नई दिल्ली।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में बैठक चर्चा का विषय बनी है। दोनों नेताओं में अमेरिका और रूस के बीच संबंधों व राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होनी है। इनके बीच यह पहली शिखर वार्ता है। ट्रंप ने पुतिन को मार्च में दोबारा निर्वाचित होने पर बधाई दी थी, जिसके बाद पुतिन और ट्रंप ने बैठक करने पर चर्चा की थी।

उधर, ट्रम्प का एक और बयान विवादों में आ गया। उन्होंने हाल ही में जर्मनी को रूस का बंधक बताया था। रविवार रात उन्होंने कहा कि रूस, चीन और यूरोपीय संघ अमेरिका के दुश्मन हैं। माना जा रहा है कि रूस के खिलाफ इस बयान से ट्रम्प-पुतिन की द्विपक्षीय बातचीत के नतीजों पर असर पड़ सकता है।

ट्रप और पुतिन सोमवार को फिनलैंड के हेलसिंकी में प्रेजिडेंशल पैलेस में मिल रहे हैं। दरअसल, फिनलैंड नाटो का हिस्सा नहीं है। 1995 में फिनलैंड यूरोपीय संघ में शामिल हुआ था लेकिन वह सैन्य गठबंधन का हिस्सा नहीं बना। इसलिए हेलसिंकी दोनों देशों के लिहाज से निष्पक्ष जगह है।

इसके अलावा मॉस्को से हेलसिंकी की दूरी विमान से 2 घंटे की है। ऐसे में रविवार को फीफा वर्ल्ड कप के फाइनल मैच के बाद पुतिन के लिए यहां पहुंचना आसान था।

हेलसिंकी में होने वाले द्विपक्षीय सम्मेलन में ट्रंप सिंगापुर के शानदार अनुभव को फिर से जीना चाहते हैं। ट्रंप ने पिछले महीने सिंगापुर में उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन से ऐतिहासिक मुलाकात की थी। दोनों राष्ट्रपति के विशाल राजनीतिक कद के कारण इस पूरे कार्यक्रम पर मीडिया की पैनी निगाह है।

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो का कहना है कि मौजूदा राजनीतिक हालात के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के उनके समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के बीच सम्मेलन तय समय पर होना चाहिए। अमेरिका के 2016 राष्ट्रपति चुनाव में रूस के कथित हस्तक्षेप को लेकर रूस के 12 खुफिया अधिकारियों के खिलाफ अभियोग दाखिल किया गया है।

न्यूज एजेंसी के मुताबिक,  ट्रम्प ने सीबीएस के ‘फेस द नेशन’ कार्यक्रम में कहा, “मैं समझता हूं कि हमारे कई दुश्मन हैं। यूरोपीय संघ दुश्मन है, वह व्यापार में हमारे लिए क्या करता है? रूस कुछ मायनों में दुश्मन है।

चीन आर्थिक रूप से दुश्मन है। निश्चित ही वह दुश्मन है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे बुरे हैं। इसका मतलब है कि वे प्रतिस्पर्धी हैं।”