डॉ. संतोष मानव

जरा गलतियां बता दीजिए जो नेहरूको करनी चाहिए थी तो अच्छा होता। यदि उन्होंने आपको 1947 में हिंदू तालिबानी देश बनने से रोका तो यह उनकी गलती थी। आसाराम व रामदेव जैसे इंटेलेक्चुअल की जगह साराभाई और होमी जहांगीर को सम्मान व काम करने का मौका दिया, यह उनकी गलती थी।
अजय गंगवार, आईएएस अधिकारी

प्रधानमंत्री अफगानिस्तान गए। वहां मुसलमानों ने भारत के झंडे लेकर सड़क पर वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगाए। प्रधानमंत्री से अनुरोध है कि वे राजीव गांधी आत्महत्या योजना शुरू करें ताकि सेक्युलर व कांग्रेसी विचार वाले ऐसी खबरें सुनकर आत्महत्या कर सकें।
अमिता सिंह, तहसीलदार

मध्य प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों की ओर से सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर पोस्ट किए गए ये कुछ उदाहरण हैं जिससे प्रदेश में बवाल मचा हुआ है। फेसबुकिया कमेंट से सरकार भी परेशान है। दरअसल, अनुसूचित जाति-जनजाति को प्रमोशन में आरक्षण को हाई कोर्ट द्वारा असंवैधानिक बताने के बाद से सरकारी कर्मचारियों के दो खेमों में शक्ति प्रदर्शन, बयानबाजी का दौर जारी है। सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर पोस्ट, कमेंट, लाइक ने एक जिलाधिकारी का पद छीन लिया तो दूसरे को नोटिस मिल गया। इतना ही नहीं तहसीलदार स्तर के अधिकारियों को भी इसके लिए नोटिस मिल रहे हैंै। दरअसल, फेसबुक पर सक्रिय कर्मचारियों-अधिकारियों की राजनीतिक पक्षधरता सार्वजनिक हो रही है। इससे राज्य सरकार अधिकारियों को नोटिस थमा रही है, उनका तबादला कर रही है तो दूसरी ओर अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने किसी सरकारी नीति का विरोध नहीं किया है, वरन अपने विचार रखे हैं। यह उनका मौलिक अधिकार है।
यह विवाद शुरू हुआ था बडवानी के कलेक्टर अजय गंगवार से। उन्होंने फेसबुक पर जवाहरलाल नेहरूकी प्रशंसा और संघ व मोदी सरकार की आलोचना की। उनके कई ऐसे पोस्ट थे जो संघ व प्रधानमंत्री पर सीधा हमला था। उन्होंने एक ऐसे पोस्ट को लाइक किया था जिसमें मोदी सरकार के खिलाफ जनक्रांति की बात की गई थी। मामले ने तूल पकड़ा तो सरकार ने उन्हें जिलाधिकारी से हटाकर मंत्रालय में बैठा दिया और नोटिस थमा दिया। विवाद गहराया तो गंगवार ने फेसबुक अकाउंट ही बंद कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के लंबे समय तक ओएसडी रहे गंगवार पर सरकार की इस कार्रवाई पर कई अधिकारियों ने उनके समर्थन मे पोस्ट लिखे और कहा कि यह निरर्थक है। गंगवार ईमानदार अधिकारी हैंैैै। उनका साथ न देना सत्य की हत्या होगी। आईएएस अधिकारी राजेश बहुगुणा ने लिखा, ‘लोकतांत्रिक मूल्यों, मानवता की रक्षा करने और सच के साथ खडेÞ होने का साहस बहुत कम लोगों में होता है। मेरे दोस्त मैं आपको सलाम करता हूं।’ बहुगुणा भी दिग्विजय सिंह के साथ काम कर चुके हंै। पद से हटाए जाने पर गंगवार ने मीडिया से कहा, ‘यह पूरी तरह से व्यक्तिगत अभिव्यक्ति है। फेसबुक का इस्तेमाल नोटबुक की तरह होता है। जैसे लोग नोटबुक में लिखते हैं, मैंने फेसबुक पर लिखा।’

