देवरिया। यूपी में कहीं स्‍मार्ट फोन तो कहीं खटिया ने चुनावी स्‍वरूप ले लिया है। दरअसल, खाट गरीबों और किसानों का प्रतीक मानी जाती है, जिस पर कवियों ने लेखनी भी चलाई है-उजड़ी मड़ई टुटही खटिया के नीचे पड़ा दबान अही। हम भारत कै भगवान अही। किसानों को भारत का भगवान कहे जाने पर यह करारा व्‍यंग्‍य है। शायद यही वजह है कि यूपी को मंथने के लिए मंगलवार को राहुल गांधी ने देवरिया में खाट पंचायत की शुरुआत की। मगर राहुल के रवाना होते ही वहां खटिया लूटने की जंग शुरू हो गई। जंग इतनी बढ़ी कि कुछ लोगों में मुफ्त की खटिया पाने के लिए मारपीट होने लगी।

राहुल ने अपनी सभा में किसानों की बात की। इलाके की चीनी मिलों के बंद होने की बात की और कहा कि वे अपनी इस यात्रा के बाद प्रधानमंत्री को किसानों का दर्द बताएंगे। जब राहुल ये बात कर रहे थे तब वहां खटिया पकड़ कर बैठी आवाम की निगाह उस खटिया पर जमी थी। जैसे ही राहुल का काफिला वहां से से निकला,  ग्रामीणों में खटिया लूटने की होड़ मच गई। कुछ ताकतवर लोग तो दो-दो खटिया उठाकर चलते बने। बताया गया कि उन्हें खटिया ले जाने की अनुमति आयोजकों ने दी थी।

राहुल की खाट सभा का पूरा मैनेजमेंट टीम पीके कर रही थी। कांग्रेस के लोगों को महज दर्शक की भूमिका में रखा गया था। इस आयोजन के लिए 300 खाट मंगाई गई थीं। कांग्रेस के बड़े नेता और टीम पीके अब इस कार्यक्रम की सफलता के दावे कर रही थी, मगर स्थानीय कांग्रेस नेता इस आयोजन से बहुत संतुष्ट नहीं थे। कांग्रेस के टिकट पर पिछला विधान सभा चुनाव लड़ चुके एक कद्दावर किसान नेता ने कहा,  हम लोगों को अपनी भूमिका ही नहीं समझ में आई। सिर्फ इस कार्यक्रम के लिए एक संदेश भेजा गया था मगर उसके लिए जिम्मेदारी ही नहीं दी गई। इसी का नतीजा है कि कांग्रेस का असली समर्थक इस आयोजन में नहीं दिखाई दिया।

अपने जमीनी नेताओं को किनारे रख कर प्रशांत किशोर किस रणनीति से चल रहे हैं, यह कांग्रेस के जमीनी नेताओं को समझ में ही नहीं आ रहा है। कुछ दिन पहले उत्साह से भरे ये नेता अब निराश होते जा रहे हैं। ऐसे हालात में राहुल के इस कवायद से कांग्रेस की खाट यूपी की सियासत में बिछेगी या खड़ी हो जाएगी यह तो वक्त ही बताएगा।