नई दिल्ली। आप एक नोट के लिए परेशान होंगे, लेकिन जगह-जगह से नोटों की गड्डियां बरामद हो रही हैं। इस स्थिति में बैंकों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना स्‍वाभाविक था। आरोप लगाए जा रहे हैं कि कालेधन को सफेद करने में बैंकों की भूमिका संदेह के घेरे में है। इसी के मद्देनजर वित्त मंत्रालय ने देशभर के बैंकों की करीब 500 शाखाओं का स्टिंग ऑपरेशन करवाया है ताकि वहां हो रही हेराफेरी का खुलासा हो सके। सरकार के पास उसकी करीब 400 सीडी पहुंच भी गई हैं। सवाल उठता है कि बैंकों की इतनी सारी शाखाओं में स्टिंग ऑपरेशन कैसे किया गया होगा।

सामने आई स्लिप में काटपीट की बात

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक को लिखित शिकायत पत्र में सिद्धी सांई इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर मुकेश कुमार हिशारिया ने उल्लेख किया है कि देश में नोटबंदी होने के बाद कानून का पालन करते हुए उनके पास जितने भी 500 और 1000 रुपये के नोट थे उसे उन्होंने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की बिड़ला मंदिर शाखा में 10 नवंबर,  2016 को जमा करा दिया। 500 और 1000 के नोट को जमा करने के बाद कई दिनों तक उनके द्वारा कोई कार्य नहीं किया गया। उन्‍होंने लिखा है कि जब फिर काम प्रारंभ हुआ और 500  व 1000 के नोट को छोड़कर दूसरे नोट आए तो 16  नवंबर को 2.50 लाख, 17 नवंबर को 70 हजार और 18  नवंबर को 50  हजार रुपये बैंक के चालू खाता संख्या 3537688007  में जमा कराए गए।

इन तीन दिनों में जितनी भी राशि जमा की गई उनमें सभी नोट 100 रुपये के थे। लेकिन बैंककर्मी उनके सफेद धन को काला करने और दूसरे के कालेधन को सफेद करने की नियत से उनके द्वारा जमा की जा रही राशि के नोटों को बदलकर 100  की जगह 500  और 1000 के नोट के रूप में दर्ज करते हुए स्लिप भर रहा था। इसका खुलासा सिद्धी सांई इंटरप्राइजेज के उस कर्मी ने किया जो बैंक में पैसे जमा कराने जाता था। उसने देखा कि बैंककर्मी द्वारा 100  रुपये दर्शा कर लिखी गई नोटों की संख्‍या को को काटकर 500 एवं 1000  रुपये के कॉलम में दूसरी संख्या भरकर राशि को पूरा कर दिया जाता था। बैंक द्वारा दी गई स्लिप में साफ तौर पर इस तरह की कटिंग को देखा गया।

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने जिन बैंकों का स्टिंग कराया है, उनमें निजी और सरकारी दोनों प्रकार के बैंकों की शाखाएं हैं। सरकार की ओर से स्टिंग का फैसला नोटबंदी के बाद लगातार नए नोटों की बरामदगी के बाद लिया गया है। इन सीडी में बैंकों में पुलिस-दलाल और प्रभावशाली लोग कैसे धन बदल रहे हैं, उसके सुबूत रिकार्ड किए गए हैं। इनमें महानगरों के साथ-साथ कुछ छोटे शहरों के निजी और सरकारी बैंक शामिल हैं।