एक तरफ केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को डूबने से बचाने के लिए पुनर्पूंजीकरण के तहत उन्हें धन मुहैया करा रही है वहीं दूसरी तरफ फ्रॉड करने वाले बैंकों को लगातार चूना लगा रहे हैं। इनमें बड़े-बड़े कारोबारी भी शामिल हैं। इसकी वजह से बैंक के फंसे कर्ज (एनपीए) में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। चिंता की बात यह है कि तमाम कवायदों के बावजूद मोदी सरकार इस पर लगाम लगाने में नाकाम रही है और इसमें लगातार इजाफा हो रहा है। यह न सिर्फ बैंकिंग सिस्टम बल्कि सरकार के लिए भी खतरे की घंटी है।

बैंक धोखाधड़ी की बढ़ती संख्या

वर्ष                मामलों की संख्या                धोखाधड़ी की राशि (करोड़ रुपये में)
2013-14            4306                                10,170
2014-15            4639                                19,455
2015-16            4693                                18,698
2016-17            5076                                23,933
2017-18            5152                                28,459

पिछले पांच साल में बैंकों में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के फ्रॉड सामने आए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में यह जानकारी दी है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार 2013 से 2018 के दौरान करीब 23,866 हजार बैंक फ्रॉड के मामले सामने आए हैं। इसका कुल मूल्य 1,00,718 करोड़ रुपये है। जबकि 31 दिसबंर, 2017 तक सभी बैंकों का एनपीए बढ़कर 8,40,958 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है।
चार साल में तेजी से बढ़ा फ्रॉड 
आरबीआई ने बताया है कि वित्‍त वर्ष 2017-18 में बैंक फ्रॉड की 5,152 घटनाएं सामने आई हैं, जबकि वित्‍त वर्ष 2016-17 में ऐसी 5,000 घटनाएं हुई थीं। वित्‍त वर्ष 2017-18 में 28,459 करोड़ रुपये के फ्रॉड हुए हैं, जबकि वित्‍त वर्ष 2016-17 में इन घटनाओं में 23,933 करोड़ रुपये के फ्रॉड हुए थे। वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान 4,693 मामलों में 18,698 करोड़ रुपये और 2014-15 के दौरान 4,639 मामलों में 19,455 करोड़ रुपए का फ्रॉड हुआ। वहीं 2013-14 के दौरान 4,306 मामलों में 10,170 करोड़ रुपये का फ्रॉड हुआ था।
हो रही कार्रवाई
आरबीआई ने बताया है कि इन मामलों की जांच की जा रही है और कार्रवाई के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है। कई बड़े मामलों की जांच सीबीआई और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) कर रही है। इनमें 13 हजार करोड़ रुपये का पीएनबी फ्रॉड भी शामिल है जिसे हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी ने अंजाम दिया है। सीबीआई ने एयरसेल घोटाले में भी कई बैंकों के वरिष्‍ठ अध्‍ािकारियों को खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की है। इस मामले में आईडीबीआई बैंक से 600 करोड़ रुपये का लोन गलत तरीके से लिया गया था। इस घोटाले में सीबीआई ने एयरसेल के पूर्व प्रमोटर सी शिवशंकरन, उसके बेटे, आईडीबीआई के पूर्व सीएमडी और सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

फंसे कर्ज में भी तेज इजाफा 
आरबीआई के अनुसार कर्ज नहीं चुकाने और फ्रॉड के चलते बैंकों का एनपीए लगातार बढ़ रहा है। दिसबंर 2017 तक बैंकों का कुल एनपीए 8,40,958 करोड़ रुपये का था। इसमें सबसे ज्‍यादा एनपीए भारतीय स्‍टेट बैंक का है जो 2,01,560 करोड़ रुपये है। अन्‍य बैंकों में पीएनबी का  55,200 करोड़ रुपये, आईडीबीआई बैंक का 44,542 करोड़ रुपये का एनपीए है। इसके अलावा बैंक ऑफ इंडिया का एनपीए 43,474 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा का 41,649 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक का 38,047 करोड़ रुपये, कैनरा बैंक का 37,794 करोड़ रुपये, आईसीआईसीआई बैंक का 33,849 करोड़ रुपये का एनपीए है।
बैंकों का डूबा कर्ज
                                    बैंक                             एनपीए की राशि (करोड़ रुपये में)
एसबीआई                    2,01,560
पीएनबी                       55,200
आईडीबीआई               44,542
बैंक अॉफ इंडिया          43,474
बैंक अॉफ बड़ौदा          41,649
यूनियन बैंक                38,047
कैनरा बैंक                    37,794
आईसीआईसीआई        33849