विधानसभा चुनाव नजदीक होने की वजह से अब कांग्रेस नंद कुमार बघेल को लेकर किसी तरह का कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती। नंदकुमार के बोल से न केवल कांग्रेस बल्कि पीसीसी अध्यक्ष भी सफाई में कुछ कहने की स्थिति में नहीं रहते थे। मसलन, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी उनके छोटे बेटे हैं और भूपेश बड़ा बेटा। राहुल गांधी को भी सलाह दी थी कि वो जनेऊ पहनना छोड़ दें। प्रदेश के पांच सवर्ण नेता नहीं चाहते कि भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बनें।