harish rawat

harish-rawatराजीव थपलियाल

उत्तराखंड में राजनीतिक संकट के बीच पूर्व सीएम हरीश रावत को आज नैनीताल हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली। हाईकोर्ट ने रावत से 31 मार्च को बहुमत साबित करने को कहा है। इसके अलावा बागी विधायकों को भी मौजूद रहने की इजाजत दे दी है।हाई कोर्ट ने कहा कि बागी विधायक भी सदन में मौजूद रहेंगे, लेकिन इनके वोट अलग रखे जाएंगे और 1 अप्रैल को सदन की कार्यवाही से नैनीताल कोर्ट को अवगत कराया जाएगा। सदन की इस कार्यवाही के लिए हाईकोर्ट ने एक ऑब्जर्वर नियुक्त किया है। कांग्रेस के 9 बागी विधायक हैं और 1 बीजेपी का बागी विधायक है।

जस्टिस यू.सी. ध्यानी की सिंगल बेंच में चल रही सुनवाई के दौरान बागी विधायकों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह और दिनेश द्विवेदी ने पैरवी की. सोमवार को तीन घंटे तक चली सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता और अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने केंद्र को मंगलवार तक जवाब देने को कहा था. केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के पीछे दलील पेश की गई लेकिन कोर्ट ने कांग्रेस के हक में आदेश दिया और 31 मार्च को विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा।

उच्च न्यायालय ने सभी 70 विधायकों को आगामी 31 मार्च को फ्लोर टेस्ट करने के निर्देश दे दिए हैं । न्यायालय ने बागी 9 विधायकों के मत अलग रखते हुए सभी मतों को राष्ट्रपति को भेजने को कहा है । न्यायालय का एक आब्जर्वर विधानसभा में मौजूद रहेगा । न्यायालय ने डी.जी.पी.को निर्देश दिए हैं की वो विधानसभा में सुरक्षा का ध्यान रखेंगे । अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी ।

राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत इसकी घोषणा पर हस्ताक्षर किए थे। उसके बाद उत्तराखंड विधानसभा निलंबित कर दी गई। यह पूरा घटनाक्रम मात्र एक दिन पहले का है, जब कांग्रेस के नेतृत्ववाली राज्य सरकार को सदन में बहुमत साबित करना था।

कांग्रेस के नेताओं और रावत ने राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र के इस फैसले को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। उनका कहना है कि जब राज्यपाल ने मुख्यमंत्री हरीश रावत को 28 मार्च को बहुमत साबित करने का मौका दिया था, तब केंद्र सरकार ने 24 घंटे पहले निर्वाचित सरकार को बर्खास्त करने की जल्दबाजी क्यों की।