पंजाब में कई पार्टियां बन चुकी हैं। मजेदार बात यह है कि इन पार्टियों की जनक खुद आप है। डेमोक्रेटिक स्वराज पार्टी, जिसके प्रेसीडेंट मंजीत सिंह हैं। यह आम आदमी पार्टी के जानेमाने भूतपूर्व नेता रहे हैं। लोक पंजाब फ्रंट नाम से एक मोर्चा भी बनकर तैयार हो गया है। इस मोर्चे का मकसद उन सभी छोटे छोटे संगठनों को एक छतरी के नीचे लाना है जो कभी आप में थे, मगर रूठकर उनसे छिटक गए हैं। अपना पंजाब पार्टी, पंजाब में आम आदमी पार्टी के अलग हुए वालिंटियर्स का संगठन इस छतरी तले आ चुका है। इसके प्रेसीडेंट खुद धर्मवीर गांधी हैं, जिन्हें आम आदमी पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया था। धर्मवीर गांधी पंजाब का बेदाग चेहरा हैं। हरिंदर खालसा भी इस मोर्चे में हैं। दूसरी तरफ नवजोत सिंह सिद्धू का आवाज-ए-पंजाब फोरम भी बनकर खड़ा हो चुका है। पार्टी बनाएंगे या नहीं इसका खुलासा कुछ दिन बाद करेंगे। हालांकि नवजोत सिंह सिद्धू कभी आम आदमी पार्टी से नहीं जुड़े, मगर जुड़ने की चर्चा खूब हुई। खुद उनकी पत्नी ने भी यह बात सार्वजनिक तौर पर कही है। सिद्धू ने भाजपा की राज्यसभा सदस्यता से जब इस्तीफा दिया था तो वह दिल्ली भी आए थे, आम आदमी पार्टी से उनकी बातचीत भी हुई थी। मगर जानकार कहते हैं कि सिद्धू के आम आदमी पार्टी से न जुड़ने की वजह जो दिखाई देती है उससे अलग भी हो सकती है। ज्यादातर राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि सिद्धू मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनना चाहते थे, मगर केजरीवाल तो खुद इस पद के बड़े दावेदार बन बैठे हैं। ऐसे में सौदा पटा नहीं और सिद्धू अलग हो गए। लेकिन दूसरी वजह यह भी हो सकती है कि सिद्धू को पार्टी के भीतर चल रही इस उथल-पुथल का अंदाजा लग गया हो। पार्टी के भीतर वरिष्ठ नेताओं के रवैये से जो असंतोष पनप रहा है उससे सिद्धू अंजान हों ऐसा तो नहीं हो सकता। शायद इसी वजह से सिद्धू ने आम आदमी पार्टी से अलग रहना ही ठीक समझा। सुच्चा सिंह छोटेपुर फिलहाल पंजाब यात्रा में निकले हैं। लेकिन वह भी आम आदमी पार्टी के सामने एक चुनौती बनकर खड़े होंगे। खुद उनकी बातों से अंदाजा होता है कि अगर सिद्धू पार्टी बनाते हैं तो वह उसमें जाने को तैयार हैं। दूसरी तरफ डेमोक्रेटिक स्वराज पार्टी के मंजीत सिंह सभी छोटे बड़े दलों और संगठनों को इकट्ठा करने में लगे हैं। वह नवजोत सिंह सिद्धू से भी लगातार संपर्क में हैं। अगर ऐसा हुआ कि आवाज-ए-पंजाब और डेमोक्रेटिक स्वराज मिल गर्इं तो आम आदमी पार्टी के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी। लोकसभा चुनाव में आप का मुकाबला गैरों से था, मगर इस बार सबसे बड़ा विपक्ष तो उनसे नाराज और रूठे अपनों का ही होगा।

उधर दिल्ली की बात करें तो योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण और आनंद कुमार एक अक्टूबर को एक नई राष्ट्रीय पार्टी की घोषणा करने वाले हैं। इस पार्टी की नींव पिछले एक साल से रखी जा रही है। आनंद कुमार ने बताया कि ‘26 राज्यों का दौरा कर हमने जनमत संग्रह कराया कि पार्टी बनानी चाहिए या नहीं। तो 95 प्रतिशत लोगों ने नई पार्टी के पक्ष में राय रखी।’ योगेंद्र यादव ने कहा, ‘हम हर जगह चुनाव नहीं लड़ेंगे लेकिन जहां जरूरत होगी, वहां जरूर लड़ेंगे। ूपंजाब में डेमोक्रेटिक स्वराज पार्टी एक तरह से इसी पार्टी का हिस्सा है। तो पंजाब में वे उस पार्टी को समर्थन देंगे और चुनाव प्रचार भी करेंगे। साफ है कि इस बार आम आदमी पार्टी का सामना अपने ही बागी नेताओं से है। प्रो. मंजीत सिंह कहते हैं, ‘और जब अपने बागी हो जाएं और आपके सामने खड़े हो जाएं तो चुनौती बड़ी हो जाती है। हम इनकी सभी चालों को बखूबी जानते हैं, समझते हैं, एकजुट होकर पंजाब में इन्हें तगड़ी पटखनी देंगे।’