संध्या द्विवेदी

सिंधु घाटी की सभ्यता एक जाना पहचाना नाम है। लेकिन यह नाम अब हरियाणा सरकार की पहल पर बदलने की तैयारी हो चुकी है। या यों कहें कि हरियाणा सरकार ने इसे नया नाम दे दिया है। यह नया नाम है, सरस्वती सिंधु घाटी की सभ्यता।

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हरियाणा सरस्वती हैरिटेज बोर्ड के डिप्यूटी चेयरमैन डॉ. प्रशांत भरद्वाज ने बताया ‘ कुछ महीने पहले कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में एक सम्मेलन हुआ था, जिसमें देशभर के पुरातत्विद जुटे थे। वहीं यह प्रस्ताव पास किया गया कि अब इस सभ्यता का नाम केवल सिंधु घाटी की सभ्यता नहीं बल्कि सरस्वती सिंधु घाटी की सभ्यता कर दिया जाये। ओपिनियन पोस्ट के 16-31 मई के अंक में राखीगढ़ी पर छपी थी कवर स्टोरी।

 

 

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इस सवाल पर कि क्या भाजपा सरकार इतिहास बदलने की तैयारी कर रही है? डॉ. भरद्वाज का जवाब था, नहीं। बल्कि प्रमाण अब नया इतिहास रचने को तैयार हैं। उन्होंने कहा यह पहली बार नहीं हुआ है कि इस साइट का नाम बदला जा रहा है, सिंधु घाटी की सभ्यता के पहले इसे केवल हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता था। पहली बात यह है कि इतिहास प्रमाण पर लिखा जाता है, और हम आज कह सकते हैं कि यहां पर सरस्वती नदी के कोर्स पर सबसे ज्यदा साइट मिली हैं। इसलिये सरस्वती नदी के महत्व की अनेदखी करना अन्याय होगा।

डॉ. भरद्वाज से जब पूछा गया कि क्या डाक्युमेंट में यह नाम बदला जा चुका है तो उन्होंने कहा, हां, हरियाणा सरकार के कागजी दस्तावेज अब ‘सरस्वती सिंधु घाटी की सभ्यता’ के नाम पर ही हैं। इसलिये हमारी नजर में अगर आप आज भी इस सभ्यता को सिंधु घाटी की सभ्यता कह रही हैं तो आपको अपडेट होने की जरुरत है। इसलिये मैं आपको सलाह दूंगा कि आप भी बार बार सिंधु घाटी की सभ्यता की जगह सरस्वती सिंधु घाटी की सभ्यता कहिये।

हरियाणा सरस्वती हैरिटेज बोर्ड के अध्यक्ष हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हैं। हरियाणा में भाजपा की सरकार है। इसलिये यह माना जा रहा है कि इतिहास को बदलने या उसे दोबारा लिखने की कवायद शुरू हो चुकी है। सिंधु घाटी सभ्यता का नाम बदलकर सरस्वती सिंधु सभ्यता करना इतिहास के पुर्नलेखन की शुरुआत है।

ओपिनियन पोस्ट के 16-31 मई के अंक में राखीगढ़ी पर छपी थी कवर स्टोरी

हरियाणा सरकार के वरिष्ठ मंत्री अनिल विज पहले ही साफ कर चुके हैं ‘सिंधु घाटी सभ्यता का नाम बदलकर सरस्वती नदी सभ्यता करके वह इतिहास की भूल सुधार रहे हैं न कि इतिहास को दोबारा लिख रहे हैं। उन्होंने उन इतिहासकारों पर भी सवाल उठाये थे जिन्होंने सरस्वती नदी के वजूद को ही नकार दिया था। उन्होंने कहा कि उन्हें सिंधु नदी नजर आयी इसलिए इसका नाम सिंधु घाटी सभ्यता दे दिया गया। विज ने कहा ‘ मगर आज प्रमाण खुद सच्चाई बयां कर रहे हैं। इसलिये सरस्वती है या नहीं यह विवाद ही खत्म हो गया है। अब बस नामकरण बचा था जो हमने कर दिया है।’