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राज्य में 40 लाख स्मार्ट मीटर लगाने की कवायद शुरू हो गई है. सबसे अधिक स्मार्ट मीटर पूर्वांचल और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम क्षेत्र के जिलों में लगाए जाएंगे. यूपी पॉवर कारपोरेशन को स्मार्ट मीटरिंग परियोजना से लाइन हानियों के कम होने पर लगभग चार हजार करोड़ रुपये का फायदा होगा. जुलाई 2018 में प्रयोग के तौर पर शुरू हुई यह परियोजना 2020-21 में पूरी होगी. 40 लाख स्मार्ट मीटरों के लगने से बिजली आपूर्ति एवं बिल वसूली की वर्तमान व्यवस्था में बदलाव आएगा. उपभोक्ता के मीटर की रीडिंग, ब्रेकडाउन का समय अंतराल और वोल्टेज प्रोफाइल बिना मानवीय हस्तक्षेप के ऑनलाइन मिल सकेगी.

राज्य के लोगों के लिए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड ने नवीन तकनीक अपनाते हुए बिजली को सर्वसुलभ और सस्ता बना दिया है. अब निगम कम लागत पर बिजली पैदा कर रहा है. नई परियोजनाएं स्थापित हो रही हैं. लोगों को 24 घंटे निर्बाध बिजली मिलती रहे, इसके लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, नए प्लांट स्थापित हो रहे हैं, प्लांट की क्षमता बढ़ाई जा रही है, ज्वाइंट वेंचर बनाए जा रहे हैं. सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी और ज्वाइंट वेंचर के जरिये निगम द्वारा वर्तमान में 3,690 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उत्पादित की जा रही है. एनटीपीसी और एनएलसी इंडिया लिमिटेड के साथ जेवी बन रहे हैं. 6,225 मेगावाट के नए प्रोजेक्ट अंडर कंस्ट्रक्शन हैं. यह क्षमता अगले तीन साल में हासिल कर ली जाएगी.

57 पैसे सस्ता हुआ बिजली उत्पादन

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड द्वारा वर्तमान वित्तीय वर्ष में 3,976 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया गया, जो विगत वित्तीय वर्ष की इसी अवधि के सापेक्ष 3,824 मेगावाट से 152 मेगावाट अधिक है. कोयले, तेल की खपत एवं लागत में कमी और इकाइयों की दक्षता में वृद्धि के फलस्वरूप विद्युत उत्पादन की लागत में कमी आई है. उत्पादन लागत में कमी आने से निगम को 57 पैसे प्रति यूनिट की बचत हुई है. निगम का वर्तमान में ओबरा सी तापीय परियोजना (2 गुणे 660 मेगावाट), जवाहरपुर तापीय परियोजना (2 गुणे 660 मेगावाट), हरदुआगंज तापीय परियोजना विस्तार-2 (1 गुणे 660 मेगावाट) का निर्माण कार्य चल रहा है. इन इकाइयों के वर्ष 2020-21 में भार पर आने की संभावना है. साथ ही पनकी तापीय परियोजना विस्तार (1 गुणे 660 मेगावाट) की स्थापना के लिए कार्यादेश निर्गत करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है.

मार्च 2019 तक ओबरा परियोजना लाभ में

ओबरा तापीय परियोजना को मार्च 2019 तक लाभ की स्थिति में लाया जाएगा. इसके लिए एक्शन प्लान पर काम शुरू हो गया है. प्रदेश की सबसे पुरानी तापीय परियोजना होने के कारण ओबरा की इकाइयां पुरानी हो चुकी हैं. लिहाजा आगामी 2022 तक 800 मेगावाट क्षमता वाले ओबरा-डी का शिलान्यास करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इसकी अनुमति भी राज्य सरकार से ली जा चुकी है. 2025 तक ओबरा-डी में उत्पादन शुरू हो जाएगा.

पनकी में 660 मेगावाट की विद्युत परियोजना

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के अधीन पनकी तापीय परियोजना के निर्माण को मंजूरी मिल गई है. यह परियोजना 660 मेगावाट की होगी. परियोजना की स्थापना से प्रदेश को राजकीय क्षेत्र से प्रतिवर्ष 4,915 मिलियन यूनिट बिजली प्राप्त होगी. इस परियोजना पर 5,816 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. यह परियोजना सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित है, जिसमें कोयले की खपत काफी कम होगी. पर्यावरण के नवीनतम मानक पाने के लिए आधुनिक संयंत्र भी लगाए जायंगे. उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी, मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के गृह जनपद गोरखपुर, मुरादाबाद, मेरठ और राजधानी लखनऊ में कैम्पेक्स बेस्ड विद्युत वितरण फ्रेंचाइजी व्यवस्था लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. प्रदेश के विद्युत सेक्टर को वित्तीय रूप से स्वावलंबी बनाने और वितरण हानि कम करने के इरादे से सरकार नया प्रयोग करने जा रही है. इससे विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार होगा और उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधा भी मिलेगी. देश के अन्य नगरों के साथ-साथ प्रदेश के आगरा में भी यह व्यवस्था लागू की गई थी.

स्मार्ट मीटर लगना शुरू, बिजली की चोरी में कमी

राज्य में 40 लाख स्मार्ट मीटर लगाने की कवायद शुरू हो गई है. सबसे अधिक स्मार्ट मीटर पूर्वांचल और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम क्षेत्र के जिलों में लगाए जाएंगे. यूपी पॉवर कारपोरेशन को स्मार्ट मीटरिंग परियोजना से लाइन हानियों के कम होने पर लगभग चार हजार करोड़ रुपये का फायदा होगा. जुलाई 2018 में प्रयोग के तौर पर शुरू हुई यह परियोजना 2020-21 में पूरी होगी. 40 लाख स्मार्ट मीटरों के लगने से बिजली आपूर्ति एवं बिल वसूली की वर्तमान व्यवस्था में बदलाव आएगा. उपभोक्ता के मीटर की रीडिंग, ब्रेकडाउन का समय अंतराल और वोल्टेज प्रोफाइल बिना मानवीय हस्तक्षेप के ऑनलाइन मिल सकेगी. इससे उपभोक्ताओं को बिना किसी मीटर रीडर के हर महीने सही मीटर रीडिंग का बिल मिल सकेगा. इससे बिजली कंपनियों को उपभोक्ताओं को मिल रही बिजली आपूर्ति के अंतराल, ट्रिपिंग व वोल्टेज आदि की गुणवत्ता में सुधार करने में भी मदद मिलेगी.