रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने  मौद्रिक नीति की द्वैमासिक समीक्षा पेश करते हुए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का ऐलान किया। रेपो रेट बिना बदलाव के 6.50 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 6 फीसदी बरकरार रहेगी।  गवर्नर रघुराम राजन ने सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया है और ये 4 फीसदी पर कायम है। एमएसएफ यानी मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी दर भी 7 फीसदी पर बरकरार है।

कयास लगाए जा रहे थे कि महंगाई बढ़ने के संकेतों और वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल के बढ़ते दामों के बीच भारतीय रिजर्व बैंक आज नीतिगत दरों पर यथास्थिति बनाए रख सकता है। विशेषज्ञों का मानना था कि किसी भी तरह का बदलाव करने से पहले आरबीआई चाहेगा कि वह पहले मॉनसून की दशा और दिशा को समझ ले। यहां बता दें कि मौसम विभाग ने पहले ही कहा है कि इस साल मॉनसून सामान्य या सामान्य से अधिक रहेगा।

रिजर्व बैंक के गर्वनर रघुराम राजन नीतिगत दरों में कटौती करने के साथ-साथ बैंकों को उसका पूरा फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए भी जोर देते आ रहे हैं। आरबीआई का टारगेट है कि मार्च 2017 तक खुदरा मुद्रास्फीति की दर 5 फीसदी ले आए।

घोषणा के दौरान रघुराम राजन ने कहा, ‘हम डॉलर और रुपया, दोनों, की तरलता पर नजर रखेंगे और उसी के अनुरूप कदम उठायेंगे। रिजर्व बैंक जल्दी ही बैंकों द्वारा कर्ज की सीमांत लागत दर के ढांचे के कार्यान्वयन की समीक्षा करेगा। हालांकि यह भी कहा गया कि अप्रैल के मुद्रास्फीति आंकड़े से इसकी भावी दिशा कुछ अनिश्चित है।

रिजर्व बैंक ने कहा कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और सातवें वेतन आयोग के लागू होने पर मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी का जोखिम है। आरबीआई ने कॉरपोरेट मुनाफे और खपत में बढ़ोतरी का उल्लेख करते हुए 2016-17 के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान 7.6 प्रतिशत पर बरकरार रखा।