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राज्य में बहुजन समाज पार्टी को मिली दो सीटों में से संभावना जताई जा रही है कि उनमें एक सीट जमुई भी हो सकती है, जिसके लिए बसपा प्रत्याशी के तौर पर विनोद चौधरी का नाम सामने आ रहा है. चौधरी के नाम पर पार्टी के अधिकांश नेता-कार्यकर्ता सहमत नजर आ रहे हैं, क्योंकि वह अर्से से क्षेत्र में सक्रिय हैं.

jamui16वीं लोकसभा का अंतिम सत्र खत्म होने के साथ ही चुनावी बिगुल बज चुका है. जमुई लोकसभा क्षेत्र से एनडीए प्रत्याशी चिराग पासवान के सामने महागठबंधन प्रत्याशी की तस्वीर अभी तक साफ नहीं हो सकी है. केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी एवं सांसद चिराग पासवान की जनसभाएं आयोजित हो चुकी हैं. इन कार्यक्रमों के साथ एनडीए ने जमुई लोकसभा क्षेत्र में चुनाव गतिविधियां शुरू कर दी हैं. वहीं महागठबंधन प्रत्याशी की तस्वीर अब तक साफ न होने के चलते उसकी ओर से कोई विशेष हलचल देखने को नहीं मिल रही है. सूत्रों के मुताबिक, महागठबंधन की ओर से राजद, कांग्रेस एवं अन्य दल अपना चुनावी दांव आजमाने की फिराक में हैं. राज्य में बहुजन समाज पार्टी को मिली दो सीटों में से संभावना जताई जा रही है कि उनमें एक सीट जमुई भी हो सकती है, जिसके लिए बसपा प्रत्याशी के तौर पर विनोद चौधरी का नाम सामने आ रहा है. चौधरी के नाम पर पार्टी के अधिकांश नेता-कार्यकर्ता सहमत नजर आ रहे हैं, क्योंकि वह अर्से से क्षेत्र में सक्रिय हैं. चौधरी अगर मैदान में उतरते हैं, तो बसपा को चौधरी बिरादरी का समर्थन मिल सकता है. वैसे वह सवर्णों में भी काफी लोकप्रिय हैं.

दूसरी ओर कांग्रेस के जिला अध्यक्ष हरेंद्र सिंह ने पार्टी प्रत्याशी उतारे जाने से इंकार नहीं किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा सभी विकल्प खुले रखे गए हैं. अगर महागठबंधन की ओर से कांग्रेस को जमुई लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे का मौका मिलता है, तो दावेदारों के नामों पर विचार किया जाएगा. वहीं इन दिनों समाजसेवी आईपी गुप्ता की नजदीकी राजद के वरिष्ठ नेता एवं सांसद जय प्रकाश यादव के साथ देखी जा रही है, इसलिए संभावना है कि राजद के टिकट पर वह चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. इसके अलावा उदय नारायण चौधरी, भूदेव चौधरी एवं जीतन राम मांझी के नाम भी चर्चा में हैं. महागठबंधन में दावेदारों के नामों पर चर्चा से पहले इस बात पर गौर किया जा रहा है कि जातीय समीकरणों का अधिक से अधिक लाभ कैसे उठाया जाए, क्योंकि गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण का मुद्दा एनडीए जरूर भुनाएगा. जमुई स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लोजपा प्रमुख राम विलास पासवान ने सवर्णों को आरक्षण मामले पर खुद की पीठ थपथपाई. इसलिए जमुई लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण बहुत मायने रखेंगे, इतना तय है. सवर्णों का बड़ा वोट बैंक क्षेत्र में किसी की किस्मत बदलने के लिए काफी है. आंकड़ों पर नजर डालें, तो जमुई, सिकंदरा एवं चकाई विधानसभा क्षेत्रों में सवर्णों की भूमिका अहम रहती है.

इन विधानसभा क्षेत्रों में राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार एवं कायस्थ समाज का झुकाव मौजूदा समय में एनडीए की ओर है. यही वजह है कि महागठबंधन में उम्मीदवार तय करने से पहले इन जातीय समीकरणों पर गंभीर मंथन किया जा रहा है. जमुई लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें से चार जमुई, एक-एक मुंगेर और शेखपुरा जिले में हैं. मुंगेर के तारापुर विधानसभा क्षेत्र, शेखपुरा के शेखपुरा विधानसभा क्षेत्र और जमुई के सिकंदरा, जमुई, झाझा एवं चकाई विधानसभा की जनता जमुई लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशियों की किस्मत तय करते हैं. जमुई के चार विधानसभा क्षेत्रों में एनडीए और तारापुर विधानसभा क्षेत्र में राजद की स्थिति मजबूत है. स्थानीय सांसद चिराग पासवान जमुई की चारों विधानसभा सीटों से लीड करने के लिए एनडीए को मजबूत करने में जुटे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान सांसद चिराग पासवान और पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के पुत्र सुमित कुमार सिंह विक्की के बीच खटास आ गई थी, जो चार सालों तक चली. 2018 में नीतीश कुमार की पहल पर चिराग पासवान एवं पूर्व विधायक सुमित सिंह के बीच मतभेद खत्म हुए, जिस वजह से जमुई लोकसभा क्षेत्र में एनडीए को मजबूत माना जा रहा है. बावजूद इसके दिग्गज नेता नरेंद्र सिंह ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं. आगामी चुनाव में उनका साथ किसी भी गठबंधन के लिए वरदान साबित हो सकता है. दूसरी तरफ जमुई के राजद विधायक विजय प्रकाश, सिकंदरा के कांग्रेस विधायक बंटी चौधरी एवं चकाई की राजद विधायक सावित्री देवी को महागठबंधन की मजबूत कड़ी माना जा रहा है.