रमेश कुमार ‘रिपु’

पिछले दिनों अपनी जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान उज्जैन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कह रहे थे, ‘कांग्रेस सत्ता में आने को व्याकुल हो रही है। कांग्रेस के जो नेता एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे, वे अब हाथ मिला रहे हैं। कांगे्रसी कमलनाथ के पैसे से रथ तो बनवा लेंगे लेकिन उस पर बैठेगा कौन? कांग्रेस ने अभी तक यही तय नहीं किया है।’ शिवराज के कहने का मतलब था कि कांग्रेस के बड़े नेताओं ने हाथ तो मिला लिए हैं लेकिन उनके दिल अभी भी नहीं मिले हैं। भीतर अब भी तनातनी है। अपनी यात्रा में इंदिरा गांधी की तरह भावनात्मक लहर पैदा करने के लिए उन्होंने कहा, ‘मैं कहता हूं गरीबी हटाओ, वे कहते हैं शिवराज हटाओ। मैं कहता हूं विकास करो, वे कहते हैं शिवराज हटाओ। मैं कहता हूं गरीबों को बिजली दो, वे कहते हैं शिवराज हटाओ।’ इसके जवाब में कांग्रेस के प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ओपिनियन पोस्ट से कहा, ‘मुख्यमंत्री यह भूल जाते हैं कि उनके कार्यकाल में अब तक कितने घोटाले हुए हैं। मध्य प्रदेश अस्मत लुटेरा प्रदेश बन गया है। कानून राज की जगह जंगल राज है। उन्हें याद रखना होगा कि व्यापम के दाग धोए नहीं धुलेंगे। वे कह रहे हैं कि अमेरिका से भी बेहतर सड़कें बनाएंगे। 15 साल से सत्ता में होने के बावजूद अभी तक बेहतर सड़कें नहीं बनीं। प्रदेश की सड़कों का बुरा हाल है। वे अब तक सड़कों को लेकर पुरानी सरकार पर ही आरोप लगा रहे हैं। 15 साल से जनता की अवहेलना हो रही है। हमारा तो नारा है हिसाब दो, जवाब दो। इस बार राज्य में परिवर्तन तय है।’
क्या वाकई राज्य में परिवर्तन तय है या फिर केवल विपक्ष को ऐसा लगता है? कांगे्रस इस बार 2013 के चुनाव की तुलना में कुछ ज्यादा ही उत्साहित है। वल्लभ भवन के ज्यादातर अफसरों की राय है कि प्रदेश में सत्ता के खिलाफ हवा है। लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह इससे सहमत नहीं हैं। 12 जून को जबलपुर में उन्हें कमल कुम्हलाता हुआ नजर आया था। तब उन्होंने कहा था कि इस बार शिवराज चुनाव का चेहरा नहीं होंगे। लेकिन एक माह बाद ही उज्जैन में उन्होंने ललकारते हुए कहा, ‘कांग्रेस वालों को सपना आता है कि दो महाराजाओं (दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया) और एक धनपति (कमलनाथ) के सहारे सत्ता हाथ में आ जाएगी। मगर चौथी बार भी किसान पुत्र शिवराज की ही सरकार बनेगी। इसलिए कि शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में ही बीमारू राज्य से बाहर निकल कर मध्य प्रदेश विकसित राज्य बना है।’

कांग्रेस की जनजागरण यात्रा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ कहते हैं, ‘किस बात की आशीर्वाद यात्रा निकाल रही है सरकार। आज प्रदेश का हर वर्ग परेशान है। मध्य प्रदेश में विकास कहां हुआ है अमित शाह हमें चलके दिखाएं या फिर कांग्रेस की जनजागरण यात्रा में चलें।’ कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी के नेतृत्व में कांग्रेस ने जनजागरण यात्रा 18 जुलाई से शुरू की है। यह यात्रा उस रूट पर जाएगी जहां-जहां मुख्यमंत्री की जन आशीर्वाद यात्रा जाएगी। कांग्रेस इस यात्रा के जरिये सरकार के दावों और उसकी हकीकत जनता तक पहुंचाएगी। इस बात से भाजपा वाकिफ है कि युवाओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया का ज्यादा क्रेज है। वहीं बौद्धिक वर्ग में कमलनाथ की अपनी पहचान है। कांग्रेस के मऊगंज से विधायक सुखेंद्र सिंह बन्ना कहते हैं, ‘प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व कमलनाथ कर रहे हैं और जनता का नेतृत्व ज्योतिरादित्य सिंधिया और अजय सिंह राहुल। राहुल गांधी की हांक ने सभी कांग्रेसी क्षत्रपों को एक मंच पर ला खड़ा किया है। हर क्षेत्र में अलग-अलग कांग्रेस के क्षत्रपों का अपना क्रेज है। उसके हिसाब से सभी को जवाबदारी दी गई है। प्रदेश में बदलाव की आहट साफ सुनी जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केवल झूठे वादे करते आए हैं। उन्होंने मऊगंज को चार साल पहले जिला बनाने की घोषणा की थी लेकिन आज तक नहीं बनाया। उनकी आठ हजार घोषणाएं आज तक पूरी नहीं हुर्इं। वे केवल घोषणा कर जनता को दिग्भ्रमित करते आए हैं। घोषणावीर मुख्यमंत्री की नाराजगी का लाभ कांग्रेस को मिलेगा।’

सिंधिया का सियासी कौशल
अमित शाह को मिली ग्राउंड रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हो चुका है कि प्रदेश में भाजपा विधायकों और मंत्रियों के प्रति जनता में नाराजगी है। भाजपा की इस कमजोरी का फायदा उठाने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने नई रणनीति तय की है। इसके तहत प्रदेश में चुनाव अभियान की कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया को और संगठन की कमान कमलनाथ को सौंपने के साथ ही चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं। साथ ही टिकट वितरण का पैमाना भी बदल दिया गया है। किसी भी नेता की सिफारिश पर किसी को भी टिकट नहीं मिलेगा। वर्ष 2003 में उमा भारती बनाम दिग्विजय सिंह की लड़ाई थी जिसे कांग्रेस ने इस बार व्यक्तित्व की लड़ाई का रूप दे दिया है। चौहान के सामने सिंधिया घराने के महाराजा हैं। प्रदेश की राजनीति में वैसे भी राजे-रजवाड़ों का वर्चस्व रहा है। महाकौशल, राघोगढ़, सिंधिया साम्राज्य, जूदेव परिवार के अलावा अन्य छोटी-छोटी रियासतों के राजाओं का राजनीति में दखल रहा है। राजे-रजवाड़े अब नहीं रहे लेकिन हर इलाके में शाही परिवार का प्रभाव और रुतबा कायम है। कांग्रेस ने युवा और बेदाग छवि के ज्योतिरादित्य सिंधिया को शिवराज के सामने कर बड़ी गंभीरता से चुनाव लड़ने का मन बनाया है। शाही घराने से ताल्लुक रखने के बावजूद ज्योतिरादित्य साधारण लिबास पहनना पसंद करते हैं। एयरकंडीशनर से उन्हें परहेज है लेकिन खाने के बेहद शौकीन हैं।
उनके बारे में कांग्रेस के एक नेता कहते हैं, ‘वे स्वभाव से बहुत जिद्दी हैं। जो ठान लिया तो बस ठान लिया। रीवा में हुई बैठक में उन्होंने पार्टी नेताओं से कह दिया कि जिन्हें एयरकंडीशनर पसंद है वे बाहर चले जाएं। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल पसीना पोछते तीन घंटे बैठक में बैठे रहे लेकिन कुछ बोले नहीं। उनमें गजब की प्रशासनिक क्षमता है। वे किसी भी क्षत्रप को नजरअंदाज करके आगे बढ़ने की कभी नहीं सोचते। जबकि उन्हें राहुल गांधी का वरदहस्त प्राप्त है।’ कांग्रेस ने चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष सिंधिया को ही क्यों बनाया, के जवाब में प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी मानक अग्रवाल कहते हैं, ‘कांग्रेस की रणनीति साफ छवि वाले शिवराज के मुकाबले ऐसे नेता को उतारने की थी जो भाषण कला में शिवराज से कम न हो। शिवराज को जहां अपनी भ्रष्टाचार में लिपटी योजनाओं के बखान पर तालियां मिलती हैं वहीं सिंधिया को भाजपा के खिलाफ आरोप लगाने पर तालियां बजती हैं तो वे माइक का मुंह जनता की तरफ कर देते हैं। वे भाजपा के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगा कर जनता से जवाब मागते हैं। उनके सियासी कौशल का जवाब नहीं।’

राहुल की नीति पर फोकस
कांग्रेस के स्टार प्रचारक ज्योतिरादित्य सिंधिया कहते हैं, ‘राहुल गांधी की रणनीति को हम सभी अमल में ला रहे हैं। उन्होंने पार्टी में कसावट और कामकाज की शैली में बदलाव किया है। उनकी नजर न केवल रोजाना के काम काज पर है बल्कि उन्होंने पदाधिकारियों का हर महीने के कामकाज का रिपोर्ट कार्ड भी मांगा है। उन्होंने दौड़ो या पद छोड़ो का फार्मूला तय कर दिया है। दफ्तर में बैठे रहने वाले पदाधिकारी अब नहीं चलेंगे। उनकी नजर पीसीसी के रोजाना के कामकाज पर तो है ही, साथ ही उनके सारे कार्यक्रम, रणनीति, कार्ययोजना की विस्तृत रिपोर्ट भी भेजी जा रही है। जिला अध्यक्षों से भी राहुल गांधी फीडबैक ले रहे हैं। जल्द ही जिलाध्यक्षों की बैठक राहुल गांधी के साथ होगी। सभी नेताओं में एकता है, यह संदेश कांग्रेस के अलावा भाजपा में भी जाए। हर सप्ताह सभी वरिष्ठ नेताओं की एक बार बैठक जरूर हो ताकि मतभेद खत्म हो। संगठन को प्रेरित और सक्रिय करने के लिए हर जिले में दौरा हो, जिले के हर पदाधिकारी से मिलकर चर्चा हो, साथ ही भाजपा के हर विधानसभा में किए गए वादे, मंत्री, विधायक के भ्रष्टाचार की पड़ताल हो। शिवराज सिंह के कार्यकाल में करीब 172 घोटाले हुए हैं। घोटालों की संख्या को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि मध्य प्रदेश भ्रष्टाचार की पाठशाला ही नहीं विश्वविद्यालय है। यहां विकास के मायने बदल गए हैं। 15 साल बाद आर्थिक आपातकाल के हालात हैं।’
कांग्रेस ने प्रदेश के 65 हजार बूथों का कनेक्शन सीधे पीसीसी से जोड़ने का निर्णय लिया है। कांगे्रस बूथ पर माइक्रो मैनेजमेंट पर फोकस कर रही है। हर बूथ पर 10-10 कार्यकर्ता तैनात किए जा रहे हंै। इसके बाद तीन बूथ पर एक सेक्टर बनाया जाएगा। एक सेक्टर पर पांच कार्यकर्ता होंगे। इनसे मंडलम की टीम जुड़ी रहेगी। दो सेक्टर पर एक मंडलम काम करेगा। कुल 11 हजार मंडलम बनाए जा रहे हैं। एक मंडलम में 20 कार्यकर्ता होंगे। मंडलम से ब्लॉक, ब्लॉक से जिला और जिले का संपर्क पीसीसी से रहेगा। मगर सवाल यह है कि कांग्रेस इतने कार्यकर्ता लाएगी कहां से क्योंकि कांग्रेस का संगठन 15 साल से सत्ता से बाहर रहने की वजह से कमजोर हो गया है। स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री कहते हैं, ‘सदस्यों से चर्चा के दौरान कई सुझाव आए हैं। इनमें सबसे प्रमुख है 30 फीसदी युवाओं को टिकट दिया जाए। एक परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट दें। बड़े अंतर से हारने वालों को टिकट नहीं दें। दूसरी पार्टी से आए नेताओं को टिकट नहीं दें। युवक कांग्रेस ने 70 और महिलाओं ने 11 सीटों के लिए टिकट मांगे हैं। साथ ही बसपा, सपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से हाथ मिलाने की भी कोशिश में कांग्रेस है।’

