विश्व पुस्तक मेला 2019

विश्व पुस्तक मेला 2019एशिया के सबसे बड़े व 27वें विश्व पुस्तक मेले के सबसे आकर्षक भाग यानी ‘लेखक मंच’ में ‘शब्द उत्सव’ के दूसरे संस्करण में भारतीय राजनीति पर गम्भीर चर्चा हुई. दूसरे दिन इसमें वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार व इंडिया टुडे के राजनीतिक विश्लेषक श्री उदय माहूरकर, इंडोलॉजी चेयर प्रो. बीएचयू श्री राकेश उपाध्याय, डॉ. संगीत रागी, प्रो. डीयू व आरएसएस विचारक और डॉ. स्वदेश सिंह, प्रो. डीयू, मंच पर उपस्थित रहे. इन वक्ताओं ने आज के विषय ‘भारतीय दृष्टि व राजनीति’ पर बारी बारी से विषय की गहराई में जाकर उसके तत्वों को प्रस्तुत किया.

विषय पर पहली दृष्टि श्री उदय ने डाली और भारतीय राजनीति के उठते प्रश्नों पर कहा कि  राजनीति में सबसे बड़ा बाधारोधक तुष्टिकरण है और यह तुष्टिकरण शुरू होती है 1920 से. ये बात वीर सावरकर ने भी अपनी जिंदगी के अंतिम 12-13 सालों में कही थी कि कांग्रेस में तुष्टिकरण शुरू हो चुकी है और कांग्रेस इसमें इतनी लिप्त हो चुकी है, जहां से वापस नहीं आ सकती. आगे श्री उदय नें कहा कि हमें देश को ग़ैर शर्तिया राष्ट्रवाद की ओर ले जाना चाहिए. इसके अलावा हमें सांस्कृतिक पूर्ण जागरण की अवधारणा को लेकर भी सचेत होने की जरूरत है.

इसी चर्चा की कड़ी में संघ विचारक संगीत रागी नें राय रखी और कहा कि भारत की राजनीति में कुछ भारतीय होना चाहिए. पश्चिमी सभ्यता पर उन्होंने कहा कि इसमें समाज जीवन की कल्पना है लेकिन भारत में लोकजीवन की कल्पना की गई है.  पश्चिम तो अब भारतीय शास्त्रों को देख रहा है उसको पलट रहा है. लेकिन भारत का चिंतन समेकित है, पश्चिमी संस्थाओं के केंद्र में व्यक्ति है, वही सर्वस्व है. जबकि सभी भारतीय संस्थाएं कत्र्तव्य आधारित हैं.

इसी क्रम में चर्चा को आगे बढ़ाया श्री राकेश ने और प्रश्न करते हुए कहा कि राजनीति कहाँ से आई है? भारत क्या है? इसी के उत्तर में उन्होंने कहा कि जब मानव सभ्यता नें आंख खोली और जो उन्हें अपनाने के लिए तैयार था, वही भारत है. ‘भा’ अर्थात प्रकाश और ‘रत’ मतलब लगा हुआ, परिणामस्वरूप जो ज्ञान के लिए सदैव तत्पर है, वही भारत है. उन्होंने समृद्ध भारत की कल्पना के बारे में कहा कि भारत सोने की चिडिय़ा एक शव्द नहीं है बल्कि देश का एक ऐतिहासिक सत्य है.

चर्चा का अंत डॉ. स्वदेश सिंह नें पूरे विमर्श के निचोड़ को लेकर किया और कहा कि हमें स्वयं अपने देश की सभ्यता व संस्कृति को समृद्ध करने के लिए राजनीतिक द्वंद् को सार्थक प्रयास से हल करना होगा.

इस तरह एशिया के सबसे बड़े विश्व पुस्तक मेले में शब्द उत्सव के दूसरे संस्करण में निर्धारित विषय पर काफ़ी गरमागरम प्रश्नोत्तर वाला माहौल रहा, जिस पर वक्ताओं नें श्रोताओं को अपने उत्तर से संतुष्ट करने की कोशिश की.

कुलदीप की आई लव यू को पसंद कर रहे युवा

ई दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में हाल ही में प्रकाशित हुई कुलदीप की नई किताब ‘आई लव यू’ को खासी लोकप्रियता मिल रही है. यह पुस्तक युवाओं की पसंद बन रही है तो पुस्तक पर चर्चा हो रही है. विश्व पुस्तक मेले में जानी मानी कवियत्री डॉ. सरिता शर्मा, कवि चिराग जैन ने उनकी किताब को सराहा है. तीन महीने पहले रिलीज हुई इस किताब के दो संस्करण आ चुके हैं जबकि तीसरा संस्करण जल्द ही आने वाला है. कुलदीप नई वाली हिंदी के पोस्टर बॉय बनकर उभर रहे हैं. युवा पाठकों में उनकी लेखनी का क्रेज देखने को मिल रहा है. किताब ‘आई लव यू’ के लिए उन्हें देश के 100 इंस्पायरिंग आथर्स की लिस्ट में शामिल किया जा चुका है. उन्हें बीते महीने कोलकाता की संस्था ‘इंडियन आवाज’ की तरफ से इंस्पायरिंग ऑथर्स ऑफ इंडिया अवॉर्ड प्रदान किया गया था. रेड ग्रैब बुक पब्लिकेशन, इलाहाबाद द्वारा प्रकाशित इस किताब की अब तक रिकॉर्ड प्रतियां बिक चुकी हैं. ऑनलाइन शॉपिंग साइट ‘अमेजन’ और ‘मार्क माई बुक’ ने किताब को बेस्ट सेलर घोषित किया है. कुलदीप राघव को पहले शिवकुमार गोयल पत्रकारिता पुरस्कार और मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता पुरस्कार मिल चुका है. ‘आई लव यू’ लिखने से पहले वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के  जीवन पर एक किताब ‘नरेंद्र मोदी: एक शोध’ लिख चुके हैं.