नई दिल्‍ली। पीएम मोदी का पीओके पर दांव कारगर साबित हुआ है। उनके बयान से पाकिस्‍तान तिलमिला गया है। कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पीओके यानी पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी हमारा है। आज वहां से तस्वीरें आई हैं कि पाकिस्तान के खिलाफ वहां रह रहे लोग गुस्से में हैं। पाकिस्तान के खिलाफ लोगों ने नारे लगाए हैं। बीते कई दिनों से वहां हंगामा चल रहा है। कश्मीर में हिंसा की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए इसके समाधान के लिए शुक्रवार को संसद में सर्वदलीय बैठक की गई थी। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान पर बड़ा वार किया। पीएम ने कहा है कि पाकिस्‍तान के कब्जे में जो कश्मीर है वह भी हमारा है।

पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। प्रदर्शनकारियों ने ‘पाकिस्तान वापस जाओ’ के नारे लगाए और बाबा जन की रिहाई की मांग की है। बाबा जन को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने 40 साल की सजा सुनाई है। उस पर एंटी-टेररिस्ट लॉ के तहत पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। 500 अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया है। बलूचिस्तान में पाकिस्तान की ज्यादतियों से तंग आने के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता मर्री ने ट्वीट किया है कि भारत को इस समस्या से निपटने में मदद करनी चाहिए। मर्री ने लिखा है कि अगर पाकिस्तानी अधिकारी कश्मीरी नेताओं से मिल सकते हैं तो फिर भारत क्यों नही? बलोच नेता ने कहा है कि भारत को मानवाधिकार हनन का यह मामला संयुक्त राष्ट्र में उठाना चाहिए।

प्रदर्शन कर रहे लोगों का आरोप है कि पाकिस्तान की ओर से उन पर जुल्म किए जा रहे हैं। उनके मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। लोगों की आवाज दबाने के लिए सेना और पुलिस बल का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि न तो उनका विकास हो रहा है और न ही युवाओं के पास रोजगार है। युवाओं के पास आगे बढऩे का कोई रास्ता भी नहीं है। विरोध की एक वजह पाकिस्तान के इस शहर पर चीन का बढ़ता प्रभाव भी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि चीन और पाकिस्तान इस क्षेत्र में मौजूद संसाधनों का सिर्फ अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। इतना ही नहीं, गिलगित-बाल्टिस्तान में बसे लोगों का विरोध चीन-पाकिस्तान के बीच बन रहे आर्थिक गलियारे को लेकर भी है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन तीन हजार किलोमीटर लंबे आर्थिक गलियारे पर 40 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च कर रहा है। इसके जरिये पश्चिमी चीन और दक्षिणी पाकिस्तान को सड़क, रेल और पाइपलाइन से जोड़ा जा सकेगा।

इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट से इलाके में बड़ा सामाजिक-आर्थिक बदलाव आएगा, लेकिन लोगों का कहना है कि इस योजना को लेकर उनसे कभी सलाह मशविरा नहीं किया गया और जबरन उनकी जमीनें हथिया ली गईं।