भाजपा की कमजोर कड़ी
शिवराज सिंह चौहान के लिए सबसे मुश्किल हैं उनके मंत्री और विधायक। शिवराज लोकप्रिय हैं लेकिन उनके आधे से ज्यादा मंत्री और विधायकों के प्रति जनता में रोष है। चौहान को पूरी तरह भ्रष्ट सरकार का मुखिया करार देते हुए सिंधिया कहते हैं, प्रदेश के करीब ढाई सौ भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ चालान पेश करने की अनुमति सरकार न दे, 172 घोटाले हों, दस हजार घोषणाओं में 8,000 हजार ठंडे बस्ते में हों तो वे अपनी जिम्मेदारी से कैसे बच सकते हैं। जो मुखिया लाडली लक्ष्मी अभियान की तारीफ करते थके नहीं, उसी का प्रदेश बलात्कार प्रदेश बन जाए तो कैसे कह सकते हैं कि मुख्यमंत्री जिम्मेदार नहीं हैं। सिंहस्थ घोटाला, नर्मदा आरती घोटाला, वृक्षारोपण घोटाला, बिजली खरीद घोटाला ऐसे घोटाले हैं जो शिवराज सरकार के नाम सियासी पन्नों में इतिहास बन गए हैं। सरकार ओवर ड्रॉ के हालात से गुजर रही है। दूसरी ओर मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ को दाल की खरीद में कुल 400 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा होने को है।

भाजपा की रणनीति
भाजपा का फोकस अभी तक बूथ पर रहा है लेकिन इस बार वह गहरी पैठ बना रही है। भाजपा ने हर बूथ पर वोटर के हिसाब से चार श्रेणी बनाई है। हर बूथ पर कम से कम 51 फीसदी मतदान और कुल मतदान भाजपा के पक्ष में जाने का लक्ष्य तय किया गया है। मुख्यमत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं, ‘रोज चार कलेक्टर से बात करूंगा और उनसे योजनाआें के क्रियान्वयन की रिपोर्ट मांगी जाएगी। प्रदेश में सबल योजना के तहत 80 लाख परिवार लाभान्वित होंगे। अभी 15 लाख लोगों को फ्लैट रेट 200 रुपये प्रतिमाह बिजली के बिल देने होंगे। जनता इस योजना से बेहद खुश है।’ मंदसौर गोली कांड की घटना पर किसानों की नाराजगी दूर करने को प्रदेश के 200 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा किसान मोर्चा गांव-गांव चौपाल लगाकर किसानों की समस्याएं सुनेगा। भाजपा प्रदेश के दस संभागों में जाकर जनता से राय लेगी और उसके आधार पर घोषणा पत्र तैयार करेगी। इसके लिए संभागीय समिति का गठन किया गया है। भाजपा दिग्विजय सिंह को बंटाधार, ज्योतिरादित्य सिंधिया को हाई प्रोफाइल महाराजा बताने के साथ ही कमलनाथ को बाहरी ठहराने की रणनीति को अंजाम देने में जुट गई है। पोस्टर, बैनर और वीडियो जारी करने में भाजपा का सोशल मीडिया विंग जुट गया है। इस पर सिंधिया कहते हैं, ‘भाजपा का काम है आलोचना करना। मुझे ताज्जुब होता है कि उस परिवार की आलोचना कर रहे हैं जिस परिवार की मेरी दादी (विजयाराजे सिंधिया) उस पार्टी के संस्थापकों में से थीं। मेरी बुआ राजस्थान की मुख्यमंत्री हैं। जब उन्हें मुख्यमंत्री बनाया तब उन्हें यह सब याद नहीं आया।’ भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं, ‘शिवराज सिंह चौहान ने पिछली दफा भी जन आशीर्वाद यात्रा निकाली थी। तब जनता ने उन्हें भरपूर आशीर्वाद दिया था। वे 55 दिनों में 700 सभाएं करेंगे और 230 विधानसभा क्षेत्रों में जाएंगे। मुख्यमंत्री का रथ इस बार ढाई करोड़ रुपये का है। भाजपा इस बार अपने 70 विधायकों का टिकट काटकर 30 फीसदी युवाओं को कांग्रेस की तरह टिकट देगी। खराब प्रदर्शन करने वालों को पार्टी टिकट नहीं देगी।’ 