शिवराज सिंह चौहान सरकार की कार्रवाई पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने फेसबुक पर लिखा, ‘नहीं कलेक्टर अब रहे अजय सिंह गंगवार, टॉलरेंस कितनी अधिक, वाह-वाह सरकार, नहीं नेहरूसे बदला, नहीं किया सस्पेंड, मात्र पद उनका बदला, कहे कवि, समझ ले ब्यूरोक्रेसी, भूल जाओ इतिहास, गुलामी करिए ऐसी।’ बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गंगवार को फोन कर कहा था कि आपकी पोस्ट से राजनीतिक बवाल मच गया है। आपके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। कांग्रेसी विधायक जीतू पटवारी का कहना है, ‘सरकार अधिकारियों को भाजपा का कार्यकर्ता बनाना चाहती है।’ गंगवार विवाद से दो बातें साफ हो गई हैं। एक तो यह कि प्रमोटी आईएएस अधिकारियों पर तुरंत कार्रवाई हो जाती है जबकि सीधे आईएएस बने अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती। दो प्रमोटी आईएएस अधिकारियों लक्ष्मीकांत द्विवेदी और शशि कर्णावत तुरंत गंगवार के समर्थन में आ गए और कहा कि प्रमोटी के साथ गलत नहीं हो सकता। दूसरा यह कि उन्हीं अधिकारियों को नोटिस थमाया गया है या तबादला हुआ है जिनके पोस्ट सरकार के खिलाफ जा रहे थे।

नरसिंहपुर के कलेक्टर सीबी चक्रवर्ती ने ट्विटर पर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की प्रशंसा की तो सरकार ने उन्हें भी नोटिस थमा दिया। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि जयललिता की तारीफ कर उन्होंने कोई गलती नहीं की है और न ही सिविल सेवा आचरण नियम का उल्लंधन किया है। चक्रवर्ती से सरकार ने एक सप्ताह में जवाब देने को कहा था लेकिन उन्होंने तीन दिन में ही जवाब दे दिया। चक्रवर्ती जेएनयू व असहिष्णुता विवाद पर भी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर सक्रिय थे। दरअसल, प्रदेश के कई अधिकारी सोशल साइट्स पर सक्रिय हैं। ये राजनीतिक मुद्दों पर भी कमेंट करते हैं। उनके कमेंट से उनकी राजनीतिक पक्षधरता साफ झलकती है और कहीं न कहीं सेवा नियमावली का उल्लंधन भी होता है। वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव, खाद्य विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल, एग्रीकल्चर विभाग के प्रमख सचिव राजेश राजौरा जैसे अधिकारी अपना काफी समय सोशल साइट्स पर गुजारते हैं।

‘कौन बनेगा करोड़पति’ में लाखों जीत चुकी तहसीलदार अमिता सिंह के पोस्ट पर बवाल मचा तो जिलाधिकारी ने उन्हें नोटिस थमाया। उन्होंने प्रधानमंत्री की प्रशंसा वाले पोस्ट किए थे। केंद्र सरकार का ‘देश संवर रहा है’ वाला विज्ञापन सीरीज शुरू हुआ तो उज्जैन जिले के खाचरौद के तहसीलदार संजय बाघमारे ने फेसबुक पर विज्ञापन का मजाक उड़ाया। उन्होंने लिखा, ‘कहां देश संवर रहा है, उन्हें कहीं नहीं दिख रहा।’ इस पोस्ट पर विवाद हुआ तो उन्होंने गलती मानते हुए इसे डिलीट कर दिया। सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर पोस्ट से बढ़ते विवादों से यह भी हुआ है कि कुछ अधिकारी इससे नाता तोड़ने लगे हैं। ऐसे अधिकारियों में सीनियर आईपीएस अधिकारी अन्वेश मंगलम एक हैं।