निर्देशक अलंकृता श्रीवास्तव टर्निंग-30′ के बाद अपनी दूसरी फिल्म लेकर आ रही हैं जो कई मुश्किलों के बाद रिलीज़ के लिए तैयार है। आपको बताते हैं फिल्म के बारे में।
फिल्म की कहानी कुछ इस तरह है
इस फिल्म की कहानी 4 करैक्टर के ऊपर है जो (रत्ना पाठक शाह), लीला(अहाना कुमरा), शिरीन (कोंकणा सेन शर्मा) और रिहाना(प्लाभिता) निभा रही हैं जो कि एक मोहल्ले में रहते हैं। पहले हम बात करते है बुआ जी की जिसका किरदार फिल्म में रत्ना पाठक शाह निभा रही है जिनको रोमांटिक उपन्यास पढ़ने का शौक है, फिल्म की दूसरी किरदार है लीला जिसका सपना है कि वह अपने आशिक फोटोग्राफर अरशद के साथ भागकर दिल्ली चली जाए।

शिरीन अपने पति (सुशांत सिंह) और तीन बच्चों के साथ एक बंधी-बंधी जिंदगी गुजारती है लेकिन बिना बताए सेल्स वूमेन का काम करती है। वहीं बहुत सारी पाबंदियों के बावजूद रिहाना, अंग्रेजी गानों की दीवानी है और घर से निकलते ही वो अपनी ही दुनिया में चली जाती है। इन चारों महिलाओं की जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आते हैं और अंत में फिल्म को एक अंजाम मिलता है जिसका पता आपको थिएटर तक जाकर ही चल पाता है।

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बात करें डायरेक्शन की
वही फिल्म के डायरेक्शन की बात करें तो अलंकृता श्रीवास्तव ने फिल्म को शुरू से लेकर अंत तक पकड़े रखा हैजो की एकदम लाजवाब और उमदा है। फिल्म का कैमरावर्क शानदार है और फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर सीन्स में जान डालता है। फिल्म की कहानी एकआम कहानी की तरह है जो की सोचने पर मजबूर कर देती है। फिल्म के डायलॉग्स ऐसे नहीं लगते है कि उन्हें ऐसे ही इस्तेमाल किया जा रहा है बल्कि एक-एक डायलॉग्स बखूबी लिखा गया है और उतनी ही बढ़िया तरीकें से दर्शाया भी गया है।
स्टारकास्ट की परफॉर्मेंस
फिल्म में हर किरदार ने बहुत ही जबरदस्त परफॉर्मेंस दी है। रत्ना पाठक की अदाकारी बहुत ही कमाल की है जो हंसाने के साथ-साथ आपको सोचने पर भी मजबूर करती है। वहीं कोंकणा सेन शर्मा, अहाना कुमरा और प्लाभिता ने भी उम्दा काम किया है। सुशांत सिंह और विक्रांत मासी की एक्टिंग भी बेहतरीन है जो किरदार और कहानी के संग-संग जाती है। बाकी को-स्टार्स का काम भी बहुत अच्छा है।
म्यूजिक
फिल्म का म्यूजिक अच्छा है, जो की कहानी को जस्टिफाई करता है।