लेबर पार्टी के नेता और पूर्व में शैडो कैबिनेट में मंत्री रह चुके सादिक खान ने लन्दन मेयर का चुनाव जीत लिया है, उन्होंने ज़ैक गोल्डस्मिथ को हराया । खान 2009 से 2010 के बीच पीएम गोर्डन ब्राउन की सरकार में ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर रह चुके हैं। वे कैबिनेट मीटिंग में शामिल होने वाले पहले मंत्री थे। उनकी शादी सॉलिसिटर सादिया अहमद से हुई है। दोनों की दो बेटियां हैं। खान को ब्रिटेन से अपने जुड़ाव पर गर्व है। 1947 में विभाजन के बाद खान के दादा नए बने देश पाकिस्तान चले गए।
चुनाव में जहाँ सादिक़ खान को जहां 44% वोट मिले वहीँ ज़ैक को सिर्फ़ 35% ही वोट हासिल हुए । 1970 में उनके जन्म से कुछ दिन पहले उनके माता-पिता ब्रिटेन शिफ्ट हो गए थे। खान ने वादा किया है कि वे शहर में रिहाइश से जुड़ी समस्याओं को दूर करेंगे। चार साल के लिए ट्रांसपोर्ट का किराया फिक्स कर देंगे। लंदन वालों के लिए नौकरियों से जुड़ी नई संभावनाएं पैदा करेंगे। इसके अलावा, प्रदूषण को भी कम करेंगे।
हालांकि, कई मुस्लिम संगठनों ने शिकायत की है कि इस बार के मेयर चुनाव में राजनीति ‘हैरान करने वाली नीचता’ के स्तर पर हुई है। वहीं, फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक, कंजरवेटिव्स पर आरोप लग रहे हैं कि वे गोल्डस्मिथ को जिताने के लिए सांप्रदायिक तनाव भड़का रहे थे । हिंदू, सिख, तमिल वोटरों को ध्यान में रखकर खास तौर पर डिजाइन किए गए पर्चे बांटे गए , जिनमें नरेंद्र मोदी, 84 के सिख दंगों और श्रीलंका के गृह युद्ध का जिक्र है।
मुस्लिम असोसिएशन ऑफ ब्रिटेन ने कहा कि वे यह देखकर बेहद चिंतित हैं कि किस तरह से कुछ कैंडिडेट्स सीमाएं लांघते हुए इस्लामिक तौर तरीकों या मुसलमानों को निशाना बनाते हुए सपोर्ट हासिल करने की लगातार कोशिश की । नागरिक संगठन मुस्लिम पब्लिक अफेयर्स कमेटी की कैथरीन हेसेलटाइन ने कहा कि गोल्डस्मिथ मुस्लिम वोटरों के प्रति दिलचस्पी नहीं रखते ।
कैथरीन के मुताबिक, उनके पर्चे में ”प्रभावशाली ढंग से हिंदुओं को यह बताया गया कि सादिक मुसलमान हैं।” एक पर्चे में मोदी के लंदन दौरे में उनके और गोल्डस्मिथ की मुलाकात की फोटो है। इसमें यह भी जिक्र है कि खान ने मोदी से मुलाकात नहीं की। ब्रिटेन में 1993 से रह रहे भारतीय मैनेजमेंट कंसलटेंट ऐश मुखर्जी के मुताबिक, गोल्डस्मिथ बेहद छिपे ढंग से खुद को मोदी समर्थक या हिंदू समर्थक के तौर पर पेश कर रहे हैं।