बैसाखी नाम वैशाख से बना है। पंजाब और हरियाणा के किसान सर्दियों की फसल काट लेने के बाद नए साल की खुशियाँ मनाते हैं। इसीलिए बैसाखी पंजाब और आसपास के प्रदेशों का सबसे बड़ा त्योहार है। यह खरीफ की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है।

बैसाखी का यह खूबसूरत पर्व अलग अलग राज्‍यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। केरल में यह त्योहार ‘विशु’ कहलाता है। बंगाल में इसे नब बर्षा, असम में इसे रोंगाली बीहू, तमिलनाडु में पुथंडू और बिहार में इसे वैषाख के नाम से जाना जाता है। बैसाखी का पर्व पंजाब के साथ-साथ पूरे उत्‍तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। साखी का संबंध फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। इसी दिन गेहूं की पक्की फसल को काटने की शुरूआत होती है।

बैसाखी के ही दिन 13 अप्रैल 1699 को सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। सिख इस त्योहार को सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं।